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कही-सुनी: क्या धामी की तरह साय उठाएंगे कदम

अभिषेक सिंह बनेंगे प्रदेश महामंत्री ?

रवि भोई/छत्तीसगढ़ में भारतमाला परियोजना,अरपा-भैंसाझार परियोजना और अन्य जमीन घोटालों में अब तक एसडीएम, तहसीलदार या नीचे के कर्मचारियों पर ही गाज गिरी है। कलेक्टर या किसी बड़े आईएएस अफसर का बाल बांका नहीं हुआ है। वहीं उत्तराखंड में पुष्करसिंह धामी की सरकार ने हरिद्वार जमीन घोटाले के मामले में दो आईएएस, एक राज्य सेवा के अधिकारी समेत 12 लोगों को झटके से सस्पेंड कर दिया। इस कारण अब चर्चा होने लगी है कि क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्करसिंह धामी की तरह कदम उठाएंगे? छत्तीसगढ़ और उत्तराखंड में कुछ समानताएं भी हैं। दोनों राज्य एक साथ बने हैं और दोनों ही भाजपा शासित राज्य हैं। पिछले दिनों कांग्रेस के नेता और रायपुर के पूर्व महापौर प्रमोद दुबे ने सोशल मीडिया (फेसबुक) में एक पोस्ट डालकर सीधे -सीधे एक कलेक्टर पर जमीन के खेल में शामिल होने का आरोप लगा दिया है। उन्होंने लिखा है ” कलेक्टर मठ की जमीन लेकर वापस कर दें, जिनके मातहत काम करने वाले एडिशनल कलेक्टर से लेकर पटवारी तक को जमीन मिल गई हो, तो जांच क्या खाख होगी? आमतौर पर मुआवजा वितरण में कलेक्टर सीधे जिम्मेदार नहीं होते,पर जिले के मुखिया के नाते निगरानी की भूमिका रहती है। माना जाता है कि अधीनस्थों पर उनका पूरा नियंत्रण होना चाहिए और कोई गड़बड़ी न कर पाए। गड़बड़ी के लिए कलेक्टर को ही नैतिक जिम्मेदार माना जाता है। अब कलेक्टर ही खेल में शामिल हो जाय तो फिर नैतिकता चूल्हे में गई,इसलिए छत्तीसगढ़ में भी उत्तराखंड की तरह कार्रवाई की बात होने लगी है। भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण में 500 करोड़ के खेला की बात हो रही है। भारतमाला परियोजना में मुआवजा वितरण की निगरानी रायपुर के कलेक्टर को करनी थी। भारतमाला परियोजना का जब मुआवजा बांटा जा रहा था, तब यहां जो अफसर कलेक्टर थे, आजकल दूसरे जिले की कलेक्टरी का आनंद ले रहे हैं और भाजपा के एक बड़े नेता का उन्हें आशीर्वाद है। कलेक्टर साहब का तब एक एडिशनल कलेक्टर से गठजोड़ बड़ी चर्चा में था। कहते हैं कि कलेक्टर साहब और एडिशनल साहब जिले दर जिले साथ भी चले। अब देखते हैं प्रमोद दुबे का वार कितना असरकारक होता है।

अभिषेक सिंह बनेंगे प्रदेश महामंत्री ?
चर्चा है कि पूर्व मुख्यमंत्री और विधानसभा अध्यक्ष डॉ रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को संगठन में लिया जाएगा। खबर है कि उन्हें महामंत्री बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है कि जल्द ही प्रदेश संगठन में फेरबदल होना है। प्रदेश संगठन के कई पदाधिकारियों को निगम-मंडलों का अध्यक्ष बना दिया गया और वे दोहरे प्रभार संभाल रहे हैं। अभिषेक सिंह 2014 से 2019 तक राजनांदगांव के सांसद रहे हैं। भाजपा ने 2019 में उनका टिकट काटकर संतोष पांडे को उम्मीदवार बना दिया। संतोष पांडे लगातार दो बार से राजनांदगांव से सांसद हैं, पर भाजपा ने 2019 के बाद अभिषेक सिंह को किसी तरह की जिम्मेदारी नहीं दी है। कहते हैं अब पार्टी उनके बारे में सोच रही है।

