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Tori sabji benefits: यह सिर्फ एक सब्जी नहीं, बल्कि कई बीमारियों का रामबाण इलाज! तोरई के फायदे जानकर हैरान हो जाएंगे आप

Tori sabji benefits।क्या आप जानते हैं कि आपकी रसोई में मौजूद साधारण सी तोरई (गिलकी) सिर्फ एक स्वादिष्ट सब्जी नहीं, बल्कि सेहत का खजाना है? यह एक ऐसी सब्जी है जो स्वाद के साथ-साथ अनगिनत स्वास्थ्य लाभों से भरी है।

वैज्ञानिक रूप से लुफ्फा एक्युटंगुला के नाम से जानी जाने वाली यह सब्जी भारत समेत कई देशों में पाई जाती है और इसका इस्तेमाल पारंपरिक चिकित्सा में सदियों से होता आ रहा है।

पाचन तंत्र के लिए वरदान (Tori sabji benefits)

तोरई को पाचन तंत्र का मित्र माना जाता है। चरक संहिता में भी इसका उल्लेख एक ऐसी सब्जी के रूप में किया गया है जो भोजन को पचाने में सहायक होती है और रक्त को शुद्ध करती है।

इसमें मौजूद गुण कब्ज, गैस और अपच जैसी पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद करते हैं, जिससे पाचन क्रिया सुचारू रहती है।

मधुमेह (डायबिटीज) में लाभकारी

मधुमेह के मरीजों के लिए तोरई एक बहुत ही फायदेमंद विकल्प है। इसमें प्राकृतिक पेप्टाइड्स पाए जाते हैं जो शरीर में इंसुलिन की तरह काम करते हैं। इसका नियमित सेवन रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने में मदद कर सकता है, जिससे मधुमेह के प्रबंधन में सहायता मिलती है।

शरीर को ठंडक और त्वचा को निखार

गर्मियों के मौसम में तोरई का सेवन विशेष रूप से फायदेमंद होता है। इसमें पानी की मात्रा अधिक होती है, जो शरीर को हाइड्रेटेड रखने के साथ-साथ तापमान को भी नियंत्रित करता है। यह शरीर को ठंडक देती है और डिहाइड्रेशन से बचाती है।

इसके अलावा, इसके प्राकृतिक गुण त्वचा को साफ और सेहतमंद बनाए रखने में भी मदद करते हैं। पारंपरिक उपचारों में त्वचा की समस्याओं और बालों की देखभाल के लिए भी तोरई का इस्तेमाल किया जाता रहा है।

तोरई का एक और अनोखा इस्तेमाल है, इसका प्राकृतिक लूफा के रूप में प्रयोग। जब तोरई बेल पर सूख जाती है, तो उसके अंदर के रेशों का उपयोग नहाने के लूफा के रूप में किया जाता है। यह प्लास्टिक के लूफा का एक प्राकृतिक, पर्यावरण-अनुकूल और बायोडिग्रेडेबल विकल्प है, जो पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता।

अनगिनत बीमारियों में सहायक

तोरई का उपयोग सिर्फ इन फायदों तक सीमित नहीं है। अमेरिकी नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, इसका उपयोग पीलिया, बवासीर, दस्त, सिरदर्द, दाद और कुष्ठ जैसी पुरानी त्वचा संबंधी बीमारियों के इलाज में भी किया जाता रहा है।

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