Holi Bhai Dooj 2025: तिलक का शुभ मुहूर्त, विधि और धार्मिक महत्व

Holi Bhai Dooj 2025:होली के रंगों के साथ भाई-बहन के प्रेम को समर्पित भाई दूज का पावन पर्व भी बड़ी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। साल में दो बार आने वाला यह त्योहार भाई-बहन के रिश्ते की गहराई को दर्शाता है।
Holi Bhai Dooj 2025:दिवाली के बाद मनाए जाने वाले भाई दूज की तरह ही होली के बाद आने वाला भाई दूज भी अत्यंत शुभ और पवित्र माना जाता है। इसे चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है, जिसे भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है।
इस वर्ष भाई दूज की तिथि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई थी, लेकिन पंचांग के अनुसार अब तिथि और शुभ मुहूर्त स्पष्ट हो गया है।
कब मनाई जाएगी होली भाई दूज 2025?
इस साल भाई दूज का पर्व 16 मार्च 2025 को मनाया जाएगा, क्योंकि चैत्र कृष्ण द्वितीया तिथि 15 मार्च को दोपहर 2:33 बजे शुरू होकर 16 मार्च को शाम 4:58 बजे समाप्त होगी। ऐसे में 16 मार्च को सुबह से लेकर शाम 4:58 बजे तक तिलक लगाना अत्यंत शुभ माना जा रहा है।
भाई दूज की पूजा विधि और मंत्र
इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उनके दीर्घायु और समृद्ध जीवन की कामना करती हैं। तिलक बनाने के लिए लाल चंदन, गंगाजल, हल्दी और चूना मिलाकर विशेष मिश्रण तैयार किया जाता है।
साथ ही अक्षत और मिठाई को थाली में रखा जाता है। पूजा विधि के अनुसार, सबसे पहले भगवान विष्णु के चरणों में तिलक अर्पित करना चाहिए और 27 बार “ऊं नमो नारायणाय” मंत्र का जाप करना चाहिए। इसके बाद भाई को उत्तर-पूर्व दिशा में किसी ऊंचे स्थान पर बैठाकर सिर पर कपड़ा या रुमाल रखा जाता है और फिर तिलक, अक्षत और मिठाई अर्पित की जाती है।
भाई दूज का धार्मिक महत्व
शास्त्रों के अनुसार, इस पर्व का संबंध यमराज और यमुना जी की कथा से है। मान्यता है कि यमराज इस दिन अपनी बहन यमुना के घर भोजन करने गए थे और प्रसन्न होकर उन्होंने यह वरदान दिया कि जो भाई इस दिन अपनी बहन के घर भोजन करेगा, वह अकाल मृत्यु के भय से मुक्त होगा। यही कारण है कि इस दिन भाई अपनी बहनों के घर जाकर तिलक करवाते हैं और भोजन ग्रहण करते हैं।
भाई-बहन के अटूट प्रेम का प्रतीक पर्व
भाई दूज केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक भावनात्मक बंधन है, जो भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है। यह पर्व स्नेह, आशीर्वाद और रक्षा के संकल्प को समर्पित होता है। होली के रंगों के बीच इस पावन पर्व का विशेष महत्व होता है, क्योंकि यह रिश्तों में प्रेम, अपनापन और आदर को और अधिक गहरा करता है।