“छत्तीसगढ़ शिक्षा व्यवस्था पर करारा तमाचा: गुरु जी को नहीं पता ‘eleven’ की स्पेलिंग”.. मुख्यमंत्री कौन ?.. क्या खाक सवारेंगे का देश का भविष्य?

बलरामपुर…छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले से सामने आए एक वायरल वीडियो ने राज्य की प्राथमिक शिक्षा व्यवस्था की भयावह सच्चाई को सामने ला दिया है।
कुसमी ब्लॉक के घोड़ा शोधत प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ एक शिक्षक से जब अंग्रेजी के शब्द “ग्यारह” (eleven) की वर्तनी पूछी गई, तो वे लगातार गलतियां करते रहे, और अंततः खुद ही “शिक्षा के अभाव” की बात स्वीकार कर बैठे।
वायरल वीडियो में क्या है मामला?
वीडियो में शिक्षक ने “eleven” की जगह AVEENE, APAIBENE जैसी गलत वर्तनी लिखी।जब उनसे ‘उन्नीस’ यानी “nineteen” की स्पेलिंग पूछी गई, तो उन्होंने NINTHHTHIN जैसा अस्पष्ट और गलत जवाब दिया।
इतना ही नहीं, शिक्षक छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री और भारत के राष्ट्रपति का नाम भी नहीं बता सके।जब उन्हें पोस्टर दिखाकर बताया गया, तब जाकर उन्होंने पहचान की।
“शिक्षा का अभाव है…” — शिक्षक की स्वीकारोक्ति
सबसे चिंताजनक पहलू यह रहा कि जब शिक्षक से जवाब न बना, तो उन्होंने खुलकर स्वीकार किया कि ‘शिक्षा का अभाव है’।एक शिक्षक का ऐसा सार्वजनिक रूप से कहना, न सिर्फ व्यक्तिगत विफलता, बल्कि शिक्षा विभाग की व्यवस्थागत लापरवाही का भी आईना है।
जनता का सवाल: तो बच्चों का क्या होगा?
वीडियो के सामने आने के बाद जनता के बीच आक्रोश है।लोग पूछ रहे हैं कि जब शिक्षक ही बुनियादी अंग्रेजी, सामान्य ज्ञान और नागरिक पहचान से अनभिज्ञ हैं, तो वे बच्चों को क्या और कैसे पढ़ा रहे होंगे?गलत शिक्षा देकर क्या वे एक पूरी पीढ़ी को अंधकार की ओर नहीं धकेल रहे?
शिक्षकों की भर्ती, प्रशिक्षण, निगरानी पर सवाल
घटना ने उन पैमानों और प्रक्रियाओं की धज्जियाँ उड़ा दी हैं, जिन पर राज्य सरकार शिक्षकों की भर्ती और प्रशिक्षण का दावा करती है। सवाल उठता है कि क्या इन शिक्षकों की कोई मूल्यांकन प्रक्रिया हुई थी? क्या प्रशिक्षण कार्यक्रम केवल कागज़ी खानापूर्ति बनकर रह गए हैं?शिक्षा विभाग की निगरानी प्रणाली आखिर कहां सो रही है?
शिक्षा व्यवस्था की गंभीर चूक: किसकी जवाबदेही
यह घटना केवल एक शिक्षक की भूल नहीं, बल्कि एक समूची शिक्षा व्यवस्था की चूक का प्रतीक है।
बलरामपुर जैसे सीमावर्ती और पिछड़े जिलों में पहले से ही शैक्षणिक संसाधनों की भारी कमी है। अब जब वहाँ के शिक्षक भी अपात्र और अनुत्तरदायी हैं, तो राज्य सरकार की नीतियों की ईमानदारी पर बड़ा प्रश्नचिह्न लग जाता है।
जनता की मांग: सस्पेंशन नहीं, सिस्टम सुधारे
वीडियो वायरल होने के बाद शिक्षा जगत आदमी में है। और सुधि जनों में गहरा आक्रोश है । सुधि जनों ने शिक्षकों को दोबारा भारती की बात पर जोर दिया है । साथी व्यवस्था पर स्थाई निगरानी की बात कही है । आम जनता ने दोहराया है कि समय आ गया है कि नई और गहन प्रशिक्षण कार्यक्रम युद्ध स्तर पर चलाया जाए।