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बिलासपुर-रायपुर हाईवे बना गौवध का गलियारा…15 गायें फिर कुचली गईं… 20 दिन में 50 से अधिक मौतें; बेअसर हाईकोर्ट का आदेश

बिलासपुर…छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में गौवंशों की दर्दनाक मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। बिलासपुर-रायपुर नेशनल हाईवे पर बुधवार देर रात एक बार फिर तेज रफ्तार अज्ञात वाहन ने सड़क पर बैठे 16 से अधिक मवेशियों को कुचल दिया, जिसमें 15 गायों की मौके पर ही मौत हो गई और एक घायल है।

घटना हिर्री-सरगांव थाना क्षेत्र के लिमतरा गांव के पास हुई। गुरुवार सुबह जब लोग सड़क पर निकले तो वहां गायों के शव बिखरे पड़े थे और खून से पूरा हाइवे सना हुआ था। यह दृश्य देखकर हर कोई स्तब्ध रह गया।

20 दिन में तीसरी बड़ी घटना, आंकड़ा 50 पार

जानकारी देते चलें कि पिछ्ले 20 दिनों में 50 से अधिक गाय सड़क हादसे का शिकार हो चुकी हैंl14 जुलाई को तेज रफ्तार वाहन ने 22 गायों को कुचला था, जिसमें 17 की मौत हुई थी। अब 30 जुलाई को, 15 गायों की फिर दर्दनाक मौत हो गयी हैंl।प्रशासन की निष्क्रियता के चलते, 20 दिनों में 50 से अधिक गायों की हाईवे पर मौत हो चुकी है। अगर पूरे साल की बात करें तो बिलासपुर जिले में 100 से अधिक गौवंश सड़क हादसों में जान गंवा चुके हैं।

हाईकोर्ट के आदेश बेअसर, प्रशासन लापरवाह

बिलासपुर हाईकोर्ट पहले ही राज्य शासन को निर्देश दे चुका है कि प्रदेश की सड़कों से मवेशियों को हटाया जाए।
चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की बेंच ने इसे पूरे प्रदेश की गंभीर समस्या करार देते हुए राज्य सरकार और NHAI से जवाब मांगा था।

इसके बावजूद न प्रशासनिक अमला सक्रिय हुआ और न ही कोई ठोस निगरानी तंत्र लागू किया गयातखतपुर, मस्तूरी, चकरभाठा, कोटा रोड जैसे इलाकों में हर शाम सड़कें गायों से भर जाती हैं।

गौसेवकों का विरोध, सख्ती की मांग

घटना की जानकारी मिलने के बाद स्थानीय गौसेवकों ने हाईवे पर गायों के शव रखकर विरोध जताया। उन्होंने मांग की कि मवेशी मालिकों पर एफआईआर दर्ज की जाए,lगौशालाएं सक्रिय की जाएं,lऔर सड़क किनारे पशु-रोधी संरचनाएं बनाई जाएं।

जिला प्रशासन की प्रतिक्रिया: FIR का भरोसा

कलेक्टर संजय अग्रवाल ने जानकारी दी कि जिले में धारा 163 प्रभावशील है, जिसके तहतसड़क पर मवेशी छोड़ने वाले गौपालकों पर FIR दर्ज की जा सकती है,lजुर्माने का भी प्रावधान है।

उन्होंने बताया कि अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि सड़कों पर बैठे मवेशियों को हटाने के लिए नियमित कार्रवाई की जाए।

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