प्रभारी तहसीलदार को 3 साल की जेल…एसीबी की कार्रवाई पर कोर्ट की मुहर..अधिकारी ने मांगा था 3 लाख रुपया
ऋण पुस्तिका पर हस्ताक्षर करने के बदले में मांगा तीन लाख

जशपुर/ बिलासपुर—विशेष न्यायाधीश ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत दोषी पाए गए तहसीलदार कमलेश कुमार मिरि को 3 साल का सश्रम कारावास की सजा सुनाया है। कोर्ट ने पचास हजार रुपए का जुर्माना भी लगाया है। बताते चलें कि जशपुर के तत्कालीन तहसीलदार मिरी ने आवेदक से ऋण पुस्तिका पर हस्ताक्षर करने के लिए तीन लाख मांगा। शिकायत के बाद एसीबी ने तहसीलदार को रंगे हाथ धर दबोचा।
जानकारी हो कि 2020 में तहसील कार्यालय जशपुर में नायब तहसीलदार कमलेश कुमार मिरि पदस्थ थे। प्रभारी तहसीलदार रहने के दौरान कमलशे कुमार मिरि ने मनोज कुमार गुप्ता से ग्राम बालाछापर में खरीदी गई जमीन के नामांतरण और ऋण पुस्तिका में हस्ताक्षर करने के लिए 3 लाख रुपए मांगा। मनोज गुप्ता ने मामले की शिकायत एंटी करप्शन ब्यूरो अंबिकापुर में की।
शिकायत के बाद हरकत में आते हुए एसीबी की टीम ने प्रारंभिक जांच में शिकायत को सही पाया। सूक्षमता के साथ जांच पड़ताल के बाद एसीबी की टीम ने 19 अगस्त 2020 को मनोज गुप्ता को 50,000 रुपए के साथ तहसीलदार के पास भेजा। प्लानिंग के तहत जैसे ही नायब तहसीलदार कमलेश मिरी ने रकम अपने हाथों में लिया एसीबी की टीम ने तहसील कार्यालय में धावा बोला। और आरोपी नायब तहसीलदार को रूपयों के साथ धर दबोचा। एसीबी की टीम ने विधिवत कार्रवाई के बाद आरोपी नायब तहसीलदार को गिरफ्तार कर विशेष न्यायालय के सामने पेश किया।
मामले की सुनवाई विशेष न्यायाधीश भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम जशपुर सत्येन्द्र कुमार साहू की अदालत में की गई। अभियोजन पक्ष की तरफ से लोक अभियोजक सीपी सिंह ने मजबूत साक्ष्य और गवाह पेश किया। वकील ने एसीबी की कार्यवाही रिपोर्ट और रासायनिक परीक्षण रिपोर्ट भी कोर्ट के सामने रखा।
मामले में लम्बी सुनवाई के बाद कोर्ट ने 30 जून को आरोपी कमलेश मिरी के किलाफ फैसला सुनाया। कोर्ट ने नायब तहसीलदार को दोषी मानते हुए 3 साल का सश्रम कारावास का फैसला सुनाया। इसके अलावा 50,000 रुपए का जुर्माना भी लगाया। न्यायालय ने कहा कि आरोपी तहसीलदार ने मनोज गुप्ता ने रजिस्ट्री के बाद नामांतरण की प्रक्रिया के लिए तहसील कार्यालय में आवेदन प्रस्तुत किया। अधिकारी ने सरकारी कर्तव्य निभाने के बदले में निजी लाभ की मांग की है।