उत्तर छत्तीसगढ़ से भाजपा की नई सियासी पटकथा, मैनपाट चिंतन शिविर में बनेगी रणनीति

मैनपाट। छत्तीसगढ़ की राजनीति के केंद्र में अब उत्तर छत्तीसगढ़ तेजी से उभर रहा है और भाजपा इसे आगामी चुनावों की निर्णायक भूमि के रूप में देख रही है।
हालिया विधानसभा और लोकसभा चुनाव में उत्तर छत्तीसगढ़ के मतदाताओं ने भाजपा को जबरदस्त समर्थन देकर सत्ता के द्वार तक पहुंचाया। अब इस क्षेत्र की रणनीतिक अहमियत को ध्यान में रखते हुए भाजपा ने मैनपाट में तीन दिवसीय चिंतन शिविर का आयोजन किया है, जो सोमवार से बुधवार तक चलेगा।
मिली जानकारी अनुसार इतवार रात को प्रदेश के सीएम विष्णुदेव साय ट्रेन से अंबिकापुर रवाना होंगे। मुख्यमंत्री सोमवार और मंगलवार को शिविर में मौजूद रहेंगे।
इस चिंतन शिविर को पार्टी का भावी रोडमैप तय करने वाला मंच माना जा रहा है। संगठन से जुड़े दिग्गज नेताओं की पहले से मौजूदगी और व्यापक तैयारियों ने शिविर को खास बना दिया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा शिविर का उद्घाटन करेंगे, जबकि समापन केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह करेंगे। इस दौरान केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, धर्मेंद्र प्रधान, सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश सहित पार्टी के शीर्ष नेता मार्गदर्शन देंगे।
शिविर में मुख्यमंत्री, मंत्री, सांसद, विधायक, महापौर, जिला पंचायत अध्यक्ष, नगर निगम पार्षद, संगठन पदाधिकारी सहित तमाम जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति में 12 विशेष सत्र होंगे। इन सत्रों में सोशल मीडिया की रणनीति, संवाद कौशल, संगठनात्मक मजबूती, चुनावी प्लानिंग और भाजपा की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने की रूपरेखा तय की जाएगी।
मौसम की चुनौती के बीच संगठन की सतर्कता भी दिख रही है। बीते दो दिनों से उत्तर छत्तीसगढ़ में भारी बारिश हो रही है, लेकिन भाजपा की तैयारियों में कोई कमी नहीं है।
क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, महामंत्री संगठन पवन साय, अनुराग सिंहदेव पहले से ही सरगुजा पहुंचकर व्यवस्थाओं का जायजा ले चुके हैं। मीडिया रिपोर्ट मुताबिक सुरक्षा के लिहाज से जिला प्रशासन ने 3 एसपी, 3 एएसपी, 15 डीएसपी सहित 700 जवानों की तैनाती की है।
राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो चिंतन शिविर से निकला संदेश न सिर्फ भाजपा कार्यकर्ताओं को नई ऊर्जा देगा, बल्कि प्रदेश की राजनीति में नई दिशा भी तय करेगा।
कांग्रेस की बात करें तो प्रदेश में अंदरूनी मतभेद और गुटबाजी के चलते पार्टी मुश्किल दौर से गुजर रही है। ऐसे में भाजपा की आक्रामक रणनीति कांग्रेस के लिए नई चुनौतियां खड़ी कर सकती है।