मुख्य सचिव चयन की उलटी गिनती
मुख्य सचिव अमिताभ जैन का कार्यकाल 30 जून को समाप्त हो जाएगा, ऐसे में छत्तीसगढ़ के नए मुख्य सचिव के चयन के लिए अब एक हफ्ते का समय शेष रह गया। पहले अमिताभ जैन को सेवावृद्धि देने की चर्चा थी, पर अब लगता नहीं, उन्हें सेवावृद्धि मिलेगी, क्योंकि भाजपा के कुछ नेताओं ने ही उनकी शिकायत दिल्ली कर दी है। इस कारण माना जा रहा है छत्तीसगढ़ को 30 जून को नया मुख्य सचिव मिलेगा। नए मुख्य सचिव के लिए अमित अग्रवाल, सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ का नाम चर्चा में है। अमित अग्रवाल अभी दिल्ली में भारत सरकार में सचिव हैं। सुब्रत साहू और मनोज पिंगुआ दोनों छत्तीसगढ़ में हैं। सुब्रत साहू कांग्रेस शासन में मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव थे। इस कारण विष्णुदेव साय की सरकार ने शुरूआती दिनों में उन्हें सरकार के मुख्यधारा से हटा दिया था, पर समय के साथ उन्होंने सरकार में अपनी स्थिति सुधार ली। अभी वे प्रशासन अकादमी के महानिदेशक के साथ अपर मुख्य सचिव सहकारिता भी हैं। भूपेश बघेल के करीबी रहे कई आईएएस विवादों या मामलों में उलझ गए हैं, पर सुब्रत साहू अपने को पाक-साफ रखने में कामयाब रहे हैं। मनोज पिंगुआ साफ़-सुथरे और सरल-सहज हैं। अभी वे अपर मुख्य सचिव गृह हैं। माना जा रहा मुख्य सचिव का फैसला दिल्ली से होगा। राज्य से राय ली जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री की नजर में कोई अफसर होगा तो वह आईएएस मुख्य सचिव बन जाएगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान और ओडिशा में चीफ सेक्रेटरी दिल्ली से ही भेजे गए। कहा जा रहा है कि दिल्ली के कुछ नेता और अफसर सुब्रत साहू के लिए लाबिंग कर रहे हैं। मनोज पिंगुआ आदिवासी हैं और उन्हें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की पसंद बताया जा रहा है।

गृह विभाग की चूक या कुछ और
कहते हैं गृह विभाग ने 2020 बैच के सीधी भर्ती वाले आईपीएस अफसर चिराग जैन को प्रमोशन देना भूल गया है। चिराग जैन अभी भी दुर्ग में सीएसपी के पद पर कार्यरत हैं। 2020 बैच के आठ आईपीएस अफसर छत्तीसगढ़ में हैं। इनमें सात आईपीएस अफसर एएसपी प्रमोट हो गए हैं। बताते हैं सरकार ने 2020 ही नहीं, 2021 बैच के नौ आईपीएस अफसरों को भी एएसपी बनाकर अलग-अलग जिलों में तैनात कर दिया है। चिराग जैन के प्रमोशन न होने को कुछ लोग सरकार की चूक मान रहे हैं, तो कुछ लोग और ही कारण बता रहे हैं, पर चिराग जैन का प्रमोशन न होना चर्चा का विषय है।

