lokayukta का बड़ा एक्शन: रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े गए BRC और चपरासी

मध्यप्रदेश के झाबुआ जिले में lokayukta पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए एक BRC और चपरासी को 11 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
यह रिश्वत एक निजी स्कूल की मान्यता नवीनीकरण के बदले मांगी गई थी। लोकायुक्त की इस सटीक कार्रवाई ने प्रशासनिक भ्रष्टाचार पर एक बड़ा प्रहार किया है और शिक्षा विभाग में व्याप्त घूसखोरी का पर्दाफाश कर दिया है।
कैसे सामने आया पूरा मामला?
झाबुआ जिले के मेघनगर तहसील के ग्राम छोटा गुड़ा निवासी रूसमल पिता मांगिया भूरिया ने अपनी ज्ञान गंगा एकेडमी के नाम से थांदला तहसील में एक निजी स्कूल संचालित किया हुआ है। स्कूल की मान्यता 2024 में समाप्त हो गई थी, जिसे नवीनीकरण के लिए शिक्षा विभाग से मंजूरी लेनी थी।
लेकिन इस प्रक्रिया को पूरा करने के लिए BRC संजय सिकरवार और कार्यालय के चपरासी श्यामलाल पाल ने स्कूल संचालक से 18 हजार रुपए की रिश्वत की मांग की।
बार-बार रिश्वत की मांग से परेशान होकर स्कूल संचालक रूसमल भूरिया ने इंदौर लोकायुक्त एसपी राजेश सहाय से इसकी शिकायत कर दी। लोकायुक्त पुलिस ने मामले की गुप्त जांच कर शिकायत की पुष्टि की और फिर आरोपियों को पकड़ने के लिए एक ट्रैप प्लान किया।
रिश्वत लेते ही लोकायुक्त टीम ने किया गिरफ्तार
सोमवार को लोकायुक्त पुलिस ने स्कूल संचालक को केमिकल लगे 11 हजार रुपए दिए, जिसे लेकर वह BRC कार्यालय पहुंचा। जैसे ही BRC संजय सिकरवार और चपरासी श्यामलाल पाल ने रिश्वत की रकम अपने हाथ में ली, लोकायुक्त टीम ने तुरंत कार्रवाई करते हुए दोनों को रंगे हाथों पकड़ लिया। इस ऑपरेशन के तहत लोकायुक्त पुलिस ने रिश्वत की गई रकम भी बरामद कर ली और आरोपियों को हिरासत में ले लिया।
गिरफ्तारी के बाद दोनों आरोपियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2018 की धारा 7 एवं 61 (2) बीएनएस 2023 के तहत मामला दर्ज कर लिया गया है। लोकायुक्त पुलिस ने इस पूरे मामले में त्वरित कार्रवाई कर शिक्षा विभाग में भ्रष्टाचार की जड़ पर चोट की है। इस घटना के बाद झाबुआ में सरकारी दफ्तरों में रिश्वतखोरी पर सख्त नजर रखी जा रही है और भ्रष्टाचार में लिप्त अन्य अधिकारियों पर भी कार्रवाई की संभावना बढ़ गई है।
झाबुआ जिले में शिक्षा विभाग से जुड़ी यह रिश्वतखोरी की घटना कोई पहली नहीं है। स्कूलों की मान्यता और अन्य कार्यों के लिए घूसखोरी की घटनाएं पहले भी सामने आती रही हैं। लेकिन लोकायुक्त की इस कार्रवाई ने शिक्षा व्यवस्था को पारदर्शी बनाने की दिशा में एक कड़ा संदेश दिया है। इस घटना के बाद अन्य निजी स्कूल संचालकों में भी आशा जगी है कि अब भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएंगे।
लोकायुक्त की इस सफल कार्रवाई से झाबुआ जिले के शिक्षा विभाग और अन्य सरकारी कार्यालयों में हड़कंप मच गया है। अब इस मामले की विस्तृत जांच की जा रही है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन शामिल है। लोकायुक्त की टीम अब यह भी जांच कर रही है कि क्या इस तरह के भ्रष्टाचार के मामले अन्य जिलों में भी हो रहे हैं।