Chhattisgarh

सिर पर छत, दिल में भरोसा: नक्सल पीड़ित परिवारों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना बनी सहारा.. पढ़ें खबर

बलरामपुर (पृथ्वी लाल केशरी)…हिंसा और असुरक्षा से घिरे इलाकों में जीवन जीना आसान नहीं होता। कई परिवारों के लिए नक्सलवाद केवल एक सुरक्षा चुनौती नहीं, बल्कि रोज़मर्रा की ज़िंदगी पर छाया गहरा संकट है। ऐसे ही एक परिवार की कहानी है सविता यादव की — जिनके पति लखन लाल यादव को नक्सलियों ने पुलिस का मुखबिर बताकर बेरहमी से मार डाला। एक दिन में टूटे सहारे, अनिश्चित भविष्य और भय से घिरे जीवन के बीच उन्हें न सिर्फ रोज़गार और सहारा चाहिए था, बल्कि अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित घर और सामान्य जीवन का सपना भी चाहिए था।

आज वही सपना साकार हुआ है। प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना के अंतर्गत सविता यादव को अपने पक्के घर का लाभ मिला है। समय पर घर बनाकर उन्होंने अपने बच्चों के लिए सुरक्षित छत तैयार की और अपने जीवन को फिर से सँवारने की शुरुआत की। सविता की आँखों में अब डर नहीं, उम्मीद की चमक है। उनका कहना है, “हमारा जीवन सामान्य था। एक दिन हिंसा ने सब छीन लिया। लेकिन अब योजना के तहत मिला यह घर हमें सुरक्षा और आत्मसम्मान दोनों दे रहा है।”

यह सिर्फ एक घर नहीं, बल्कि हिंसा की पीड़ा झेल रहे परिवारों के लिए सामाजिक पुनर्वास का एक माध्यम है। यह योजना नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में दोहरी भूमिका निभा रही है — एक तरफ पीड़ित परिवारों को सुरक्षा और सम्मान देना, दूसरी तरफ आत्मसमर्पित नक्सलियों को मुख्यधारा से जोड़ना। बलरामपुर-रामानुजगंज जिले में अब तक छह आत्मसमर्पित नक्सलियों और 19 नक्सल पीड़ित परिवारों को इस योजना का लाभ मिल चुका है।

विशेषज्ञों का मानना है कि ऐसे पुनर्वास कार्यक्रम केवल राहत नहीं, बल्कि दीर्घकालिक शांति और स्थिरता का आधार बन सकते हैं। जब परिवारों को सुरक्षित वातावरण मिलता है, वे शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार की दिशा में आगे बढ़ते हैं। सामाजिक ताने-बाने में सम्मानजनक जीवन का अवसर मिलने से असुरक्षा की भावना कम होती है और हिंसा की जड़ों को कमजोर करने में मदद मिलती है।

सरकारी प्रयासों की यह पहल दिखाती है कि नीतियाँ तभी सार्थक बनती हैं, जब वे ज़मीनी वास्तविकताओं को समझती हैं और पीड़ित परिवारों के साथ संवेदनशीलता से काम करती हैं। सविता यादव की कहानी उन सैकड़ों परिवारों के लिए प्रेरणा है जो संघर्ष के बीच अपने बच्चों के लिए एक सुरक्षित भविष्य की तलाश कर रहे हैं।

प्रधानमंत्री आवास योजना की सफलता केवल संख्या में नहीं, बल्कि उन चेहरों की मुस्कान में छिपी है जिनकी ज़िंदगी को यह योजना नए सिरे से आकार दे रही है।

Back to top button
close