NIA कोर्ट से ननों को राहत, मगर शर्तों के साथ: देश नहीं छोड़ने का मिला आदेश

बिलासपुर…धर्मांतरण और मानव तस्करी के गंभीर आरोपों में गिरफ्तार की गईं केरल की दो नन और एक पास्टर को एनआईए स्पेशल कोर्ट, बिलासपुर से जमानत मिल गई है। शनिवार को सुनवाई करते हुए प्रिंसिपल एंड डिस्ट्रिक्ट जज सिराजुद्दीन कुरैशी की अदालत ने 50-50 हजार के निजी मुचलके पर तीनों को राहत दी।
हालांकि जमानत सशर्त है
अदालत ने साफ किया कि तीनों आरोपी देश नहीं छोड़ सकते, उनके पासपोर्ट कोर्ट में जमा रहेंगे और उन्हें जांच एजेंसियों के बुलावे पर उपस्थित होना होगा।
जानकारी हो कि 25 जुलाई को दुर्ग रेलवे स्टेशन पर बजरंग दल की शिकायत पर आरपीएफ ने नन प्रीति मेरी, सिस्टर वंदना फ्रांसिस और पास्टर सुखमन मंडावी को नारायणपुर की नाबालिग लड़कियों को कथित रूप से धर्मांतरण के लिए ले जाने के आरोप में गिरफ्तार किया था।
गिरफ्तारी के बाद पहले दुर्ग कोर्ट ने क्षेत्राधिकार का हवाला देकर सुनवाई से इंकार कर दिया था। इसके बाद मामले को बिलासपुर की एनआईए कोर्ट में स्थानांतरित किया गया, जहाँ अधिवक्ता अमृतो दास ने याचिका दाखिल की।
रिहाई के बाद भाजपा केरल प्रदेश अध्यक्ष राजीव चंद्रशेखर स्वयं दुर्ग जेल पहुंचे और ननों को अपनी गाड़ी में बैठाकर चर्च तक छोड़ने की तस्वीरें भी चर्चा में रहीं।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ:
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने बयान देते हुए कहा —
“धर्मांतरण छत्तीसगढ़ के लिए कलंक है। इसे जड़ से समाप्त करने की अंतिम लड़ाई अब शुरू हो चुकी है। सरकार ठोस कदम उठाएगी।”
, केरल की कांग्रेस विधायक रोजी एम. जॉन ने कहा —
“कोर्ट ने साफ कहा है कि आरोपों के कोई ठोस सबूत नहीं थे। ये गिरफ्तारियाँ सिर्फ राजनीतिक दबाव और दिखावे का हिस्सा थीं। अब अगला कदम FIR रद्द करवाना है।”