आबकारी कार्यालय में अनुशासन तार-तार: अधिकारी को बंधक बनाकर पीटा..कोई कार्रवाई नहीं

बलरामपुर (पृथ्वीलाल केसरी)..सरकारी व्यवस्था की नींव को हिला देने वाली घटना सामने आई है, जहाँ आबकारी विभाग में कार्यरत दो कर्मचारियों ने अपने ही अधिकारी को दफ्तर में बंद कर बंधक बना लिया और उसके साथ मारपीट की। घटना की सूचना देने के बावजूद विभागीय जिम्मेदार चुप्पी साधे बैठे हैं। यह घटना न केवल अनुशासनहीनता बल्कि प्रशासन की विफलता का सबसे बड़ा उदाहरण बन गई है, जिससे सरकारी तंत्र की कार्यशैली पर गंभीर सवाल उठ रहे हैं।
घटना ने उजागर की सरकारी तंत्र की पोल
आबकारी विभाग के दफ्तर में कार्यालयीन दिनचर्या शुरू होते ही दो मुख्य आरक्षकों ने अपने अधिकारी से विवाद कर दिया। विवाद तब बढ़ा जब अधिकारी ने अनुपस्थिति पर कारण बताओ नोटिस जारी किया। आरोप है कि नाराज कर्मचारियों ने हाथापाई की और अधिकारी को कमरे में बंद कर बंधक बना लिया। मामले की जानकारी पुलिस तक पहुंची, जिसके बाद मौके पर पहुंच अधिकारी को बाहर निकाला गया। लेकिन विभागीय नेतृत्व ने इस घटना पर कोई ठोस प्रतिक्रिया नहीं दी।
जिम्मेदारों की चुप्पी से बढ़ा आक्रोश
पीड़ित अधिकारी ने उच्च अधिकारियों को शिकायत की, परंतु विभागीय प्रमुख ने घटना से अनभिज्ञता जताई और कार्रवाई से पल्ला झाड़ लिया। यह रवैया प्रशासन की संवेदनहीनता को उजागर करता है। एक अधिकारी को अपने ही दफ्तर में बंद कर पीटे जाने के बावजूद उच्च स्तर से कोई जवाब न मिलना व्यवस्था की लापरवाही और आत्मसमर्पण का संकेत है।
अनुशासन पर हमला, कानून व्यवस्था पर प्रश्नचिह्न
यह मामला केवल व्यक्तिगत विवाद नहीं है, बल्कि सरकारी अनुशासन, सुरक्षा और कानून व्यवस्था पर सीधा हमला है। यदि ऐसे मामलों में समय पर कठोर कार्रवाई नहीं की गई तो कार्यालयों में अराजकता फैल सकती है। इससे न सिर्फ कर्मचारियों का मनोबल गिरेगा, बल्कि जनता का भरोसा भी टूटेगा।
कठोर कार्रवाई की माँग
अब समय है कि दोषियों के खिलाफ तुरंत एफआईआर दर्ज कर उन्हें दंडित किया जाए। साथ ही, विभागीय अनुशासन बहाल करने के लिए विशेष निगरानी तंत्र बनाया जाए और जिम्मेदार अधिकारियों से जवाबदेही तय की जाए। लापरवाही करने वालों पर भी कार्रवाई होना चाहिए ताकि ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति न हो।
चेतावनी है यह घटना
यह घटना प्रशासन के लिए चेतावनी है कि अब ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी। यदि समय रहते सख्त कदम नहीं उठाए गए तो सरकारी कार्यालयों में अराजकता आम हो जाएगी। ऐसे में जरूरी है कि उच्च स्तर से जिम्मेदारी तय कर कानून का डर पैदा किया जाए ताकि व्यवस्था पर जनता का भरोसा बना रहे।