देश भक्त अभिनेता भारत कुमार का निधन…पढें एबटाबाद से मुम्बई की यात्रा..बंटवारा में मनोज कुमार ने खोया चाचा और भाई
मनोज कुमार ने भारतीय संस्कृति का विदेशों में फहराया परचम

बिलासपुर—भारतीय सिनेमा के महानायक और महानदेश भक्त अभिनेता मनोज कुमार गोस्वामी ऊर्फ भारत कुमार ऊर्फ हरिकिशन गोस्वामी का 87 साल की उम्र में मुंबई स्थित कोकिलाबेन अस्पताल में निधन हो गया है। मनोज कुमार को देश की जनता राष्ट्रभक्त फिल्म निर्माण के लिए याद करती है। साल 2016 में राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्होने देस विदेश में ना केवल भारत का नाम रोशन किया। बल्कि अनेकोनेक पुरस्कार से सम्मानित भी हुए है।
हरकिशन से भारत कुमार तक यात्रा
नौ अक्तूबर 1956 को फ़िल्मों में हीरो बनने का सपना लिए 19 साल का एक नौजवान दिल्ली से मुंबई आया। 1957 में अपनी पहली फ़िल्म फ़ैशन में 19 साल के युवक ने 80-90 साल के भिखारी का छोटा सा रोल किया। नौजवान का नाम था हरिकिशन गोस्वामी था। जो बाद में मनोज कुमार और भारत कुमार के नाम से विख्यात हुए। .
हरिकिशन यानी मनोज कुमार को साल 1961 में बतौर हीरो ब्रेक ‘कांच की गुड़िया’ में मिला।इसके बाद उन्होने विजय भट्ट की फ़िल्म ‘हरियाली और रास्ता’ में काम किया। इस फिल्म ने मनोज कुमार की ज़िंदगी का रास्ता ही बदल दिया। करीब 40 साल के लंबे फ़िल्मी करियर में मनोज कुमार ने फ़िल्मों में काम के साथ निर्देशन भी किया।
मनोज कुमार अच्छे कहानीकार भी थे। वह ऐसी कहानियाँ लिखते थे जिनसे लोग आसानी से जुड़ाव महसूस कर सकते थे.। उनकी कहानी और फिल्म में सभी वर्ग के दर्शकों के लिए कुछ ना कुछ होता ही था।
मनोज कुमार के करियर में अहम मोड़ साल 1964 में भगत सिंह पर बनी फ़िल्म ‘शहीद’ के साथ आया। यहीं से देशभक्ति की फ़िल्में करने वाले हीरो की छवि बन गयी।
पाकिस्तान से दिल्ली आए..भाई और चाचा की मौत
मनोज कुमार का जन्म अब के पाकिस्तान के ऐबटाबाद में हुआ। जंडियाला शेर खान और लाहौर जैसे इलाक़ों से उनका ताल्लुक़ रहा।बंटवारा के बाद मनोज कुमार का परिवार पाकिस्तान से भारत आया। मनोज कुमार ने बंटवारे का दर्द सहा। बंटवारे के बाद हिंसा में उनके चाचा की मौत हो गयी। पिता के साथ दिल्ली आकर शरणार्थी कैंप में रहे। दिल्ली मेंं दंगा को दौरान जन्म के समय भाई का निधन हो गया। इस दौरान उनके पिता ने समझाया कि कभी भी दंगा या मारपीट से दूर रहना।
भगत सिंह की मां से लिया आशीर्वाद
शुरु में भगत सिंह पर फ़िल्म बनाने का मनोज कुमार का कोई इरादा नहीं था। यद्यपि उन्होने हमेशा कहा कि भगत सिंह उनके बचपन के हीरो थे। उनके बारे में ज़्यादा जानना चाहते थे। इसी खोज में वो दिल्ली और अमृतसर जाते और मद्रास में हिंदू अख़बार की लाइब्रेरी में घंटों रिसर्च करते। बाद में फिल्म बनाया फ़िल्म को सर्वश्रेष्ठ हिंदी फ़िल्म और राष्ट्रीय एकता के लिए नेशनल अवॉर्ड मिला। फिल्म की सफलता के बाद समारोह में मनोज कुमार ने भगत सिंह की माँ को भी बुलाया था। इस दौरान मनोज कुमार ने भगत सिंह की माँ के पैरे छूए थे।.
उपकार बनाने को शास्त्री ने किया प्रेरित
मनोज कुमार को लाल बहादुर शास्त्री ने जय जवान और जय किसान पर फिल्म बनाने को कहा। लाल बहादुर शास्त्री की बात मनोज कुमार में घर कर गयी। मनोज कुमार शास्त्री से मिलने के बाद सुबह दिल्ली से मुम्बई के लिए रवाना हुए। यात्रा के दौरान मनोज कुमार के पास फ़िल्म उपकार की कहानी तैयार हो गयी।उपकार में मनोज कुमार ने सिर्फ़ अभिनय किया पर पहली बार निर्देशन भी किया। महेंद्र कपूर की आवाज़ में 7 मिनट 14 सैकेंड का उपकार फ़िल्म का गाना है ‘मेरे देश की धरती’उगते सूरज, मंदिर की घंटी और तालाब किनारे पानी भरते लोग, खेत में काम करते किसानों के शॉट से शुरु होता ये गाना गांधी, सुभाष, टैगोर, तिलक के आदर्शवाद से लेकर नेहरू के समाजवाद तक ले जाता है.।मनोज कुमार को उपकार के लिए उन्हें फ़िल्मफेयर की ओर से सर्वश्रेष्ठ निर्देशक, सर्वश्रेष्ठ फ़िल्म, सर्वश्रेष्ठ कहानी और सर्वश्रेष्ठ संवाद लिखने का पुरस्कार मिला और साथ ही राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला।
जनता ने बनाया भारत कुमार
हरिकिशन गोस्वामी में दिलीप कुमार ने हीरो की चाहत जगाई। उन्होने अपना नाम दिलीप कुमार की फ़िल्म ‘शबनम’ देखने के बाद मनोज कुमार रख लिया। मनोज कुमार पर्दे पर माला सिन्हा के साथ 1962 में आई ‘हरियाली और रास्ता’ मनोज कुमार के नाम से करियर शुरू किया। पहली सिल्वर जुबली हिट थी। इसके बाद मनोज कुमार ने सायरा बानो, वैजयंतीमाला, आशा पारेख के साथ कई हिट रोमांटिक फ़िल्में कीं.।
मनोज कुमार ने घर लौट रहे अमिताभ बच्चन को फ़िल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ में मौक़ा दिया। जब लोग अमिताभ को नाकामयाबी की ताने दे रहे थे। तब मनोज कुमार ने कहा था कि एक दिन बहुत बड़े स्टार बनेंगे। मनोज कुमार और ‘धर्मेंद्र में गहरी दोस्ती थी।मनोज कुमार ने खुद एक इन्टरव्यू में कहा है कि उनके क़रीबी दोस्तों में राज कपूर, देव आनंद, प्राण भी शामिल हैं।
मनोज कुमार की 1981 में आख़िरी कामयाब फ़िल्म क्रांति थी। उन्होंने अपने आइकन दिलीप कुमार को डाइरेक्ट किया । जिनसे प्रभावित होकर कभी हरिकिशन ने ख़ुद को मनोज कुमार बनाया था। जनता ने मनोज कुमार को भारत कुमार बनाया।