22 साल बाद पति से भरण-पोषण की मांग, हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर कहा – ‘इतने लंबे अंतराल के बाद अधिकार नहीं’

Cg news।दुर्ग: एक महत्वपूर्ण फैसले में, छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने 22 साल बाद अपने पति से भरण-पोषण की मांग करने वाली एक महिला की याचिका को खारिज कर दिया है।
कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि इतने लंबे अंतराल के बाद महिला भरण-पोषण पाने की हकदार नहीं है।
यह मामला तब शुरू हुआ जब दुर्ग निवासी महिला ने अपने पति के खिलाफ बीएनएस की धारा 144 के तहत फैमिली कोर्ट में एक आवेदन दायर किया।
इसमें उसने हर महीने 40,000 रुपये भरण-पोषण और मुकदमे पर हुए 25,000 रुपये के खर्च की मांग की थी। हालांकि, फैमिली कोर्ट ने इस आधार पर याचिका खारिज कर दी थी कि महिला 22 साल तक चुप रही और अब अचानक भरण-पोषण की मांग करना तर्कसंगत नहीं है।
फैमिली कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ महिला ने हाईकोर्ट में पुनरीक्षण याचिका दायर की।
महिला के तर्क और हाईकोर्ट का रुख: हाईकोर्ट में महिला ने बताया कि वह पहले सरकारी नौकरी में थी, लेकिन अब बेरोजगार है। उसने आरोप लगाया कि वर्ष 2002 में उसके पति और सास ने उसे और उसके बेटे को घर से निकाल दिया था।
महिला के अनुसार, उसे 2007 में पटवारी की नौकरी मिली थी, लेकिन बाद में वह एक आपराधिक मामले में फंस गई और 2019 में उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। इसी के चलते अब उसे भरण-पोषण की आवश्यकता है। उसने यह तर्क भी दिया कि पत्नी होने के नाते वह भरण-पोषण की हकदार है।
हालांकि, हाईकोर्ट महिला के इन तर्कों से सहमत नहीं हुआ। याचिका खारिज करते हुए कोर्ट ने टिप्पणी की कि महिला ने यह स्पष्ट नहीं किया कि आखिर इतने वर्षों बाद अचानक उसे भरण-पोषण की आवश्यकता क्यों पड़ी।
कोर्ट ने यह भी कहा कि महिला पहले सरकारी सेवा में थी और उसने अपनी वर्तमान बेरोजगारी की स्थिति को भी ठीक से स्पष्ट नहीं किया। ऐसे में यह माना जा सकता है कि उसके पास जीवन यापन के कुछ संसाधन मौजूद हैं।