Chhattisgarh

CG NEWS:व्याख्याता से प्राचार्य प्रमोशन और डी.एड. शिक्षकों की पोस्टिंग में खेला… ? शतरंज की बिसात में कौन खिलाड़ी और कौन मोहरा… ?

CG NEWS:बिलासपुर: (मनीष जायसवाल) । बीते हुए हफ्ते में शिक्षक भर्ती पदोन्नति को लेकर दो बड़ी प्रमुख खबरें चर्चा में रही दोनों का संबंध स्कूल शिक्षा विभाग नवा रायपुर से था। जिसमें पहली खबर व्याख्याता से प्राचार्य प्रमोशन में हुई डीपीसी के बाद हल्ला मचा कि कौवा कान ले कर जा रहा है। सबकी नजर उस अदृश्य कौवे पर थी जो मनचाहा सुविधाजनक स्थान दिलाने की बात कर रहा था। लेकिन किसी को पता नहीं कौवा कौन था ….और कान लेकर गया या नहीं, यह किसी ने नहीं देखा ..। सुनाई दिया सिर्फ हल्ला..।

देखा जाए तो, यदि व्याख्याता से प्राचार्य प्रमोशन में अगर मनचाही जगह की सेटिंग की जाती तो सबसे पहले सवालों के घेरे में स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव का कार्यालय होता उसके बाद लोक शिक्षण संचालनालय में बैठे व्यवस्था के जिम्मेदार लोग संदेह के दायरे में आते हैं। क्योंकि इनकी कलम चले बिना मनचाही जगह तो मिल पाना मुश्किल है ..! इस मामले को एकदम सरल शब्दों में कहा जाए तो  विभाग के अधिकारियों के सहयोग के बिना किसी भी प्रकार का हेर फेर नहीं हो सकता। ऐसे में यदि कोई शिक्षक संघ या शिक्षक नेता अगर लेनदेन करके मनचाही जगह दिलाने की शिकायत या प्रेस नोट जारी कर रहा हो तो यह उड़ता हुआ तीर सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग को ही लगा माना जा सकता है..!

फिर संदेह के घेरे में नवा रायपुर का कार्यालय ही आता है। क्योंकि इस विभाग के सिस्टम में अभी कुछ ऐसे भी लोग जमे हुए हैं। जो पिछली सरकार के कार्यकाल में भर्ती, ट्रांसफर, पोस्टिंग के लिए चर्चा में थे और कुछ तो महत्वपूर्ण पदों पर अब भी जमे हुए है। इसमें में कुछ के कामों की झलक गाहे बगाहे दिखाई सुनाई देती है जो अब अभी बनी हुई है। इनका लोकसभा चुनाव से पूर्व समन्वय में समन्वय नहीं बन पाया नहीं तो सारे रिकॉर्ड टूट जाते हैं।

हालांकि इन उड़ती खबरों से परे यह तो पहले से तय था कि प्राचार्य प्रमोशन काउंसलिंग के माध्यम से ही होगा। जैसा अब तक शिक्षकों के अन्य संवर्ग की पदोन्नति में हुआ है। जिसमें सेटिंग होना बिना संशोधन संभव नहीं..। अब इसी हफ्ते खबरें भी आई हैं कि व्याख्याता से प्राचार्य पदोन्नति काउंसलिंग के माध्यम से ही होगी। इसलिए पदोन्नति पाने वाले व्याख्याताओ को चिंता मुक्त रहना चाहिए।

इसी बीते हुए हफ्ते में शिक्षक भर्ती को लेकर दूसरी बड़ी खबर यह है कि बीएड और डीएड मामले में कोर्ट के आदेश पर डीएड किए हुए अभ्यर्थियों को सेवा में लिया जाना अब तय हो चुका है..। अभ्यर्थियों को स्कूल अलाट कर दिया गया है। दस्तावेज परीक्षण चल रहा है। उसमें भी दिव्यांग कोटे का विवाद सामने आ रहा है। वही शिक्षक की पद स्थापना या स्कूल अलाट के तौर तरीके सवालों के घेरे में है। क्योंकि अभ्यर्थियों को जिला या स्कूल चुनने का अवसर ही नहीं मिला। हो सकता है कि इस विषय में भविष्य में किसी ठोस मंच में सवाल खड़े हो.। उसके बाद बवाल भी हो ..!

