संगठन सृजन अभियान के बीच कांग्रेस का बड़ा यू-टर्न — अभयनारायण और सीमा पांडे को मिली राहत.. निष्कासन रद्द

बिलासपुर
छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने शुक्रवार को एक अहम फैसला लेते हुए बिलासपुर के दो वरिष्ठ नेताओं — अभयनारायण राय और सीमा पांडे — के निष्कासन आदेश को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब संगठन सृजन अभियान के तहत केंद्रीय पर्यवेक्षक उमंग सिंघार, उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव, धनेश पाटिला और नरेश ठाकुर बिलासपुर में मौजूद हैं।
राजनीतिक विश्लेषक इसे प्रदेश कांग्रेस के भीतर संगठनात्मक एकता का संकेत और बिलासपुर में गुटीय समीकरणों को संतुलित करने की पहल के रूप में देख रहे हैं।
प्रदेश कांग्रेस का आदेश
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज के निर्देश पर जारी आदेश में प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू ने पत्र के माध्यम से स्पष्ट किया —कि जिला कांग्रेस कमेटी द्वारा की गई अनुशासनात्मक कार्रवाई तत्काल प्रभाव से निरस्त की जाती है। यह आदेश तुरंत प्रभावशील होगा। आदेश के साथ ही बिलासपुर में संगठनात्मक स्तर पर नया समीकरण बनता दिखाई दे रहा है।
पृष्ठभूमि: भीतरघात के आरोप और निष्कासन
बता दें कि नगर निगम चुनाव के दौरान भीतरघात के आरोपों के आधार पर जिला कांग्रेस ने अभयनारायण राय और सीमा पांडे को पार्टी से निष्कासित कर दिया था।
इस निर्णय से बिलासपुर कांग्रेस में तीखे मतभेद और असंतोष का माहौल बन गया था।अब निष्कासन निरस्त होने से माना जा रहा है कि प्रदेश नेतृत्व ने स्थानीय मतभेदों पर पट्टी बांधने का प्रयास किया है।
भूपेश बघेल के करीबी रहे
अभयनारायण राय, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के विश्वस्त सहयोगी माने जाते हैं। वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता रह चुके हैं और अरपा परियोजना के संवर्धन में उनकी सक्रिय भूमिका रही है।उनकी वापसी से बिलासपुर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच नया उत्साह दिखता नजर आ रहा है।
संतुलन और एकजुटता का संकेत
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह फैसला संगठन सृजन अभियान के दौरान संतुलन बनाए रखने की रणनीति का हिस्सा है। बिलासपुर में पिछले कुछ समय से गुटबाज़ी और असंतोष की स्थिति थी, जिसे प्रदेश नेतृत्व अब समेटना चाहता है। संगठन की शीर्ष बैठक में चर्चा है कि नगर निकाय और संभावित उपचुनावों को देखते हुए कांग्रेस अपने पुराने और प्रभावी चेहरों को फिर साथ ला रही है।
सियासी संकेत साफ
संगठन सृजन अभियान के इस दौर में निष्कासन रद्द करने का फैसला एक स्पष्ट राजनीतिक संकेत देता है —कांग्रेस नेतृत्व अब “एकजुट संगठन, एक दिशा, एक नेतृत्व” की नीति पर आगे बढ़ना चाहता है।
बिलासपुर जैसे राजनीतिक रूप से संवेदनशील जिले में यह फैसला भविष्य की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।