कलेक्टर ने पूछा फाइल क्यों दबाया….कौन है इसका जिम्मेदार…स्वीकृत के बाद भी क्यों नही हुआ खर्च..क्यों नहीं हुआ काम
राज्य कार्यालय से मिली सूचना..नाराज कलेक्टर ने मांगा जवाब

बिलासपुर— कलेक्टर संजय अग्रवाल ने जिला शिक्षा अधिकारी, एडीपीओ समेत सिविल सेक्शल को नोटिस जारी कर पूछा है। जब डिमांड के अनुसार बजट कर दिया गया तो राशि का उपयोग क्यों नहीं किया गया। आखिर काम नहीं करने की वजह क्या थी। फाईल को बढ़ाया क्यों नहीं गया। नाराज कलेक्टर ने अधिकारियों को जबाव पेश करने के लिए तीन दिन का समय दिया है।
जानकारी देते चलें कि सरकार ने नए शैक्षणिक सत्र के पहले डिमांड के अनुसार सरकारी स्कूल में अतिरिक्त कक्ष निर्माण समेत अन्य बुनियादी सुविधाओं को ठीक करने बजट राशि स्वीकृत किया। शासन ने कमोबेश प्रदेश के सभी जिलों को राशि आवंटित किया। बावजूद इसके राशि उपयोग करने में बिलासपुर जिला फिसड्डी साबित हुआ है।
राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान के अफसरों ने आदत के मुताबिक फाइल चलाना भूल गये। या यूं कहे कि फाइल ही दबा कर बैठ गये। इसके चलते होने वाले सारे प्रस्तावित काम हुआ ही नहीं। जबकि राज्य शासन ने विभागीय डिमाण्ड के अनुसार बजट राशि आवंटित कर दिया था।
मामला उस समय सामने आया जब राज्य कार्यालय के अधिकारियों ने जिलेवार आनलाइन विभागीय रिपोर्ट खंगाला। बिलासपुर का रिपोर्ट देख अधिकारियों के होश उड़ गए। क्योंकि राशि स्वीकृत के बावजूद बिलासपुर के अधिकारियों ने ना तो राशि का उपयोग किया। और ना ही निर्माण कार्य शुरू ही किया।
राज्य कार्यालय के अधिकारियों ने मामले की जानकारी कलेक्टर बिलासपुर को दिया। जानकारी के बाद कलेक्टर संजय अग्रवाल ने छानबीन के बाद अधिकारियों को नोटिस थमा दिया है। पत्र में जवाब मांगा गया है कि राज्य सरकार से बजट स्वीकृति होने के बाद भी विभागीय अफसरों ने फाइल को जानबूझकर क्यों दबाया है। इतना ही नहीं विभाग ने अब तक कोई निर्माण शुरू ही नहीं किया है।
जबकि बारिश सिर पर है। अब तक अतिरिक्त कक्षों का निर्माण हो जाना चाहिए था। लापरवाही के कारण निश्चित रूप से पठन पाठन में बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा। नाराज कलेक्टर ने डीईओ, एडीपीओ के अलावा सिविल सेक्शन प्रभारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है।
कलेक्टर ने कहा है कि फंड स्वीकृति के बाद फाइल को आगे क्यों नहीं बढ़ाया गया। प्रक्रिया को पूरा करने में क्यों लापरवाही बरती गई। कलेक्टर ने जवाब पेश करने के लिए तीनों अधिकारियों को तीन दिन का समय दिया है। साथ ही चेतावनी भी दिया है कि यदि जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया तो जिम्मेदार के खिलाफ कठोर कार्रवाई होगी।