आपणों राजस्थान

14 सेक्टर्स के माध्यम से तैयार हुआ विकसित राजस्थान-2047 का रोडमैप

सीएम शर्मा ने कहा कि बदलते समय और बढ़ती आबादी के साथ परिवहन क्षेत्र पर भी दबाव बढ़ेगा। ऐसे में हमें सार्वजनिक परिवहन को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करते हुए बेहतर यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि खनिज आधारित औद्योगिक इकाइयों को संबंधित खनन क्षेत्र के नजदीक स्थापित कर हम परिवहन की लागत बचाने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम कर सकते हैं।

जयपुर।मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि वर्ष 2047 तक विकसित भारत के लक्ष्य की प्राप्ति में विकसित राजस्थान का अहम योगदान है। उन्होंने कहा कि प्रदेश को वर्ष 2047 तक विकसित बनाने के लिए राज्य सरकार प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है।

इस लक्ष्य की प्राप्ति में राज्य सरकार के साथ ही 8 करोड़ प्रदेशवासियों की भूमिका भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि राज्य का प्रत्येक नागरिक समर्पण भावना के साथ प्रदेश को विकास के पथ पर अग्रसर करने के लिए अपना योगदान देगा तभी हम इस लक्ष्य तक पहुंच पाएंगे।

श्री शर्मा शुक्रवार को मुख्यमंत्री निवास पर विकसित राजस्थान-2047 के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु तैयार विजन डॉक्यूमेंट को लेकर बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे।

उन्होंने कहा कि विकसित राजस्थान का लक्ष्य हासिल करने के लिए हमें भौतिक विकास कार्यों की प्राथमिकता तय करते हुए लक्ष्य तय करने होंगे। इसके लिए कार्ययोजना बनाते समय हमें भविष्य की आवश्यकताओं तथा जनसंख्या वृद्धि एवं संसाधनों को ध्यान में रखना होगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के अपने उद्बोधन में ‘विकसित भारत-2047’ का विजन पेश किया था। इसके चार प्रमुख संकल्पों के परिपेक्ष्य में विकसित राजस्थान-2047 हेतु विजन डॉक्यूमेंट तैयार करने, उसकी प्रगति एवं निगरानी हेतु मुख्य सचिव की अध्यक्षता में राज्य स्तरीय स्टीयरिंग कमेटी का गठन किया गया है।

उन्होंने कहा कि विकसित राजस्थान-2047 का रोडमैप तैयार करते हुए राज्य के प्रमुख 45 विभागों को 14 सेक्टर्स में बांटा गया है। सभी विभागों के समन्वय से तैयार विजन डॉक्यूमेंट पर नीति आयोग से सुझाव प्राप्त करने के बाद प्रदेश के विकास का यह दस्तावेज तैयार किया गया है।

श्री शर्मा ने कहा कि हमने राज्य बजट 2024-25 के दौरान 10 संकल्प पेश किए थे। इन्हीं संकल्पों को आधार बनाते हुए विकसित राजस्थान की रूपरेखा तैयार की गई है। इस हेतु विकास की चार थीम के आधार पर विभिन्न विभागों के प्रमुख लक्ष्य तय किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि राज्य के आगामी बजट भी विकसित राजस्थान की संकल्पना का दर्पण होंगे। श्री शर्मा ने कहा कि हमें वर्ष 2047 के लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु प्राथमिकता तय करते हुए चरणबद्ध रूप से विकास के पथ पर आगे बढ़ना है। इसके लिए सर्वप्रथम वर्ष 2030 तक के विकास का रोडमैप तैयार करते हुए हमें मजबूती से कदम बढ़ाने होंगे। उन्होंने कहा कि विजन डॉक्यूमेंट को सरल भाषा में तैयार कर आमजन तक पहुंचाएं तथा उनके अमूल्य सुझाव प्राप्त कर उन्हें इस डॉक्यूमेंट में शामिल करें।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें प्रदेश की समग्र विकास यात्रा में संतुलन बनाकर चलना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्र के विकास के असंतुलन को दूर करते हुए हमें ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षा, पानी, बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, रोजगार जैसी प्रमुख आवश्यकताओं की पूर्ति करनी है जिससे ग्रामीण आबादी का शहरों की ओर पलायन रूके तथा शहरों पर बढ़ता दबाव कम हो। श्री शर्मा ने कहा कि हम प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण एवं सुनियोजित दोहन करते हुए विकास करें जिससे भावी पीढ़ी को संसाधनों की कमी न हो।

सीएम शर्मा ने कहा कि बदलते समय और बढ़ती आबादी के साथ परिवहन क्षेत्र पर भी दबाव बढ़ेगा। ऐसे में हमें सार्वजनिक परिवहन को अधिक से अधिक प्रोत्साहित करते हुए बेहतर यातायात प्रबंधन सुनिश्चित करना होगा। उन्होंने कहा कि खनिज आधारित औद्योगिक इकाइयों को संबंधित खनन क्षेत्र के नजदीक स्थापित कर हम परिवहन की लागत बचाने के साथ ही पर्यावरण प्रदूषण भी कम कर सकते हैं। उन्होंने पर्यटन क्षेत्र के लक्ष्यों पर चर्चा के दौरान कहा कि राजस्थान में पर्यटन क्षेत्र में जितनी संभावनाएं हैं संभवतः देश में और कहीं नहीं हैं।

उन्होंने शेखावाटी की हवेलियों का पर्यटन की दृष्टि से विकास करते हुए शेखावाटी क्षेत्र को प्रमुख पर्यटन केन्द्र बनाने के लिए कार्य-योजना तैयार करने के निर्देश दिए। साथ ही, उन्होंने धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देते हुए पर्यटकों के ठहरने हेतु होटल एवं रिसॉर्ट की संख्या बढ़ाने के लिए भी निर्देशित किया।

मुख्यमंत्री ने पीएचईडी से संबंधित लक्ष्यों की समीक्षा करते हुए कहा कि पानी के लिए हम पूरी तरह प्रकृति पर निर्भर हैं, इसकी बचत ही आपूर्ति है। वर्षाजल का सुनियोजित प्रबंधन और भूमि की वाटर रिचार्ज क्षमता को बढ़ाकर जल संकट से बचा जा सकता है। उन्होंने कहा कि इसके लिए ‘कर्मभूमि से मातृभूमि’ जैसे अभियानों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है। साथ ही, बागवानी, सफाई, धुलाई जैसे कार्याें के लिए सीवरेज के ट्रीटेड पानी का उपयोग कर भी पानी की खपत कम की जा सकती है।

इस दौरान राज्य स्टीयरिंग कमेटी में शामिल विभिन्न विभागों के उच्चाधिकारी, मुख्यमंत्री कार्यालय के उच्चाधिकारियों सहित संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे।

Back to top button