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पैतृक संपत्ति विवाद का फैसला….महिला को कोर्ट से जीत…अधिकारियो की भूमिका संदिग्ध

कोर्ट से श्री कृष्ण फर्म को जोर का झटका

 

 मामला  2020 में  हुआ  .. 22 दिसंबर 2020 को अरुणिमा सिंह ने कोरबा कोतवाली में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। आरोप लगाया कि पैतृक जमीन को फर्जी दस्तावेजों के सहारे कब्जा कर लिया गया है।

दस्तावेजों की कूट रचना

शिकायत दर्ज होने के बाद जब प्रकरण न्यायालय में पहुंचा,..  तत्कालीन पटवारी चक्रधर सिंह सिदार की जमानत याचिका  को न्यायालय ने खारिज कर दिया..बावजूद इसके, श्री कृष्ण बिल्डकॉन ने   प्रशासन और पुलिस से सांठ-गांठ कर मामले की जांच प्रभावित किया..एसडीएम सुनील नायक ने झूठी रिपोर्ट तैयार कर  दर्शाने की कोशिश किया कि  अपराध हुआ ही नहीं हुआ है।

प्रशासनिक आदेशों को  अंगूठा

पुलिस ने बिना जांच किए  प्रकरण को ‘खात्मा’ के लिए जिला न्यायालय में आवेदन किया। कृष्ण बिल्डकॉन ने अरुणिमा सिंह के खिलाफ सिविल कोर्ट में  मामला दर्ज कर दिया कि वह मॉल में तोड़फोड़ कर रही हैं .. उन्हें उनकी संपत्ति देखने से रोका जाए। लेकिन कोर्ट में गवाही की बारी आई, तो कंपनी के डायरेक्टर पेश नहीं हुए… कोर्ट ने एकपक्षीय फैसला देते हुए श अरुणिमा सिंह के पक्ष में निर्णय सुनाया।

प्रशासन की चुप्पी पर सवाल

फैसले में साफ उल्लेख किया गया कि श्री कृष्ण बिल्डकॉन द्वारा दस्तावेजों की कूट रचना और धोखाधड़ी किया है। पुलिस और प्रशासन की चुप्पी पर अब कई सवाल खड़े हो रहे हैं।क्या कोरबा पुलिस और प्रशासन जानबूझ कर न्यायालय के आदेशों की अवहेलना कर रहे हैं?
क्या श अरुणिमा सिंह को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया गया?क्या अब सरकार इस आर्थिक और मानसिक क्षति की भरपाई करेगी?

हिंद एनर्जी की भूमिका पर सवाल

सूत्रों की मानें तो हिंद एनर्जी और उसकी सहायक कंपनियों पर कई ऐसे मामले हैं जिनमें सरकारी संरक्षण का आरोप लगता रहा है। कहा जा रहा है कि पुलिस अधिकारी तक आम लोगों को समझाते हैं – “वो बड़े लोग हैं, उनसे पंगा मत लो।”अब देखना  है कि सरकार इस पूरे मामले पर क्या रुख अपनाती है।

 

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