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कही-सुनी : मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ बिगुल पर गरमाई राजनीति

रवि भोई/छत्तीसगढ़ के वित्त मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रवि भगत के हल्ला बोल अभियान से राजनीति गरमा गई है। रवि भगत ने मंत्री ओपी चौधरी के खिलाफ सोशल मीडिया पर आरोप लगाया है। रवि भगत ने सीएसआर फंड के तहत निर्माण और उसके आबंटन को मुद्दा बनाया है। ऐसा आमतौर पर भाजपा में होता नहीं है। रवि भगत के हल्ला बोल से प्रदेश स्तर पर संगठन और सरकार की साख पर आंच आई है। ओपी चौधरी के खिलाफ बयान के बाद पार्टी ने रवि भगत को कारण बताओ नोटिस जारी किया है। हल्ला है कि रवि भगत पर पार्टी कठोर कार्रवाई कर सकती है। माना जा रहा है कि आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए ओपी चौधरी को भाजपा से जुड़े लोग अब तक दिल से स्वीकार नहीं कर पाए हैं। ओपी चौधरी के खिलाफ रवि भगत के हमले को भाजपा के अंतर्कलह के रूप में देखा जा रहा है। ओपी चौधरी रायगढ़ से विधायक हैं और रवि भगत रायगढ़ जिले के लैलूंगा के रहने वाले हैं। रवि भगत ने 2023 के विधानसभा चुनाव में लैलूंगा से पार्टी की टिकट भी मांगी थी। कहा जाता है युवा आदिवासी नेता होने के नाते पार्टी ने रवि भगत को युवा मोर्चे की कमान सौंपी थी। रायगढ़ जिले में अभी ओपी चौधरी को छोड़कर सभी कांग्रेस के विधायक हैं। रायगढ़ जिले में रायगढ़ के अलावा खरसिया, लैलूंगा और धर्मजयगढ़ विधानसभा हैं। ओपी चौधरी अपने विधानसभा में विकास की गंगा बहा रहे हैं। रवि भगत का ओपी चौधरी से लड़ाई में यही मूल कारण है।

मंत्रियों का दिखावा
वैसे तो राजनीति से जुड़े लोग कोई भी कारोबार करें, चुनाव के वक्त घोषणा पत्र में अपना व्यवसाय कालम में अधिकतर नेतागण किसान ही लिखते हैं। अब तक तो नेता लिख देते थे, अब बताने भी लगे हैं कि वे किसान हैं और सोशल मीडिया में किसान रूप का फोटो डालकर नई छवि चमकाने भी लगे हैं। कुछ हफ्ते पहले सोशल मीडिया में छत्तीसगढ़ के राजस्व और खेल मंत्री टंकराम वर्मा का खेत में थरहा (धान के पौधे) ले जाते फोटो वायरल हुआ था। इसके बाद खेत में कुर्सी पर बैठकर थरहा खींचते महिला एवं बाल विकास मंत्री लक्ष्मी राजवाड़े की तस्वीर सुर्ख़ियों में रही। मंत्रियों के किसान होने या मजदूर की तरह काम का दिखावा का मतलब लोगों को समझ नहीं आ रहा है। संवैधानिक पद पर विराजने के पहले नेतागण कोई न कोई काम करते हैं। कोई किसान तो कोई व्यापारी हो सकता है। सरकारी नौकरी वाले भी राजनीति में कदम रख सकते हैं, पर किसान होने का दिखावा क्यों? पहले भी कुछ मंत्रियों का खेतों में काम करने वाला फोटो जनता देख चुकी है। पहले इस तरह के कामों को शालीनता और सहजता के रूप में देखा जाता था। सोशल मीडिया के जमाने में इसे लाइक बटोरने वाला बताया जा रहा है।

दीपक बैज का रमेश बैस प्रेम
छत्तीसगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष दीपक बैज ने भाजपा नेता और महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल रमेश बैस को उपराष्ट्रपति बनाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। यह तो सभी जानते हैं कि नरेंद्र मोदी चौंकाने वाले फैसले लेते हैं और जिसका नाम उछलता है, वह कट हो जाता है। अब दीपक बैज ने उपराष्ट्रपति के लिए रमेश बैस का नाम चलाकर दोस्ती निभाई या दुश्मनी, यह तो चर्चा का विषय है। रमेश बैस अपने पांच साल के कार्यकाल में त्रिपुरा,झारखंड और महाराष्ट्र के राज्यपाल रहे, फिर उन्हें अगला टर्म नहीं मिला। बैस इन दिनों राजनीतिक हासिये पर हैं। छत्तीसगढ़ से किसी को उपराष्ट्रपति बनने का मौका मिलेगा, इसकी संभावना कम ही है। न ही यहां निकट भविष्य में कोई चुनाव है और न कोई जातीय समीकरण दमदार है, जो चुनाव को प्रभावित कर सके।

