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मोर गांव मोर पानी…जल संरक्षण की दिशा कलेक्टर अपील का असर..इंजेक्शन वेल तकनीक से कुएं को बनाया जा रहा पानीदार

मोर गांव मोर पानी महाअभियान..कार्ययोजना से बढ़ाया जा रहा भूजल स्तर

बिलासपुर…जिले में जल संरक्षण और जल संचय को लेकर जिला प्रशासन का व्यापक जारी है। कलेक्टर संजय अग्रवाल के दिशा निर्देश पर मोर गांव मोर पानी महाअभियान के तहत कार्ययोजना तैयार किया जा रहा है। जानकारी देते चलें कि सुशाासन तिहार के दौरान कोटा ब्लाक के आमागोहन में स्थानीय लोगों ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सामने पेयजल की समस्या को रखा। मुख्यमंत्री ने मामले को गंभीरता से जिला प्रशासन को निर्देश दिया। इसी क्रम में कलेक्टर संजय अग्रवाल के मार्गदर्शन में मोर गांव मोर पानी महाअभियान चलाया जा रहा है।
 जानकारी देते चलें कि मुख्यमंत्री के विशेष निर्देश के बाद कलेक्टर की अगुवाई में जिले का जलस्तर बढ़ाने भूजल रिचार्ज की आधुनिक तकनीक इंजेक्शन वेल को अपनाया जा रहा है। तकनीक से गांव को जल संकट से छुटकारा मिलेगा। भविष्य के लिए जल सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।
क्या है इंजेक्शन वेल तकनीक
इंजेक्शन वेल एक ऐसी प्रणाली, जिसमें वर्षा जल को सीधे जमीन के भीतर स्थित जल स्तर तक पहुंचाया जाता है। यह प्रक्रिया पानी के भंडारण से अधिक प्रभावी होती है। हैंडपंप, कुएं और तालाब पुनः जलयुक्त हो जाते है। ग्राम अमागोहन, सोनपुरी में इंजेक्शन वेल तकनीक का उपयोग कर वर्तमान में सूखे तालाबों, पार्काेलेशन टैंक, डबरियों में इंजेक्शन वेल का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य से सतही जल एवं वर्षा जल को तालाब में जमा कर उसे फिल्टर करते हुए साफ पानी से भूजल स्तर को रिचार्ज किया जा रहा है।
जनभागीदारी से मिल रही सफलता
जिला प्रशासन का मोर गांव मोर पानी अभियान को जन आंदोलन के रूप में लिया जा रहा है। जिले में इसके लिए जनजागरुकता का कार्य मनरेगा और एनआरएलएम के दल कर रहे हैं। जिससे भू जल के कम से कम उपयोग और भूजल स्तर को बढ़ाने के प्रयास में जनभागीदारी पर जोर दिया जा रहा है। अब तक विगत 1 माह में ही 54 बोरी बंधान के कार्य नालों में कर लिए गए है। तेज बहाव को कम करते हुए आसपास के भूजल स्तर को बढ़ाया जा सके।
        के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में गर्मी के दिनों में अधिक जल की आवश्यकता वाली फसलों जैसे धान की बुवाई के स्थान पर कम भूजल उपयोग वाले फसलों के विषय में जानकारी दी रही है। जिले में निष्क्रिय बोरवेल को फिर से चालू करने के लिए 159 स्थानों का चिन्हांकन कर सैंड फिल्टर तकनीक का उपयोग किया जा रहा है।
 अभियान को मोर गांव मोर पानी महाअभियान से जोड़कर क्रियान्वित किया जा रहा है। इसके लिए जून माह के पहले सप्ताह में भी अलग अलग क्लस्टर में लगभग 6000 प्रतिभागियों की एक दिवसीय प्रशिक्षण का आयोजन किया गया।

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