चांदी का जग, स्टील की पॉलिश: ईमानदारी की चमक ने भ्रष्टाचार को धो दिया!”

रायपुर.. बातचीत के दौरान हमेशा से अपनी विशेष शैली से लिखने पढ़ने वाले कांग्रेस नेता महेश दुबे उर्फ टाटा महाराज ने एक प्रेस नोट जारी कर सरकार पर इशारों ही इशारों में जमकर कटाक्ष किया है।..
प्रेस नोट में कॉंग्रेस के वरिष्ठ नेता महेश दुबे उर्फ टाटा महाराज ने बताया है कि छत्तीसगढ़ की राजनीति में इन दिनों एक जग सुर्खियों में है — और यह कोई आम जग नहीं है! जग की कीमत है। 32,500 कीमत वाला ऐसा अद्भुत पात्र है जो अब आदिवासियों के घरों में पहुंच चुका है — उन्होंने कहा कि यह जग चांदी में ढला और ईमानदारी से स्टील में पॉलिश किया गया.. और सबसे बड़ी बात की यह जग राजनीति में तपा हुआ है !
कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट किया कि यह कोई घोटाला नहीं, बल्कि ईमानदारी की पराकाष्ठा है। उनका दावा है कि,
“जग की कीमत बिल्कुल जायज़ है। असल में वह चांदी का बना है, लेकिन ऊपर से स्टील की पॉलिश कर दी गई है ताकि आदिवासी भाइयों को लगे कि सरकार साधारण चीज़ें दे रही है — असल में यह तो सरप्राइज़ है!”
बहरहाल महेश दुबे बयान के बाद सोशल मीडिया पर मीम्स और जनता की हँसी की बाढ़ आ गई। कुछ यूजर्स ने लिखा:
“अब से चांदी नहीं, ईमानदारी की पॉलिश बिकेगी — बस रेट सुनकर दिल का बीपी न बढ़े।”
ईमानदारी का नया पैमाना: पॉलिश जितनी महंगी, उतनी नीयत साफ़!
कॉंग्रेस नेता ने आगे कहा कि सरकार की नीयत पर सवाल उठाना रामराज्य का अपमान है। उनके मुताबिक,
“इतनी पारदर्शिता तो रामराज में भी नहीं थी।”
अब जनता यह सोचने पर मजबूर है कि अगर रामराज में भी इतनी पारदर्शिता नहीं थी, तो शायद अगली बार इंद्रलोक में भी CAG ऑडिट भेजना पड़ेगा।
विपक्ष का षड्यंत्र या धातु विज्ञान का चमत्कार?
भाजपा और अन्य विपक्षी दल जहां इसे खुला भ्रष्टाचार बता रहे हैं, वहीं कांग्रेस नेता का दावा है कि विपक्ष स्टील और चांदी में फर्क नहीं कर पा रहा है — यह उनका वैज्ञानिक भ्रम है।
उन्होंने यह भी कहा कि:
“यह मुद्दा राजनीति का नहीं, धातु विज्ञान का है। सरकार ने चांदी दी है, बस ऊपर से थोड़ा चमकाने के लिए स्टील की परत चढ़ा दी — अब अगर विपक्ष इसे भ्रष्टाचार कहे तो यह उनकी आंखों का दोष है, सरकार की नीयत का नहीं।”
पॉलिस की चमक और राजनीति का धुआं
टाटा ने कहा कि आम जनता सोचने पर मजबूर है कि अगर चांदी के ऊपर स्टील की पॉलिश की जा सकती है, तो सच्चाई के ऊपर झूठ की परतें चढ़ सकती हैं?शायद अगली बार जनता को सोने की ईमानदारी पर टेफलॉन कोटिंग में योजनाएं मिलें। महेश दुबे ने एक शेर भी गुनगुनाया जो इस प्रकार है
कातिलों की महफ़िल में गुनहगार कौन है,
हमसे मत पूछिए जनाब, कि ईमानदार कौन है..