जिन्हें सबसे पहले मिलनी चाहिए थी, छत… वह आज भी जमीन पर… फरियाद सुनकर रो दिया जनदर्शन…पसरा गया सन्नाटा

बिलासपुर….सरकारी योजनाओं की फेहरिस्त में दिव्यांग गरीब दंपति का नाम न आना, फिर भी उनकी उम्मीदें ज़िंदा रहना—यह सिर्फ़ एक प्रशासनिक लापरवाही नहीं, एक गहरी सामाजिक चूक है। तखतपुर ब्लॉक के ग्राम हरदी निवासी नेत्रहीन जागेश्वर प्रसाद यादव और उनकी पैरों से दिव्यांग पत्नी संगीता यादव ने मंगलवार को जब साप्ताहिक जनदर्शन में पहुँचकर अपनी व्यथा सुनाई, तो वहां मौजूद हर व्यक्ति की आँखें नम हो गईं।
प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत वर्षों से बार-बार आवेदन देने के बावजूद इस अत्यंत जरूरतमंद दंपति को आज तक न तो छत मिली, न ही कोई सुनवाई। जागेश्वर ने बताया कि गांव के अन्य लोगों को आवास मिल चुका है, लेकिन उसे और उसकी पत्नी को हर बार नजरअंदाज किया गया, जबकि दोनों जीवन की बुनियादी सुविधाओं के लिए भी संघर्ष कर रहे हैं।
पैसों की मांग ने तोड़ा भरोसा
और भी चौंकाने वाली बात यह है कि जागेश्वर ने रोजगार सहायक द्वारा पैसे मांगने की भी शिकायत की। मामला सुनते ही जनदर्शन में उपस्थित अधिकारियों ने गंभीर रुख अपनाया और जिला पंचायत सीईओ को जांच के निर्देश दिए।
जनदर्शन में उठीं और भी ज़मीनी समस्याएं
जनदर्शन केवल शिकायत का मंच नहीं रहा, बल्कि यह ग्रामीणों के लिए उम्मीद की डोर भी बना। यहां उपस्थित नगर निगम कमिश्नर अमित कुमार, एडीएम शिवकुमार बनर्जी और अपर कलेक्टर एसएस दुबे ने अन्य समस्याओं पर भी तत्काल संज्ञान लिया।
अधिकारियों ने उनकी भी सुनी फरियाद
रतखंडी पंचायत के बड़े बरर गांव की सरपंच ने जर्जर आंगनबाड़ी भवन को लेकर नई स्वीकृति की मांग की।ईमलीपारा की करीना खांडे ने महतारी वंदन योजना में नाम जुड़वाने और सिलाई मशीन की जरूरत जताई।ग्राम रलिया के रमेश कुमार ने बताया कि पिता की मृत्यु के बाद अधूरा पीएम आवास अब बोझ बन गया है।ग्राम भैंसाझार के ब्रम्हानंद ध्रुवे ने विश्वकर्मा योजना के तहत लोन की राशि की गुहार लगाई।ग्राम मदनपुर के ग्रामीणों ने आवारा पशु प्रबंधन और बिजली खंभा लगाने की मांग की।
इन सभी मुद्दों पर अधिकारियों ने तत्काल विभागीय कार्रवाई के आदेश दिए।