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खाना खाते समय भूलकर भी न करें ये 5 गलतियां, वरना मां लक्ष्मी हो जाएंगी नाराज़, घर में आएगी कंगाली!

आइए, जानते हैं भोजन से जुड़ी ऐसी 5 आम और प्रमुख गलतियां, जो शायद आप भी कर रहे हों और जिन्हें तुरंत सुधारने की आवश्यकता है

भोजन केवल तन की भूख शांत करने का जरिया नहीं, बल्कि यह जीवन में ऊर्जा, उत्तम स्वास्थ्य और धन-समृद्धि लाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम भी है। हमारे प्राचीन हिन्दू धर्म, वास्तु शास्त्र और आयुर्वेद में भोजन ग्रहण करने के कुछ विशेष नियम और विधान बताए गए हैं। इन सदियों पुराने नियमों को यदि हम अनदेखा करते हैं, तो अनजाने में ही हम न केवल देवी लक्ष्मी और मां अन्नपूर्णा की कृपा से वंचित हो सकते हैं, बल्कि अपने जीवन में आर्थिक तंगी और मानसिक अशांति को भी न्योता दे बैठते हैं।

आइए, जानते हैं भोजन से जुड़ी ऐसी 5 आम और प्रमुख गलतियां, जो शायद आप भी कर रहे हों और जिन्हें तुरंत सुधारने की आवश्यकता है:

घर की चौखट पर भोजन: अशुभता का संकेत
अक्सर शहरों की झुग्गी-बस्तियों से लेकर कस्बों और गांवों तक, लोग आज भी अपने घर की दहलीज या चौखट पर बैठकर कुछ खाते-पीते दिख जाते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि घर की चौखट को अत्यंत पवित्र स्थान माना गया है, जहां विभिन्न देवी-देवताओं का अदृश्य वास होता है। इस पवित्र स्थल पर बैठकर भोजन करना धार्मिक दृष्टि से उनका अपमान करने जैसा है। चौखट पर बैठकर खाना एक अशुभ संकेत माना जाता है, जिसके कारण नकारात्मक ऊर्जाएं घर में प्रवेश कर सकती हैं। सदैव घर के भीतर, एक शांत, स्वच्छ और सकारात्मक ऊर्जा वाले स्थान पर बैठकर ही भोजन ग्रहण करें।

दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन: पितृ दोष और तनाव को निमंत्रण
भोजन करते समय आपकी दिशा का भी विशेष महत्व होता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार, हमेशा उत्तर या पूर्व दिशा की ओर मुख करके भोजन करना अत्यंत शुभ फलदायी होता है। यह न केवल वास्तु सम्मत है, बल्कि इससे शरीर में ऊर्जा का संतुलन भी बना रहता है और सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है। इसके विपरीत, दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन करने से पितृ दोष लगने की आशंका रहती है और यह मानसिक तनाव को भी बढ़ा सकता है।

बिस्तर पर या चलते-फिरते भोजन: सेहत और मन दोनों के लिए हानिकारक
आधुनिक जीवनशैली की भागदौड़ में कई लोग बिस्तर पर बैठकर या काम करते-करते, चलते-फिरते ही खाना खाने की आदत डाल लेते हैं। यह आदत आपके शरीर पर बहुत बुरा प्रभाव डालती है। इस तरह भोजन करने से न तो हमारा पाचन तंत्र ठीक से काम कर पाता है और न ही हमारा मन भोजन पर एकाग्र हो पाता है। आयुर्वेद में जमीन पर सुखासन (पालथी मारकर) में बैठकर भोजन करना सबसे उत्तम स्थिति मानी गई है। इससे पाचन शक्ति मजबूत होती है और शरीर में संतुलन बना रहता है।

खाते समय मोबाइल या टीवी में खोए रहना: मां अन्नपूर्णा का अनादर
आजकल यह एक आम दृश्य है कि लोग भोजन करते समय मोबाइल फोन पर व्यस्त रहते हैं या टेलीविजन देखते रहते हैं। यह आदत न केवल आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिए, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अत्यंत हानिकारक है। भोजन करते समय आपका पूरा ध्यान केवल भोजन पर ही केंद्रित होना चाहिए। इन इलेक्ट्रॉनिक यंत्रों से दूरी बनाकर, भोजन को प्रसाद की तरह सम्मान देना, मां अन्नपूर्णा की कृपा पाने का एक सरल और अचूक उपाय है।

थाली का सम्मान न करना: अन्न की बरकत में कमी
भोजन की थाली का सम्मान करना हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग है। भोजन करने से पहले मन ही मन भगवान को भोग लगाना, थाली में कभी भी अन्न का अपमान न करना (जैसे उसे जूठे हाथ से छूना या फैलाना) और अपनी प्लेट में जूठा भोजन बिल्कुल न छोड़ना – ये कुछ ऐसे छोटे लेकिन अत्यंत प्रभावशाली नियम हैं। इन नियमों का पालन करने से न केवल हमें देवी-देवताओं का आशीर्वाद प्राप्त होता है, बल्कि घर में अन्न की बरकत भी सदैव बनी रहती है और कभी अन्न की कमी नहीं होती।

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