विधानसभा में बेलतरा विधायक की दहाड़..पूछा..राखड़ रजिस्ट्री और रियल एस्टेट का सवाल.. मंत्री ओपी ? ने दिया ऐसा जवाब

बिलासपुर…छत्तीसगढ़ विधानसभा सत्र के दौरान बेलतरा विधायक सुशांत शुक्ला ने क्षेत्रीय विकास, पर्यावरणीय सुरक्षा और शहरी नियोजन से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को सदन में उठाया। उन्होंने फ्लाई ऐश (राखड़) डम्पिंग, कॉलोनाईजर एक्ट और पंजीयन-नामांतरण एकीकृत प्रक्रिया से जुड़े सवालों के माध्यम से सरकार का ध्यान स्थानीय समस्याओं की ओर आकर्षित किया।
राखड़ डम्पिंग पर सवाल—कहां-कहां भरे गड्ढे?
विधायक शुक्ला ने पूछा कि बेलतरा विधानसभा क्षेत्र में फ्लाई ऐश डम्पिंग से गड्ढे भरने का कार्य किन-किन स्थानों पर हुआ है। और वर्तमान में कहां-कहां यह कार्य जारी है। उन्होंने यह भी पूछा कि इन कार्यों के लिए किन ठेकेदारों को कार्यादेश जारी किया गया है । और फ्लाई ऐश के कारण हो रहे प्रदूषण की रोकथाम के लिए सरकार ने कौन-कौन से उपाय किए हैं।
इस पर वित्त मंत्री ओ.पी. चौधरी ने जवाब दिया कि फ्लाई ऐश से भूमि भराव की अनुमति केवल संयंत्रों को दी जाती है। किसी ठेकेदार को नहीं। पर्यावरण संरक्षण के लिए SOP स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर और औद्योगिक अपशिष्ट प्रबंधन एवं निगरानी प्रणाली (IWMS) को प्रभावशील किया गया है। साथ ही, स्थल निरीक्षण के दौरान नियम उल्लंघन पाए जाने पर पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति अधिरोपित की जाती है। मंत्री ने यह भी बताया कि वर्ष 2023-24 से जून 2025 तक बेलतरा क्षेत्र में फ्लाई ऐश संबंधित कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है।
कॉलोनाईजर एक्ट पर भी मांगी स्पष्टता
शुक्ला ने कॉलोनाईजर एक्ट से जुड़ी प्रक्रिया को लेकर भी प्रश्न किए। उन्होंने पूछा कि विकास अनुज्ञा देने का नियम क्या है। क्या कॉलोनाईजर को अन्य की भूमि को मुख्य मार्ग दिखाकर अनुमोदन मिल सकता है?रायपुर जैसे शहरी क्षेत्रों में ऐसे कितने मामलों में मंजूरी दी गई?
जवाब में मंत्री ने बताया कि छत्तीसगढ़ में कॉलोनाईजरों से संबंधित नियमन छ.ग. नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973, भूमि विकास नियम 1984, और कॉलोनाईजर नियम 2013 व 1999 के तहत होता है। नियमों के अनुसार, किसी अन्य की भूमि का उपयोग मुख्य मार्ग के रूप में करके विकास अनुज्ञा प्रदान नहीं की जा सकती। नगर तथा ग्राम निवेश द्वारा स्पष्ट निर्देश जारी किए गए हैं।
रजिस्ट्री और नामांतरण को लेकर नया सवाल
विधायक शुक्ला ने अचल संपत्ति क्रय-विक्रय के प्रकरणों में रजिस्ट्री और नामांतरण की संयुक्त प्रक्रिया के क्रियान्वयन की भी जानकारी मांगी। उन्होंने पूछा कि योजना लागू होने के बाद अब तक कितने दस्तावेजों का एक साथ पंजीकरण और नामांतरण हुआ है।
जवाब में वित्त मंत्री ने बताया कि प्रदेश में यह योजना लागू कर दी गई है और जून 2025 तक कुल 37,698 दस्तावेजों का पंजीकरण हुआ है। इनमें बड़ी संख्या में दस्तावेजों में एक साथ नामांतरण की प्रक्रिया भी पूरी की गई है।