Bilaspur

सुप्रीम कोर्ट:..सालों से जारी जांच, अचानक गिरफ्तारियां — भूपेश ने सुप्रीम कोर्ट में उठाया सवाल..6 अगस्त को सुनवाई”

नई दिल्ली…छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को सुप्रीम कोर्ट से मिला राहत और असमंजस का मिला-जुला संदेश मिला है। बघेल  की गई दो याचिकाओं में से एक को कोर्ट ने सुनवाई योग्य नहीं माना। दूसरी को महत्वपूर्ण कानूनी प्रश्नों के आधार पर 6 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर लिया गया है।

पहली याचिका: सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट भेजा 

पूर्व मुख्यमंत्री की पहली याचिका में आरोप था कि जांच एजेंसियां आरोप पत्र टुकड़ों में पेश कर रही हैं, जिससे आरोपी को 90 दिन में चार्जशीट दाखिल नहीं होने पर मिलने वाली डिफॉल्ट जमानत का कानूनी अधिकार नहीं मिल पा रहा है

याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने पैरवी करते हुए कहा कि यह प्रक्रिया अभियुक्तों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि इस याचिका को छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाए।

दूसरी याचिका: PMLA की धारा 44 पर सीधा सवाल

भूपेश बघेल की दूसरी याचिका, अब भी सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन है। प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट PMLA की धारा 44 को चुनौती दी गई है। याचिका पर वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने अदालत का ध्यान एक बेहद पेचीदा लेकिन अहम कानूनी प्रश्न की ओर दिलाया:

क्या एक बार चार्जशीट दाखिल हो जाने के बाद भी जांच एजेंसियां बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के जांच को वर्षों तक खींच सकती हैं?

सिब्बल ने कोर्ट को बताया कि देश में इस प्रश्न पर विनय त्यागी बनाम राज्य और अन्य मामलों में परस्पर विरोधी न्यायिक दृष्टांत मौजूद हैं। कुछ फैसलों में कहा गया है कि बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के आगे की जांच नहीं हो सकती,। जबकि अन्य में जांच एजेंसी को स्वतंत्र रूप से जांच जारी रखने की छूट दी गई है।

बिना नियंत्रण के जांच: दंड प्रक्रिया का दुरुपयोग है?

याचिका में यह भी तर्क दिया गया कि छत्तीसगढ़ जैसे मामलों में ED और आर्थिक अपराध शाखा जांच को वर्षों तक लटकाए हुए हैं, और जब राजनीतिक परिस्थिति अनुकूल हो, तब गिरफ्तारी या चार्जशीट की कार्रवाई की जाती है। सिब्बल ने इसे ‘अंतहीन और लक्षित जांच की प्रवृत्ति’ बताया, जिसे न्यायिक दिशा-निर्देशों की आवश्यकता है

6 अगस्त: होगी फैसला पर सुनवाई

खंडपीठ को बताया गया कि PMLA की धारा 44 की संवैधानिकता को लेकर पहले से एक अन्य याचिका लंबित है, जिसकी सुनवाई 6 अगस्त को होनी है। कपिल सिब्बल ने निवेदन किया कि भूपेश बघेल की याचिका को उसी केस के साथ टैग कर लिया जाए, ताकि समान प्रश्नों पर एकसमान न्यायिक व्याख्या हो सके।

तर्क को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बघेल की याचिका को भी 6 अगस्त की सुनवाई सूची में शामिल कर लिया है।

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