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बालको चिमनी हादसाः स्पेशल कोर्ट का स्पेशल फैसला..लम्बी सुनवाई के बाद…पांच कम्पनियों को बनाया आरोपी…मृतक परिवार में जगी न्याय की उम्मीद

पन्द्रह साल बाद चीनी कम्पनी को बनाया गया आरोपी

कोरबा…कोरबा स्पेशल कोर्ट ने 15 साल पुराने बालको चिमनी हादसे में पांच कंपनियों को आरोपी बनाया है। तत्कालीन समय हादसे में 40 मजदूरों की मौत हुई थी। आरोपी बनायी गयी पांचों कम्पनियों का नाम बालको, सेपको, जीडीसीएल, बीवीआईएल और डीसीपीएल है।

बताते चलें कि देश के सबसे बड़े औद्योगिक हादसों में एक बालको चिमनी हादसे की सुनवाई कोरबा के स्पेशल कोर्ट में लम्बे समय से चल रही थी। सुनवाई में शुक्रवार को सत्र न्यायालय से 15 साल बाद बड़ा फैसला दिया है। स्पेश कोर्ट ने बालको चिमनी निर्माण कार्य में शामिल पांच प्रमुख कंपनियां बालको, सेपको, जीडीसीएल, बीवीआईएल और डीसीपीएल को आरोपी बनाया  है।

जानकारी देते चलें कि  21 सितंबर 2009 को एल्युमिनियम उत्पादन करने वाली कोरबा स्थित कंपनी बालको में 1200 मेगावाट के निर्माणाधीन पावर प्लांट की चिमनी जमीदोज हो गयी। हादसे में  40 मजदूरों की मौत हो गयी। चिमनी हादसे की सुनवाई 10 साल तक हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगी थी। मामले में सुनवाई कोरबा स्थित स्पेशल कोर्ट में चल रही है। पैरवी कर रहे लोक अभियोजक कृष्ण कुमार द्विवेदी ने बताया कि स्पेशल कोर्ट ने चिमनी निर्माण करने वाली कॉन्ट्रैक्टर और पेटी कांट्रेक्टर के तौर पर कार्यरत चीनी कंपनी सेपको, जीडीसीएल कार्य की निगरानी करने वाली कंपनियों को आरोपी बनाया है।

मामले में लंबी बहस के बाद कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के आवेदन को स्वीकार किया। बताते चलें कि 15 साल पहले हुए हादसे में पुलिस की तरफ से प्रमुख कंपनियों को आरोपी नहीं बनाया गया था । सुनवाई के दौरान लोक अभियोजन ने कोर्ट को बताया कि जब भी  बड़ा औद्योगिक हादसा होता है, हादसे के लिए कंपनी अधिकारियों की गलत बताया जाता है। इसलिए बालकों चिमनी हादसे के लिए कंपनी की जवाबदेही बनती है। स्पेशल कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के आवेदन को ना केवल गंभीरता से लिया। बल्कि चिमनी निर्माण में शामिल पांचों कंपनियों को आरोपी बनाए जाने का फैसला सुनाया।

बताते चलें कि तत्कालीन समय चिमनी निर्माण करने वाली चीनी कंपनी सेपको के तीन अधिकारियों को आरोपी बनाया गया था। कम्पनी के तीनों आरोपी चीनी नागरिक हैं। आरोपियों का नाम वू चुनान, लीव गेक्शन और वांग वेगिन है। तत्कालीन समय पुलिस ने तीनों आरोपियों को गिरफ्तार किया। कई माह जेल में रहने के बाद तीनों जमानत पर जेल से बाहर आए। जेल से छूटते ही तीनों आरोपी अपने देश चीन लौट गए।

कोर्ट ने चीन लौट गए तीनों कम्पनी कर्मचारियों को तलब किया। लेकिन चीनी नागरिकों ने हर बार बीमारी का हवाला देकर कोर्ट में उपस्थित होना तो दूर..बल्कि भारत ही नहीं लौटे। इसके अलावा तत्कालीन समय जांच पड़ताल के बाद हादसे के लिए जिम्मेदार अन्य छोटे अधिकारी और कर्मचारियों को आरोपी बनाया गया था। इनमें अनु महापात्रा, विरर मेहता, दीपक नारंग समेत अन्य का नाम शामिल है। सभी हरियाणा, गुजरात समेत अन्य अलग-अलग राज्यों में काम कर रहे हैं। कुछ छत्तीसगढ़ के लोगों को भी नाम आरोपियों की सूची में रखा गया है। खबर हो कि पन्द्रह साल पहले हादसे में मरने वाले ज्यादातर मजदूर  बिहार, झारखंड के निवासी है। जिन्हें आज भी न्याय का इंतजार है।

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