इस मामले का सार यह है कि न्यायालयीन निर्देशानुसार सीधी भर्ती से 2023 में बीएड अर्हता के आधार पर चयनित 2621 सहायक शिक्षकों की सेवाएं विभाग की ओर से समाप्त की गई । उनके स्थान पर भर्ती परीक्षा में शामिल डीएड अर्हता धारियों को पांचवे चरण की भर्ती प्रक्रिया में शामिल किया गया है।इस भर्ती में बस्तर और सरगुजा संभाग में सहायक शिक्षक के 2615 पद पर अभ्यर्थियों के रोस्टर एवं मेरिट क्रमानुसार प्राविधिक चयन सूची जारी करते हुए इस 18 मार्च को सीधे पदस्थापना दे दी गई।

जिसके लिए नियम तय किए गए कि जिन जिलों से जितनी संख्या में जिस संवर्ग (अनारक्षित, अ.जा., अ.ज.जा. एवं अ.पि. वर्ग) के अभ्यर्थियों की सेवायें समाप्त की गई है, उस जिले में उतनी ही संख्या में समान संवर्ग के अभ्यर्थियों को भेजा जायेगा।

नियम में यह भी था कि जिस मेरिट क्रमानुसार बी.एड. अर्हताधारी अभ्यर्थी की सेवा समाप्त की गई है तथा उनकी सेवा समाप्ति से जिन शालाओं / जिलों में पद रिक्त हुआ है, उसी मेरिट क्रम के हिसाब से डी.एड. अर्हताधारियों का उन्हीं शालाओं/जिलों में पदांकन किया जायेगा।

नियम का उदाहरण सार्वजनिक करते हुए बताया गया कि यदि जशपुर जिले से अनारक्षित 92, अ.जा. 18, अ.ज. जा. 221 एवं अ.पि.वर्ग 50 कुल 386 सहायक शिक्षकों की सेवाएं समाप्त की गई है तो पांचवे चरण में जशपुर जिले में मेरिट क्रमानुसार अनारक्षित 92, अ.जा. 18, अ.ज.जा. 221 एवं अ.पि.वर्ग 50 कुल 386 अभ्यर्थियों का पदांकन किया जायेगा।

यह भी बताया गया कि शासन के आदेश पर सीधी भर्ती 2023 में सहायक शिक्षक के पांचवें चरण की भर्ती प्रक्रिया के लिए संचालनालय की ओर से अभ्यर्थियों को सीधे ही विद्यालय एवं जिला का आबंटन किया जायेगा।अच्छी बात यह रही कि इस बार यह विवाद खत्म करते हुए तय कार्यकम के अनुसार बस्तर और सरगुजा संभाग में सहायक शिक्षक के 2615 पद पर अभ्यर्थियों के सीधे पदस्थापना दे दी गई।

इस खबर के खास होने की एक और वजह यह भी कि है इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का आदेश और हाई कोर्ट में दाखिल अवमानना याचिका के निर्णय का पालन करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने इतना गोल-गोल घुमाया कि जानकार भी नहीं समझ पाए आखिर हो क्या रह है ..। कोर्ट के आदेश को स्कूल शिक्षा विभाग के अधिकारी समझ क्या रखे थे। ये एक प्रकार से परिस्थितियां न्याय व्यवस्था में बाधा डालने वाली दिखाई दे रही थी,लेकिन न्यायालय के कड़क रुख के बाद अंततः तय हुआ कि पांच फरवरी 2025 को डीएड किए हुए अभ्यर्थियों की पांचवी काउंसलिंग ऑनलाइन होगी जो एक मामले की वजह से कुछ आगे बढ़ा दी गई थी । पर कुछ दिनों बाद जब उस मामले में न्यायालय से क्लीयरेंस मिला उसके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग टाइम पास करता हुआ दिखाई दिया..। बाद में 13 मार्च को प्रेस नोट जारी कर सहायक शिक्षक भर्ती का शेड्यूल जारी किया गया।

इसमें भर्ती तरीका भी ऐसा चुना कि पीएससी में पद विभाजन पद और स्थापना का फार्मूला भी फेल हो जाए। अपनी कलम बचाकर भले ही इनकी सीधे पर स्थापना कर दी गई हो लेकिन 2615 शिक्षकों की भर्ती से जुड़ी अंदरुनी अपुष्ट खबरें तो बहुत सी है।

चलते चलते बीते हफ्ते की दोनों खबरों को अगर शतरंज की बिछी हुई बिसात में दर्शक के रूप में चल रही चालों के आधार पर अनुमान लगाया जाए तो परिस्थितियां कुछ ऐसी बन रही है कि सामने वाला खिलाड़ी यह तय कर चुका है कि बड़ा मोहरा कैसे खुद अपनी चाल में ही मात की ओर घिर जाए ..! अब सवाल उठता है कि सामने वाला खिलाड़ी कौन है और उसके मोहरे कौन-कौन है..! या फिर इन दोनों खबरों का निकलता हुआ निचोड़ परिस्थितियों के बीच पनपा हुआ इत्तेफाक है..! जो अपनी लचर कार्य शैली से उपजा है।

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