होना चाहिए मंत्रीमंडल विस्तार…बोले पूर्व राज्यपाल..वक्फ कानून में संशोधन जरूरी..बताया..शाह और जोशी में कौन बेस्ट
रमेश बैस ने प्रधानमंत्री के 75 पार के सवाल पर दिया यह जवाब

बिलासपुर—75 साल का बन्धन है…मैंने पार्टी से काम करने की इच्छा जाहिर किया है। पार्टी जो भी जवाबदारी देगी..उसका निर्वहन करूंगा। डेढ़ साल हो गए हैं…छत्तीसगढ़ मंत्रीमंडल का विस्तार जरूरी है। यह बातें महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस ने बिलासपुर प्रवास के दौरान कही। बैस ने बताया कि छत्तीसगढ़ में शराब का सर्वाधिक सेवन किया जाता है। सुनकर अच्छा नहीं लगता..मामले में संगठन और सरकार से बात करूंगा। बहरहाल खाली हूं…बुलाए जाने पर जाता हूं…दोस्तों के साथ गप्प सड़ाका करता हूं।
महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल प्रदेश के दिग्गज भाजपा नेता रमेश बैस मल्हार स्थित भाजपा के कार्यक्रम में शामिल होने से पहले बिलासपुर पहुंचे। छत्तीसगढ भवन में उन्होने पत्रकारों से संवाद किया। रमेश बैस ने बताया कि पांच साल पहले संगठन और सरकार ने राज्यपाल की जिम्मेदारी दी…अब मुक्त हो गया हूं..संगठन से फिर जुड़ गया हूं..पार्टी जो भी जिम्मेदारी देगी..उसका पालन करूंगा।
कार्यकर्ताओं को रिचार्ज
राज्यपाल की जिम्मेदारी से मुक्त होकर इस समय आप बहुत सक्रिय हो गये है…ऐसा लगता है कि छत्तीसगढ की राजनीति में हलचल मचना निश्चित है। बैस ने कहा कि मैं भाजपा का कार्यकर्ता और नेता था। राज्यपाल नियुक्ति के बाद इस्तीफा दिया। पांच साल बाद वापस आया…संगठन में प्रवेश किया। लोग बुलाते हैं…उनके पास जाता हूं…मैं पार्टी का पदाधिकारी नहीं हूं..इसलिए रिचार्ज का सवाल ही नहीं उठता है।
टिकट की अपेक्षा नहीं
क्या आप भी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य होने जा रहे हैं। रमेंश बैस ने कहा कि अब आने जाने का पार्टी जाने…मैने संगठन मंत्री कहा है कि मेरे पास पूरा समय है…जिम्मेदारी देंगे तो उसे पूरा करने के लिए तैयार हूं…यह भी स्पष्ट किया है कि मैं विधायक या सांसद टिकट की अपेक्षा नहीं करता हूं…
क्या लागू होगा 75 का फार्मुला
75 साल का फार्मूला कोई लिखित नहीं है…यदि आप पर लागू होता है तो प्रधानमंत्री पर भी लागू होगा…क्या वह भी रिटायर्ड होंगे। सवाल पर बैस ने कहा कि सच है कि यह बात संविधान में नहीं है…लेकिन पार्टी ने अपना नियम बनाया है। प्रधानमंत्री जब 75 साल के होंगे..तब पता लग जाएगा कि क्या होता है।
रिकार्ड तोड़ शराब सेवन पर चिंता
छत्तीसगढ़ में रिकार्ड तोड़ शराब सेवन के सवाल पर बैस ने कहा कि सरकार को सोचना होगा..चिंता की बात है। अच्छा नहीं लगता है जब पत्र पत्रिकाओं में सर्वाधिक शराब सेवन में छत्तीसगढ़ का नाम पढता हूं…चिंता होती है…।
वक्फ कानून में इसलिए हुआ संशोधन
वक्फ बोर्ड के सवाल पर रमेश बैस ने बताया कि 1993 में वक्फ बोर्ड संशोधन हुआ। सोशल जस्टिस चैयरमैन रहते हुए देश के दस राज्यों का भ्रमण किया। वक्फ बोर्ड कमेटी समेत संगठन के लोगों से बातचीत का अवसर मिला। इस दौरान पाया कि वक्फ बोर्ड नियम कानून का गलत उपयोग हो रहा है। वक्फ की जमीन पर बोर्ड के ही लोग कब्जा कर रहे हैं।
2013 में वक्फ बिल लाया गया..संशोधन को भाजपा समेत पार्टी के दिग्गज मुस्लिम नेताओं ने समर्थन किया। अब संशोधन की क्या जरूरत पड़ गयी। बैस ने कहा उस समय सब कुठ ठीक था। फिर देखते ही देखते जमीन दुगुना हो गयी। वक्फ कानून का दुरूपयोग होने लगा। पार्लियामेन्ट.लालकिला को भी वक्फ की जमीन बताने लगे है। निजी जमीन को भी वक्फ बताया जाने लगा…इसलिए ही वक्फ बोर्ड संशोधन कानून लाया गया ।
सांय साय चल रही सरकार
छत्तीसगढ सरकार के कामकाज पर रमेश बैस ने कहा कि सरकार अच्छा काम कर रही है…सब कुछ सांय सांय हो रहा है। विपक्ष सरकार के काम काज पर लगातार निशाना साध रहा है…सवाल पर रमेश बैस ने बताया कि विरोधियों का काम विरोध करना है। अच्छे काम में भी बुराई तलाशना है। एक कहावत है कि घोड़ा घास से दोस्ती करेगा तो खाएगा क्या…। आप लोग ही जानें कि घोड़ा और घास कौन है।
नहीं करूंगा संगठन की बात
राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए आम राय क्यों नहीं बन पा रही है। सवाल पर उन्होने कहा कि संगठन की बातें यहां नहीं कर सकता हूं। संगठन का चुनाव जिला से लेकर राष्ट्रीय स्तर तक होता है। इसके बाद ही राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होता है।
होना चाहिए मंत्रीमंडल विस्तार
अमित शाह और संजय जोशी में कौन बेस्ट अध्यक्ष होगा…सवाल पर बैस ने कहा कि मौका मिलने पर…परख होती है। भाजपा में काम के आधार पर मौका मिलता है। मंत्रीमंडल विस्तार के सवाल पर पूर्व राज्यपाल ने बताया कि मंत्रीमंडल का विस्तार होना चाहिए। इतने लंबे समय तक मंत्रीमंडल का विस्तार नहीं किया जाना ठीक नहीं है। क्या बिलासपुर को मंत्री मिलना चाहिए…उन्होने कहा कि यदि संगठन पूछता तो निश्चित रूप से बताता।