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विभागीय जांच में खुलासा…अरपा डावर्सन ने पटवारी ने किया करोड़ों की धांधली..शासन ने किया राजस्व निरीक्षक को बर्खास्त

राजस्व निरीक्षक ने पटवारी रहने के दौरान किया घोटाला

बिलासपुर—शासन ने अरपा डायवर्जन में जमीन मुआवजा में भारी धांधली और शासकीय मूल दस्तावेज में छेड़छाड़ कर  शासन को करोड़ों का नुकसान पहुंचाने के आरोप में राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू को बर्खास्त कर दिया है। मामले में आदेश जारी कर मुूकेश साहू की शासकीय सेवा से निष्कासित कर दिया है। यद्यपि मामले को लेकर तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू को पहले निलंबित किया गया था। बाद में बहाली के साथ कारण बताओ नोटिस जारी कर विभागीय जांच समिति के सामने अपने बचाव में जरूरी दस्तावेज पेश करने का अवसर दिया्।  लेकिन संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर शासन ने पटवारी से पदोन्नत होकर राजस्व निरीक्षक बने मुकेश साहू को सेवा से पृथक कर दिया है। 
  मामला 2021 का है। तत्कालीन समय प्रशासन को शिकायत मिली कि सकरी तहसील स्थित पटवारी हल्का नम्बर 45 के पटवारी ने जमीन बाटांकन में भारी धांधली कर करोड़ों की फर्जीवाड़ा को अंजाम दिया है। पटवारी ने हितग्राही को लाभ पहुंचाने के लिए बांटाकन को मर्ज कर चार बार प्रतिवेदन पेश किया। सभी प्रतिवेदन में विरोधाभासी पाए गए। जिसके चलते शासन को मुआवजा बनाने और वितरण में भारी विसंगतियों का सामना करना पड़ा । मामले में तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर महेश शर्मा को जांच पड़ताल की जिम्मेदारी दी गयी। गंभीर अनियमितता पाए जाने पर तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू को कारण बताओ नोटिस जारी करने के बाद तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया।
 जांचकर्ता अधिकारी तत्कालीन एसडीएम महेश शर्मा ने बताया कि पटवारी ने मुआवजा के लिए चार परस्पर भिन्न-भिन्न रकबा दर्शाते हुए विरोधाभासी प्रतिवेदन दिए हैं। बटांकित खसरा नंबरों को बिना सक्षम अधिकारी के छेड़छाड़ किया गया है। ग्राम सकरी महल नंबर 03, खसरा नंबर 01, 09 और  10 में हुए बटांकन बिना सक्षम प्राधिकारी के आदेश से किया गया है। बहरहाल सभी खसरा को भू नक्शा पोर्टल में मूल नंबर में दर्ज कर लिया गया है। पटवारी ने मामले में जवाब पेश कर अपने आपको बेगुनाह बताया। इसके बाद मुकेश साहू बहाल होकर राजस्व निरीक्षक बना। मुकेश ने इस दौरान लिखित में विभागीय जांच की मांग की।
 विभागीय जांच में मुकेश साहू समेत सभी का बयान दर्ज किया गया। मांगे जाने पर राजस्व निरीक्षक मुकेश साहू ने विभागीय जांच अधिकारी के सामने बचाव को लेकर दस्तावेज पेश किया। जांच पड़ताल के दौरान विभागीय जांच टीम ने मुकेश साहू के खिलाफ लगाए गए सभी आरोप को सही पाया।  जांच में पाया गया कि अरपा-भैंसाझार परियोजना के तहत चकरभांठा वितरक नहर निर्माण में अधिग्रहित भूमि ग्राम सकरी, खसरा नम्बर. 1/6 या 1/4 जमीन को अधिग्रहित किया गया है। दोनों खसरा का खसरा पांचसाला में अलग अलग रकबा दर्ज है। वर्ष 2012-13 से 2016-17 रिकार्ड के अनुसार खसरा नंबर 1/4 में रकबा 0.90 एकड़ प्रिंटेड दर्ज है। रकबा को नीली स्याही से दुरुस्त कर रकबा 0.40 एकड़ किया गया है । नया खसरा नंबर 1/6 में रकबा 0.50 एकड़ नया खसरा बटांकित किया गया है। जबकि अधिग्रहण के दौरान खसरा नंबर 1/4 या 1/6 सम्मिलित नहीं था। लेकिन मुकेश साहू ने प्रतिवेदन में खसरा नंबर 1/4 रकबा 0.01 एकड़ और खसरा नम्बर 1 /6 2/6 में रकबा 0.15 एकड़ दर्ज किया है।
मुकेश ने बाद के प्रतिवेदन में खसरा नंबर 1 / 4 में अर्जित रकबा को 0.03 एकड़ एवं खसरा नंबर 1/6 में रकबा 0.26 एकड़ बताया है। तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी ने जांच रिपोर्ट मे बताया कि अरपा-भैंसाझार परियोजना अंतर्गत चकरभाठा वितरक नहर का अवार्ड खसरा नंबर 1 / 4 अर्जित रकबा 0.03 एकड़ के लिए 37,37,871 रूपए मुआवजा दिया गया है। जबकि खसरा नंबर 1/6 अर्जित रकबा 0.26 एकड़ भूमि का 3,04,80,049 रूपए मुआवजा मनोज अग्रवाल को दिया गया है।  अभिलेख अवैधानिक रूप से सुधार किया गया है। इसके चलते शासन को 3,42,17,920  की हानि हुई है। विभागीय जांच टीम ने मामले में दोषी पाते हुए तत्कालीन पटवारी मुकेश साहू को तत्काल बर्खास्त किये जाने की बात कही।
  रिपोर्ट को गंभीरता से लेते हुए शासन ने मुकेश साहू को अपना पक्ष रखने को कहा। संतोषप्रद जवाब नहीं मिलने पर शासन ने मुकेश साहू को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम – 12 के तहत सेवा से बर्खास्त कर दिया है।

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