देवेंद्र यादव अलग राह पर
कहते हैं भिलाई नगर से कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव इन दिनों अलग राह पर चलने लगे हैं। बताते हैं कभी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के काफी करीबी माने जाने वाले देवेंद्र यादव को चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी के विरोध के दौरान नहीं देखा गया। लोग कह रहे हैं वे कहीं बाहर चले गए थे। खबर है कि लोकसभा चुनाव के दौरान ही देवेंद्र यादव ने अपने लिए अलग रास्ता चुन लिया। लोकसभा में बिलासपुर से भाग्य भी आजमाया। इसके बाद वे बलौदाबाजार कांड में चर्चा में आए। देवेंद्र यादव बिहार के प्रभारी सचिव हैं। कुछ महीनों बाद बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं। चर्चा है कि देवेंद्र यादव अपनी अलग छवि बनाकर राजनीति करना चाहते हैं।

आबकारी अफसरों को राहत पर सवाल
शराब घोटाले में नामजद होने के कारण विष्णुदेव साय की सरकार ने 29 आबकारी अधिकारियों को निलंबित कर दिया। ये अफसर गिरफ्तारी से बचने के लिए हाईकोर्ट की शरण में गए। हाईकोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया। हाईकोर्ट से अग्रिम जमानत ख़ारिज होने के बाद भी ऊपर वाले की कृपा से ये अफसर गिरफ्तारी से अभी बचे हुए हैं। शराब घोटाले में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे की गिरफ्तारी के बाद इन अफसरों की आजादी पर सवाल भी उठने लगे हैं। एक जाँच एजेंसी पर भी उंगुली उठने लगी है। भूपेश राज में आबकारी विभाग में मुख्य भूमिका पर रहे एक अफसर की शराब घोटाले में अब तक गिरफ्तारी न होने पर भी लोग तरह-तरह के कयास लगा रहे हैं। बताते हैं अफसर का नाम चार्जशीट में है।

दिल्ली में पैर जमाने में लगे सांसद जी
कहते हैं छत्तीसगढ़ के एक सांसद इन दिनों देश की राजधानी में पैर जमाने में लगे हैं। इसके लिए पूजा-पाठ भी करा रहे हैं। छत्तीसगढ़ में सांसद जी का बड़ा प्रभाव था और उनकी अपने क्षेत्र में तूती बोलती थी। सांसद जी अब वैसा ही प्रभाव दिल्ली में बनाना चाहते हैं। कहते हैं इसके लिए सांसद जी को शून्य से शुरू करना पड़ रहा है। लोकसभा और राज्यसभा को मिलाकर देश में करीब 780 सांसद हैं। इनमें 530 तो लोकसभा के सांसद हैं। अब देखते हैं सांसद जी दिल्ली में कितनी जल्दी अपना प्रभाव कायम कर पाते हैं।

वन्यप्राणी का अगला मुखिया कौन होंगे ?
पीसीसीएफ (वन्य प्राणी) सुधीर अग्रवाल अगस्त में रिटायर हो जाएंगे, ऐसे में चर्चा शुरू हो गई है कि अगला पीसीसीएफ वन्य प्राणी कौन होंगे ? वन विभाग में पीसीसीएफ वन्य प्राणी का अहम रोल होता है और इस पद को वन बल प्रमुख के बराबर का माना जाता है। चर्चा है कि 1989 बैच के आईएफएस तपेश कुमार झा अगले पीसीसीएफ (वन्य प्राणी) हो सकते हैं। तपेश कुमार झा वर्तमान वन बल प्रमुख और प्रधान मुख्य वन संरक्षक श्रीनिवास राव से एक साल वरिष्ठ हैं और अभी उनके पास कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं है। 1990 बैच के आईएफएस अनिल कुमार साहू भी वरिष्ठ हैं। वे अभी छत्तीसगढ़ लघु वनोपज संघ के प्रबंध संचालक हैं।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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