Rajasthan: न्यायिक आदेशों की अवहेलना पर हाईकोर्ट सख्त, राजस्थान के 14 अधिकारियों को अवमानना नोटिस
राजस्थान हाईकोर्ट ने नौकरशाहों के न्यायालय के आदेशों की परवाह नहीं करने पर सख्ती अपनाई है।

Rajasthan: राजस्थान हाईकोर्ट ने न्यायिक आदेशों की अवहेलना के मामलों में कड़ा रुख अपनाते हुए राज्य के 14 नौकरशाहों को अवमानना नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है।
इन अधिकारियों में मुख्य सचिव सुधांश पंत, प्रमुख सचिव सुबीर कुमार, दिनेश कुमार, जोगाराम, जयपुर कलेक्टर जितेंद्र कुमार सोनी, आईपीएस अधिकारी सागर और अमित कुमार सहित अन्य वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी शामिल हैं। अदालत ने स्पष्ट किया कि न्यायिक आदेशों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी और दोषियों के खिलाफ आवश्यक कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
हाईकोर्ट का स्वतः संज्ञान, मुख्य सचिव से जवाब तलब
हाईकोर्ट की पूर्णपीठ के निर्णय को एक वर्ष से ठंडे बस्ते में डालने को गंभीरता से लेते हुए अदालत ने इस पर स्वतः संज्ञान लिया है। न्यायालय ने मुख्य सचिव सुधांश पंत, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और प्रमुख विधि सचिव से इस मामले में जवाब मांगा है। यह मामला तब सामने आया जब जयपुर जिले के हाडोता गांव में चरागाह भूमि पर चारा वाहनों को खड़ा करने के आदेश की अनदेखी की गई।
अवमानना के विभिन्न मामलों में हाईकोर्ट का कड़ा रुख
हाईकोर्ट ने 8 नवंबर 2024 को दिए गए आदेश की अनुपालना नहीं होने पर जयपुर कलेक्टर, राजस्व विभाग, पंचायती राज विभाग के सचिव, पुलिस उपायुक्त सहित अन्य अधिकारियों को नोटिस जारी किया है।
इसके अलावा, राजस्थान ट्रांसपेरेंसी इन पब्लिक प्रोक्योरमेंट एक्ट के प्रावधानों के उल्लंघन को लेकर भी मुख्य सचिव सुधांश पंत और खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग के प्रमुख सचिव सुबीर कुमार से चार सप्ताह में जवाब मांगा गया है।
अधिकारी अदालत में पेश होकर मांग रहे माफी
इस पूरे मामले में कई वरिष्ठ अधिकारी अदालत में पेश होकर बिना शर्त माफी मांग चुके हैं। प्रमुख आयुर्वेद सचिव भवानी सिंह देथा और वित्त विभाग के संयुक्त सचिव एजाब नबी खान ने न्यायालय में पेश होकर अपनी गलती स्वीकार की, जिसके बाद हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ अवमानना का मामला निस्तारित कर दिया। इसी तरह, जैसलमेर कलेक्टर प्रताप सिंह चौहान ने भी हाईकोर्ट में माफी मांगकर राहत प्राप्त की।
राजकीय अधिवक्ता की नियुक्ति पर सवाल
हाईकोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि बिना उचित कारण के राजकीय अधिवक्ता की नियुक्ति को रोकना भी अवमानना की श्रेणी में आता है। न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार, हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल, प्रमुख विधि सचिव और अधिवक्ता ब्रह्मानंद सांदू से 2 अप्रैल तक जवाब मांगा है। अदालत ने यह भी कहा कि अधिवक्ता पद खाली होने के कारण आपराधिक मामलों की सुनवाई बाधित हो रही है, जिससे न्याय प्रक्रिया प्रभावित हो रही है।