शिवप्रकाश की मंत्रियों को खरी-खरी
कहते हैं कि 18 जून को मंत्रियों और विधायकों की बैठक में भाजपा के राष्ट्रीय सह महामंत्री (संगठन ) ने राज्य के कई मंत्रियों को खरी-खरी सुनाई और उन्हें धरातल में रहने की हिदायत दी। खबर है कि शिवप्रकाश ने भ्रष्टाचार का भी जिक्र किया और संकेत दिए कि सभी पर संगठन की नजर है। चर्चा है कि कई मंत्रियों के व्यवहार और कार्यशैली से विधायकों -कार्यकर्ताओं की नाराजगी का भी उन्होंने जिक्र किया और कार्यकर्ताओं से मेल-मुलाकात की भी सलाह दी। बताते हैं कि शिवप्रकाश के निशाने पर कई मंत्री थे। उन्होंने विधायकों को भी जमीन न छोड़ने का मशविरा दिया। बताते हैं कि शिवप्रकाश की हिदायत के बाद मंत्रियों में खलबली है। अब देखते हैं कितने दिन तक शिवप्रकाश जी की घुड़की काम आती है। मंत्री -विधायकों की बैठक में भाजपा नेताओं के साथ संघ के पदाधिकारी भी मौजूद थे।

कटघरे में कप्तान
छत्तीसगढ़ के मोहला-मानपुर-चौकी के एसपी और 2013 के आईपीएस यशपाल सिंह इन दिनों कटघरे में हैं। यशपाल सिंह की भर्ती बीएसएफ में हुई थी। यशपाल सिंह का बीएसएफ से छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस सेवा में समायोजन और फिर आईपीएस पदोन्नति को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने संज्ञान में लिया है। सोशल एक्टिविस्ट विवेक कुमार सिंह की शिकायत पर यशपाल सिंह के मामले में गृह मंत्रालय ने जांच और आवश्यक कार्रवाई के निर्देश दिए हैं। गृह मंत्रालय ने छत्तीसगढ़ के मुख्य सचिव और यूपीएससी के सचिव को पत्र लिखा है। मामले की समीक्षा होती है, तो यशपाल सिंह की मुसीबत बढ़ सकती है। 2017 में छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस सेवा के अधिकारियों ने यशपाल सिंह के संविलियन और आईपीएस अवार्ड को लेकर विरोध किया था, तब छत्तीसगढ़ के एक भाजपा नेता और उत्तरप्रदेश के भाजपा नेता के दबाव में सरकार आ गई और यशपाल सिंह के बल्ले-बल्ले हो गए। 2017 में राज्य में भाजपा की ही सरकार थी। अब एक बार फिर यशपाल सिंह को लेकर छत्तीसगढ़ राज्य पुलिस सेवा के अफसरों में नाराजगी की लहर फूटने लगी है। चर्चा होने लगी है बैक डोर एंट्री वालों को जिले की कमान और मूल निवासियों को बटालियन की जिम्मेदारी।

कांग्रेस में भूपेश बघेल भारी
कहते हैं जब कांग्रेस सत्ता में होती है तो मुख्यमंत्री की ही चलती है। प्रदेश अध्यक्ष साइड लाइन में रहता है, पर जब वह सत्ता में नहीं होती तो प्रदेश अध्यक्ष और नेता प्रतिपक्ष की भूमिका अहम हो जाती है। पर भाजपा सरकार पर वार में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज और नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत से आगे नजर आते हैं। दीपक बैज और डॉ चरणदास महंत सरकार पर वार तो करते हैं , पर भूपेश बघेल ऐसे मुद्दे उछाल देते हैं , जिससे वे सुर्ख़ियों में आ जाते हैं। भूपेश बघेल जब मुख्यमंत्री थे, तब भाजपा की तरफ से पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमनसिंह ज्यादा वार करते थे। लड़ाई सरकार विरुद्ध डॉ रमनसिंह चली। अब लगता है सरकार विरुद्ध भूपेश बघेल हो गई है। बघेल राष्ट्रीय महासचिव और पंजाब प्रभारी हैं, पर छत्तीसगढ़ के मामले में सुरसुरी छोड़ देते हैं और राजनीति में गर्माहट पैदा कर देते हैं।
(लेखक स्वतंत्र पत्रकार और पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक हैं।)

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