जहां कभी काला झंडा लहराता था,.. वहां आज तिरंगे ने गढ़ा नया इतिहास.. 29 गांवों ने मनाया असली स्वतंत्रता दिवस”

बस्तर संभाग….देश के आजादी के 79वें पर्व ने इस बार बस्तर संभाग के 29 गांवों के लिए ऐतिहासिक मायने रखे। ये वही गांव हैं, जो कभी नक्सलवाद के कब्जे में थे, जहां लोकतंत्र नहीं बल्कि बंदूक का शासन चलता था। आजादी के बाद पहली बार इन गांवों में नक्सलियों के काले झंडे की जगह गर्व से तिरंगा लहराया गया।
सालभर में बदल गया माहौल
बीजापुर, सुकमा और नारायणपुर जिलों के इन इलाकों में सुरक्षा बलों ने पिछले एक साल में बड़े ऑपरेशन चलाए। नक्सलियों के गढ़ में घुसकर कई मुठभेड़ों में उन्हें खदेड़ा गया और अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा कैंप स्थापित किए गए। बीजापुर जिले का पुजारी कांकेर, जिसे नक्सलियों का सबसे सुरक्षित ठिकाना माना जाता था, अब फोर्स की मौजूदगी में आजादी का जश्न मना रहा है। कोंडापल्ली और जिडपल्ली जैसे गांवों में भी दहशत का साया कम हुआ है।
गांव-गांव में पहली बार आजादी का जश्न
बीजापुर के 11, नारायणपुर के 11 और सुकमा के 7 गांवों में 15 अगस्त की सुबह पहली बार तिरंगा लहराया गया। ग्रामीणों ने हाथों में तिरंगा थामा, “भारत माता की जय” के नारों के साथ जश्न मनाया और दशकों से महसूस की जा रही बंदूक की दहशत से मिली आजादी का उत्सव मनाया।
बस्तर में ध्वजारोहण के मुख्य आयोजन
संभागीय मुख्यालय जगदलपुर के लाल बाग मैदान में केंद्रीय राज्य मंत्री तोखन साहू ने ध्वजारोहण किया, जबकि दंतेवाड़ा में भाजपा प्रदेश अध्यक्ष एवं जगदलपुर विधायक किरण सिंहदेव ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया।
यह 15 अगस्त न केवल देश की आजादी का पर्व बना, बल्कि नक्सल प्रभावित इन गांवों के लिए सच्चे मायनों में स्वतंत्रता का दिन साबित हुआ — जब बंदूक की जगह हाथों में तिरंगा था और काले झंडे की जगह आसमान में लहराता भारत का गौरव।