“आसमान से राहत, ज़मीन पर चुनौती: बिलासपुर में औसत से अधिक बारिश, कई गांव में जल भराव

बिलासपुर..जिले में इस वर्ष खरीफ मौसम की वर्षा अब तक औसतन संतोषजनक रही है। 645.8 मि.मी. बारिश दर्ज की गई, जो कि पिछले 10 वर्षों की औसत वर्षा (487.5 मि.मी.) से 158.3 मि.मी. अधिक है। आंकड़े ने जहां कृषि कार्यों को गति दी है, वहीं कुछ क्षेत्रों में अत्यधिक जलभराव, कच्चे रास्तों की जर्जर स्थिति और स्कूलों तक पहुंच की दिक्कतें भी बढ़ी हैं।
अधीक्षक भू-अभिलेख कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार जिले की सबसे अधिक वर्षा 781.1 मि.मी. बिलासपुर तहसील में हुई है, जबकि सबसे कम वर्षा कोटा में 515.8 मि.मी. रिकार्ड की गई। अन्य प्रमुख आंकड़ों में:
- बेलगहना: 780.5 मि.मी.
- सकरी: 685.4 मि.मी.
- तखतपुर: 675.8 मि.मी.
- मस्तूरी: 649.1 मि.मी.
- रतनपुर: 646.1 मि.मी.
- सीपत: 629.6 मि.मी.
- पचपेड़ी: 629.2 मि.मी.
- बिल्हा: 632.1 मि.मी.
- बोदरी: 584.3 मि.मी.
- बेलतरा: 540.0 मि.मी.
जबकि जिले की वार्षिक औसत वर्षा 1202.3 मि.मी. मानी जाती है।, वर्तमान आंकड़े इस बात के संकेत हैं कि मानसून की चाल अब तक सामान्य से बेहतर रही है।
शिक्षकों ने जताई चिंता, पढ़ाई पर असर
बारिश की अधिकता ने जहां खेतों में हरियाली लाई है, वहीं ग्रामीण और वनांचल क्षेत्रों में स्कूल तक पहुंच एक चुनौती बन गई है। कोटा, बेलतरा, पचपेड़ी जैसे इलाकों में कच्चे मार्गों पर जलभराव के चलते छात्रों की उपस्थिति प्रभावित हुई है।
शासकीय विद्यालयों में कार्यरत कुछ शिक्षकों ने बताया कि “अक्सर बच्चे कीचड़ और पानी से लथपथ होकर स्कूल आते हैं या कई बार नहीं आ पाते।” कई का तो जल भराव की पीड़ा झेल रहे हैं।विद्यालय प्रशासन ने अस्थायी समाधान के तौर पर बच्चों को विद्यालय आने के लिए वैकल्पिक रास्तों की सलाह दी जा रही है, लेकिन स्थायी समाधान हेतु जनप्रतिनिधियों व प्रशासन से अपील की गई है।
प्रशासन की चुनौती और जिम्मेदारी
भू-अभिलेख विभाग की रिपोर्ट के बाद प्रशासन अब निचले क्षेत्रों की पहचान कर जल निकासी व्यवस्था को सुदृढ़ करने की योजना बना रहा है। वहीं, जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा सभी संकुल प्रभारियों को निर्देशित किया गया है कि बारिश के चलते किसी भी विद्यालय की उपस्थिति, सुरक्षा या पहुंच में समस्या होने पर त्वरित रिपोर्ट प्रस्तुत करें।










