हाईकोर्ट ने पूछा.. आंगनवाड़ी में नाच गाना होता है..? और सुनाया सख्त फरमान..

बिलासपुर…आंनबाड़ी केंद्र में डीजे का सामान रखे जाने से तीन वर्षीय मासूम मुस्कान महिलांग की मौत के मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है। मुख्य न्यायाधीश रमेश कुमार सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने तीखे शब्दों में शासन से सवाल किया – “आंगनबाड़ी परिसर में डीजे का सामान क्यों रखा गया, क्या वहां नाच-गाना होता है?” अदालत ने घटना को गंभीर लापरवाही बताते हुए बिलासपुर कलेक्टर से व्यक्तिगत शपथपत्र सहित विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
क्या है पूरा मामला
14 अगस्त को सिविल लाइन क्षेत्र स्थित एक आंगनबाड़ी में खेल रही मुस्कान के ऊपर डीजे का लोहे का पाइप गिर गया । गंभीर चोट लगने से बच्ची की मौत हो गई। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मौत की वजह सिर में आई गंभीर चोट को बताया गया। मामला स्पष्ट रूप से सामने आने के बाद डीजे संचालक पर मामला दर्ज हुआ।
जांच में सामने आया कि डीजे संचालक रोहित देवांगन आंगनबाड़ी कर्मचारी का रिश्तेदार है। उसने अपना सामान परिसर में रख छोड़ा था।
मुआवजा बढ़ाने का आदेश
शासन की ओर से बताया गया कि पीड़ित परिवार को 50 हजार रुपये रेड क्रॉस सोसायटी से दिए गए हैं। कोर्ट ने इसे अपर्याप्त मानते हुए ढाई लाख रुपये मुआवजे का आदेश दिया,। दो लाख रुपये अतिरिक्त शासन को तुरंत देने को कहा ।
अदालत को दिया निर्देश
हाईकोर्ट में कलेक्टर बिलासपुर से शपथपत्र सहित विस्तृत रिपोर्ट पेश करने को कहा।जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय करने को कहा। इसके अलावा भविष्य में आंगनबाड़ी केंद्रों में ऐसी घटनाएं रोकने के लिए ठोस कदम उठाने के निर्देश दिए। आरोपी डीजे संचालक और सहयोगियों पर कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी।
जनहित याचिका में तब्दील मामला
हाईकोर्ट ने मामले को स्वतः संज्ञान लेकर जनहित याचिका में तब्दील किया। अदालत ने स्पष्ट किया कि बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। अगली सुनवाई 9 अक्टूबर को होगी।