CG News: सुप्रीम कोर्ट ने IAS Ranu Sahu को दी सशर्त अंतरिम जमानत

CG News।कोल लेव्ही और डीएमएफ घोटाले में निलंबित IAS Ranu Sahu की एसएलपी पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत व जस्टिस कोटिश्वर सिंह की डिवीजन बेंच में सुनवाई हुई।
याचिका पर सुनवाई करते हुए डिवीजन बेंच ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं, बशर्ते कि वे जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करें। जमानत बांड पेश ना करने पर अंतरिम जमानत का आदेश वापस लेने की चेतावनी भी दी है।
डिवीजन बेंच ने कहा है कि स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाने के लिए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा रहा है। राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि तय तिथि पर अंतरिम जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के आचरण के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत पेश करना होगा।
कोर्ट ने माना कि जांच में समय लगता है और वह इस प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं करना चाहता। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देशित किया है कि याचिकाकर्ताओं को अनावश्यक रूप से हिरासत में न लिया जाए
ईडी प्रवर्तन निदेशालय के वकील ने रिज्वाइंडर पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा है। डिवीजन बेंच ने छत्तीसगढ़ सरकार को जवाब पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय दिया है।
याचिकाकर्ताओं को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, रायपुर द्वारा एफआईआर क्रमांक 3/2024 के तहत गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि उन्होंने आईपीसी की धारा 420, 120बी और धारा 7, 7ए के तहत अपराध किया है। और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 12। चार्जशीट दाखिल करते समय, धारा 384 आईपीसी के तहत अपराध भी जोड़ा गया है। ईडी का आरोप है कि निलंबित आईएएस रानू साहू व राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया ने मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों को कोयला ट्रांसपोर्टरों से जबरन वसूली करने में मदद की और वे मुख्य आरोपी के करीबी सहयोगी रोशन सिंह के साथ मिलकर काम कर रहे हैं। याचिकाकर्ताओं पर संपत्ति अर्जित करने में अवैध धन का निवेश करने का आरोप है, जिसके आय का स्रोत वे संतोषजनक ढंग से नहीं बता पाए हैं।
याचिकाकर्ताओं को शुरू में प्रवर्तन निदेशालय द्वारा ईसीआईआर/आरपीजेड0/09/2022 29.09.2022 में धन शोधन निवारण अधिनियम, 2002 की धारा 3 और 4 के साथ आईपीसी की धारा 384 और 120 बी के तहत अपराधों के लिए गिरफ्तार किया गया था। जब याचिकाकर्ता प्रवर्तन निदेशालय की हिरासत में थे, तब राज्य पुलिस को संबंधित एफआईआर दर्ज करने के लिए रिपोर्ट भेजी गई थी, जो 17.01.2024 को दर्ज की गई।
याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि रानू साहू सहित अधिकतर पिछले 2 वर्षों से अधिक समय से हिरासत में हैं (कुछ को छोड़कर, जिनकी हिरासत अवधि केवल विषयगत एफआईआर में एक वर्ष से कम है, क्योंकि उन्हें प्रवर्तन निदेशक द्वारा गिरफ्तार नहीं किया गया था)। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आगे की जांच की समय लेने वाली प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए और जांच एजेंसी पर जल्दबाजी में चल रही जांच को समाप्त करने का कोई बोझ डाले बिना, हम याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा करना उचित समझते हैं, बशर्ते कि वे जांच एजेंसी और ट्रायल कोर्ट की संतुष्टि के लिए जमानत बांड प्रस्तुत करें।
इन शर्तों का करना होगा पालन
यदि कोई भी याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित करने और/या सबूतों से छेड़छाड़ करने या चल रही जांच में कोई बाधा उत्पन्न करने में शामिल पाया जाता है, तो राज्य को इस तरह के उदाहरण को सहायक सामग्री/शपथपत्र के साथ रिकॉर्ड पर लाने की स्वतंत्रता होगी और उस स्थिति में, राज्य सरकार को इस तरह के उदाहरण को सहायक सामग्री/शपथपत्र के साथ रिकॉर्ड पर लाने की स्वतंत्रता होगी। ऐसी स्थिति में अंतरिम जमानत का संरक्षण वापस ले लिया जाएगा।
स्वतंत्रता और निष्पक्ष जांच के बीच संतुलन बनाने के लिए याचिकाकर्ताओं को अंतरिम जमानत पर रिहा किया जा रहा है। राज्य तय तिथि पर अंतरिम जमानत पर रहने के दौरान याचिकाकर्ताओं के आचरण के बारे में एक रिपोर्ट प्रस्तुत करेगा।
- सख्त शर्तें लागू: नहीं तो अंतरिम जमानत रद्द कर दी जाएगी
- कोई याचिकाकर्ता गवाहों को प्रभावित करता हुआ पाया जाता है।
- कोई याचिकाकर्ता साक्ष्यों के साथ छेड़छाड़ करता पाया जाता है।
- कोई भी याचिकाकर्ता जांच में बाधा उत्पन्न करता है।
यदि उपरोक्त शर्तों में से किसी का भी उल्लंघन किया जाता है, तो राज्य कदाचार की रिपोर्ट करने के लिए सबूत (शपथपत्र, सहायक सामग्री) प्रस्तुत कर सकता है। ऐसे मामले में, अंतरिम जमानत वापस ले ली जाएगी।
रानू साहू की एसएलपी ने इनको भी मिलेगी राहत
निलंबित आईएएस रानू साहू की एसएलपी में सुप्रीम कोर्ट के डिवीजन बेंच के फैसले से कोल लेव्ही स्कैम के मुख्य आरोपी सूर्यकांत तिवारी,राज्य सेवा संवर्ग की निलंबित अधिकारी सौम्या चौरसिया सहित आठ अन्य आरोपियों को राहत मिलेगी। इन आरोपियों को अंतरिम जमानत का लाभ मिलेगा। याचिकाकर्ता रानू साहू के साथ ही इन आरोपियों को भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों व शर्तों का पालन करना होगा।