कुत्ते का जूठा खाना परोसने पर हाईकोर्ट ने दिया सख्त निर्देश: जानें पूरा मामला और 25 हज़ार के मुआवज़े का आदेश

बलौदाबाजार-भाटापारा/छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार-भाटापारा ज़िले के एक सरकारी स्कूल में छात्रों को कथित तौर पर कुत्ते का जूठा भोजन परोसने का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है।
इस घटना ने न केवल शिक्षा व्यवस्था बल्कि सरकारी स्कूलों में परोसे जाने वाले मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और सुरक्षा पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस मामले की गंभीरता को देखते हुए, छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लिया और एक जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में इसकी सुनवाई की।
यह घटना बलौदाबाजार-भाटापारा ज़िले के लच्छनपुर गाँव के एक सरकारी माध्यमिक विद्यालय में 28 जुलाई को घटी थी। स्कूल के बच्चों के अनुसार, मध्याह्न भोजन की तैयारी के दौरान एक कुत्ते ने खाने को जूठा कर दिया। जब छात्रों ने इसकी सूचना शिक्षकों को दी, तो उन्होंने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) को बच्चों को यह खाना न परोसने की सलाह दी थी।
हालांकि, इस चेतावनी के बावजूद, एसएचजी ने बच्चों को वही दूषित भोजन परोस दिया। बाद में, जब छात्रों ने प्रधानाध्यापक से शिकायत की, तब भी गंदे सामान को खाने से नहीं हटाया गया और बच्चों ने उसे खा लिया।
इस गंभीर लापरवाही पर छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने कड़ा रुख अपनाया। मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति बिभु दत्ता गुरु की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत ने पाया कि सरकार और एसएचजी को मध्याह्न भोजन की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, लेकिन उनकी लापरवाही के कारण छात्रों को दूषित भोजन खाना पड़ा। इस घटना के बाद, 84 छात्रों को रेबीज रोधी टीकों की तीन खुराकें दी गईं, जिससे यह साबित होता है कि यह एक गंभीर स्वास्थ्य जोखिम था।
राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि चूंकि स्वास्थ्य जाँच के बाद सभी बच्चे स्वस्थ पाए गए, इसलिए कोई मुआवजा नहीं दिया गया। हालांकि, उच्च न्यायालय ने इस दलील को अस्वीकार कर दिया और इसे राज्य की ओर से घोर लापरवाही माना।
मंगलवार को दिए गए अपने ऐतिहासिक आदेश में, उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह कुत्ते का जूठा भोजन खाने वाले प्रत्येक छात्र को एक महीने के भीतर 25-25 हज़ार रुपए का भुगतान करे। यह आदेश न केवल प्रभावित छात्रों के लिए एक राहत है, बल्कि यह सरकारी संस्थानों में जवाबदेही तय करने का एक महत्वपूर्ण कदम भी है।
अदालत ने अपनी टिप्पणी में यह भी कहा कि उसे उम्मीद है कि भविष्य में राज्य सरकार सरकारी विद्यालयों में मध्याह्न भोजन उपलब्ध कराने में अधिक सतर्क और सावधान रहेगी।
इस घटना के बाद, प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई की। शासकीय माध्यमिक विद्यालय लच्छनपुर से संबंधित स्वयं सहायता समूह को हटा दिया गया है और उसे भविष्य में कोई सरकारी लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा, प्रभारी प्राचार्य संतोष कुमार साहू, संकुल प्राचार्य, प्रभारी प्रधानाध्यापक, शिक्षकों और संकुल समन्वयक सहित कई अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया है। बलौदाबाजार-भाटापारा के जिलाधिकारी और स्कूल शिक्षा संचालनालय ने भी मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता बनाए रखने के संबंध में नए दिशानिर्देश जारी किए हैं।