DMF महाघोटाला!…कागजों में बने हॉस्टल, जमीन पर घोटाला ! .. 400 करोड़ डकार गए अफसर-ठेकेदार..FIR दर्ज

कोरबा…छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में खनिज न्यास मद (DMF) फंड से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है। करीब 400 करोड़ रुपये के हेरफेर के इस मामले में आदिवासी विकास विभाग की पूर्व सहायक आयुक्त माया वारियर, तत्कालीन सहायक अभियंता, उप अभियंता, डाटा एंट्री ऑपरेटर और चार ठेकेदारों पर प्राथमिकी दर्ज की गई है। माया वारियर फिलहाल न्यायिक रिमांड में जेल भेजी जा चुकी हैं, जबकि बाकी आरोपी भी जांच के घेरे में हैं।
कांग्रेस शासनकाल में हुआ खेल
जांच रिपोर्ट के मुताबिक यह घोटाला कांग्रेस शासनकाल में हुआ, जब उस समय जिले की कलेक्टर रानू साहू थीं। आरोप है कि उनके संरक्षण में माया वारियर को आदिवासी विकास विभाग में सहायक आयुक्त पद पर पदस्थ किया गया और यहीं से फर्जी कार्य आदेश और भुगतान का खेल शुरू हुआ।
छात्रावास और आश्रम मरम्मत में गड़बड़ी
केंद्र सरकार ने 2021-22 में जर्जर छात्रावासों और आश्रमों की मरम्मत के लिए राशि स्वीकृत की थी। इसके बावजूद उन्हीं कार्यों के लिए DMF फंड से भी समानांतर राशि जारी की गई।
80 लाख रुपये के कार्यों में से चार कार्यों की शुरुआत तक नहीं हुई लेकिन पूरा भुगतान ठेकेदारों को कर दिया गया। जिन कार्यों को कागजों पर पूरा दिखाया गया, वे बेहद निम्न गुणवत्ता के निकले।अधिकारियों ने बिना भौतिक सत्यापन किए कमीशन लेकर भुगतान जारी कर दिया।
34 कार्य, 4 ठेकेदार – करोड़ों की बंदरबांट
जांच में यह खुलासा हुआ कि 34 ठेका कार्यों का आवंटन सिर्फ चार कंपनियों को किया गया ।मेसर्स श्री साई ट्रेडर्स को 9 कार्य का 73.28 लाख का ठेका मिला।।मेसर्स श्री साई कृपा बिल्डर्स को 9 कार्य का 1.14 करोड़, मेसर्स एस.एस.ए. कंस्ट्रक्शन को 6 कार्य का 49 लाख और मेसर्स बालाजी इंफ्रास्ट्रक्चर, कटघोरा को 10 कार्य 1.47 करोड़ का काम दिया गया।
लेकिन विभागीय कार्यालय में इन निविदाओं और भुगतानों से जुड़े एक भी दस्तावेज मौजूद नहीं मिला। भौतिक सत्यापन में करीब 80 लाख रुपये के कार्य सिर्फ कागजों में पूरे दिखाए गए।
डाटा एंट्री ऑपरेटर भी शामिल
ऑनलाइन रिकॉर्ड से छेड़छाड़ कर झूठे प्रमाणपत्र तैयार किए गए। विभागीय इंजीनियरों और डाटा एंट्री ऑपरेटर की मिलीभगत से फर्जी बिल और वाउचर बनाकर भुगतान का रास्ता साफ किया गया।
पुलिस और प्रशासन की कार्रवाई
कलेक्टर के निर्देश पर सिविल लाइन रामपुर थाना में सभी दोषियों के खिलाफ भ्रष्टाचार, आर्थिक अनियमितता और सरकारी दस्तावेज गायब करने का केस दर्ज किया गया है। पुलिस ने आरोपियों से पूछताछ शुरू कर दी है। सूत्रों का कहना है कि जल्द ही और नाम सामने आ सकते हैं।
राजनीतिक तूफ़ान
घोटाले को लेकर राजनीति गरमा गई है। विपक्ष का आरोप है कि इतने बड़े पैमाने पर गबन बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव ही नहीं है। वहीं मौजूदा जिला प्रशासन का कहना है कि –“चाहे अधिकारी हो या ठेकेदार, किसी को छोड़ा नहीं जाएगा। हर दोषी पर कठोर कार्रवाई होगी।”
400 करोड़ से भी ज्यादा का घोटाला
अब तक जांच में 3.83 करोड़ की अनियमितता दस्तावेजों सहित साबित हो चुकी है। लेकिन प्रशासनिक सूत्रों का कहना है कि पूरे जिले में करीब 400 करोड़ रुपये तक की गड़बड़ी सामने आ सकती है। यह छत्तीसगढ़ में DMF फंड से जुड़ा अब तक का सबसे बड़ा घोटाला माना जा रहा है।