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“युक्तियुक्तकरण” का मुद्दा दिल्ली क्यों ले गई कांग्रेस…. अभी भी यू-टर्न की उम्मीद…?

नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार द्वारा लाई गई ‘युक्तियुक्तकरण’ (Rationalization) नीति को लेकर कांग्रेस ने कड़ा विरोध जताया है । नई दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव ने दावा किया कि इस नीति के तहत राज्य के लगभग 10,643 स्कूल बंद किए जा रहे हैं, जिसके परिणामस्वरूप लगभग 45,000 शिक्षकों के पद पूरी तरह समाप्त हो जाएंगे । उन्होंने उम्मीद जताई कि युक्तियुक्तकरण की गूंज दिल्ली तक पहुंचने के बाद बीजेपी सरकार इस मुद्दे पर यू-टर्न लेगी ।

 

एआईसीसी में पत्रकारों को संबोधित करते हुए देवेंद्र यादव ने छत्तीसगढ़ को ‘शांति का टापू’ बताया और कहा कि जब से भाजपा सरकार सत्ता में आई है, राज्य में कानून व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है । उन्होंने आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार उजागर करने वाले पत्रकारों की हत्या की जा रही है, सरकारी अस्पतालों में मीडियाकर्मियों पर बंदूकें तानी जा रही हैं, और मीडिया को सरकारी अस्पतालों में प्रवेश से रोकने का ‘तुगलकी आदेश’ भी दिया गया है । यादव ने बस्तर में खनिज संपदा को निजी पार्टियों को बेचे जाने की तैयारी, खाद की कमी से जूझ रहे किसानों की दुर्दशा, और जीएसटी अधिकारियों द्वारा वसूली के कारण लागू ‘इंस्पेक्टर राज’ का भी उल्लेख किया, जिसके चलते अंबिकापुर में व्यापारियों ने बाजार बंद कर दिया था । उन्होंने सरकार के भीतर गृह मंत्री और मुख्यमंत्री के बयानों में विरोधाभास पर भी सवाल उठाया, यह दर्शाते हुए कि राज्य में क्या चल रहा है, यह ‘समझ से परे’ है ।

कांग्रेस नेता ने बताया कि भाजपा ने सत्ता में आने से पहले अपने घोषणा पत्र, जिसे ‘मोदी की गारंटी’ कहा जाता था, में 35,000 शिक्षकों की भर्ती का वादा किया था और दावा किया था कि लगभग 68,000 पद रिक्त हैं । हालांकि, सरकार में आने के बाद, पिछले वर्ष के बजट में 20,000 शिक्षकों की भर्ती की घोषणा की गई थी, लेकिन अब ‘युक्तियुक्तकरण’ नामक एक नई नीति लाई गई है । यादव ने सवाल उठाया कि जब 45,000 पद समाप्त ही कर दिए जाएंगे, तो 20,000 शिक्षकों की भर्ती कैसे की जाएगी ।

उन्होने बताया कि ‘युक्तियुक्तकरण’ नीति के तहत शिक्षक-छात्र अनुपात में महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं:प्राथमिक विद्यालय में पहले प्रति 21 बच्चों पर एक शिक्षक होता था, अब 30 छात्रों पर एक शिक्षक होगा ।मिडिल स्कूल में पहले प्रति 26 छात्रों पर एक शिक्षक होता था, अब 35 छात्रों पर एक शिक्षक होगा ।यादव ने इस नीति को अव्यावहारिक बताया, विशेष रूप से प्राथमिक विद्यालयों के लिए, जहां कक्षा 1 से 5 तक के सभी विषयों को पढ़ाने के लिए केवल एक हेडमास्टर और एक शिक्षक होंगे । उन्होंने बताया कि हेडमास्टर को मध्याह्न भोजन, डाक और अन्य सरकारी कार्यक्रमों में भी भाग लेना पड़ता है, जिससे बच्चों की पढ़ाई प्रभावित होगी।

कांग्रेस का आरोप है कि यह नीति केवल शिक्षकों के पदों को ही समाप्त नहीं कर रही है, बल्कि मध्याह्न भोजन बनाने वाले रसोइयों, सफाईकर्मियों और महिला स्व-सहायता समूह की बहनों के रोजगार पर भी प्रतिकूल प्रभाव डालेगी । देवेंद्र यादव ने कहा कि भाजपा सरकार ने यह ‘अव्यावहारिक फैसला’ लेने से पहले विपक्ष, पालक संघ, शिक्षक संघ, प्रभावितों या अपने जनप्रतिनिधियों से कोई चर्चा नहीं की ।

उन्होंने दूरदराज के क्षेत्रों जैसे बस्तर, सरगुजा और जशपुर के बच्चों के भविष्य पर चिंता व्यक्त की, क्योंकि स्कूलों के बंद होने से उन्हें पढ़ने के लिए 5-7 किलोमीटर दूर जाना पड़ेगा । कांग्रेस ने सरकार के ‘स्कूलों को मर्ज करने’ के दावे को खारिज कर दिया, यह कहते हुए कि 10,643 स्कूलों के डाइस कोड (UDISE code) विलोपित हो रहे हैं, जो उनके बंद होने का प्रमाण है । कांग्रेस का मानना है कि इस नीति के पीछे सरकार की मंशा बच्चों को अशिक्षित रखना है ताकि वे अपनी ‘विचारधारा’ को आसानी से थोप सकें ।इस नीति से लाखों बीएड डिग्रीधारक युवाओं का भविष्य अधर में लटक गया है, जो सरकारी नौकरियों का इंतजार कर रहे थे ।

कांग्रेस पार्टी इस नीति का कड़ा विरोध कर रही है और इसे ‘छात्रों व शिक्षकों के हित के खिलाफ’ बता रही है । देवेंद्र यादव ने दिल्ली में इस मुद्दे को उठाने का कारण बताते हुए कहा कि वे इस गंभीर विषय पर राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा चाहते हैं ताकि भाजपा सरकार पर इस निर्णय को वापस लेने का दबाव बने । उन्होंने मांग की कि ‘युक्तियुक्तकरण’ नीति को तत्काल वापस लिया जाए और पुराने सेटअप को बहाल किया जाए, साथ ही सभी रिक्त पदों पर भर्ती निकाली जाए। कांग्रेस ने इस लड़ाई को ‘सड़क से सदन तक’ लड़ने का संकल्प लिया है और कहा कि वे निरंतर इस पर आंदोलन कर रहे हैं और जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं ।

यादव ने भाजपा को “यू-टर्न सरकार” करार देते हुए उम्मीद जताई कि राष्ट्रीय दबाव के चलते सरकार को यह फैसला वापस लेना पड़ेगा । उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जो संख्याएं (बंद किए गए स्कूल और समाप्त किए गए पद) उन्होंने प्रस्तुत की हैं, वे सरकार द्वारा जारी किए गए डेटा पर आधारित हैं ।

 

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