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एक दिन में..16 सूर्योदय,16 सूर्यास्त का नजारा..प्रेस कांफ्रेंस में सुनीता ने बताया..भारत महान..ऐसा दिखता है हमारा हिमालय

सुनीता विलियम्स ने बताया कि भारत आएँगी..इनसे करेंगी मुलाकात

बिलासपुर—अंतरिक्ष से लौटने के बाद एस्ट्रोनाट सुूनीता विलियम्स पहली पर सार्वजनिक रूप से सबके सामने पत्रकारों के माध्यम से सामने आयी। प्रेस वार्ता में सुनीता के साथ सहयोगी अंतरिक्ष यात्री बुच बिलमोर और निक हैंग भी थे। टेक्सस स्थित जानसन स्पेस सेन्टर में आयोजित प्रेसवार्ता में सुनीता विलियम्स ने अंतरिक्ष में बिताए अपने 9 से अधिक समय के अनुभवों को साझा किया। इस दौरान उन्होने धरती और भारत के बारे में भी नई नई जानकारी दी। 

सूनीता ने बताया कि एक सवाल के जवाब में बताया कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन से भारत शानदार दिखता है। जब भी हम हिमालय के ऊपर से गुज़रे बुच ने शानदार तस्वीरें ली हैं। भारत के बारे में पूरी तरह से कहूं तो मेरे दिमाग में ऐसी छवि है कि यह रोशनी का एक नेटवर्क है। जो बड़े शहरों से छोटे शहरों की तरफ जाती है. रात में इसे देखना बेहतरीन है। दिन में भी देखना शानदार है, हिमालय के बारे में मैंने आपको बताया ही है।

उन्हें उम्मीद है कि भारत आएँगी

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के साथ अपनी विशेषज्ञता साझा करने और भारत आने के बारे में पूछने पर उन्होंने कहा,भारत मेरे पिता का घर है। वहां लोगों से मिलना अच्छा रहेगा और भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों से भी मिलना होगा जो स्पेस में जाने वाले हैं. उनके साथ इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के अनुभव साझा करना अच्छा लगेगा। सुनीता ने दुहराया कि भारत महान देश है, और स्पेस की दुनिया में कदम बढ़ाना चाहते हैं, मुझे उसमें सहयोग करके खुशी होगी.। उन्हें उम्मीद है कि वह भारत आएंगी।

गुजरात भारत से नाता

जानकारी देते चलें कि सुनीता विलियम्स और बुच विल्मोर पाँच जून को बोइंग के स्टारलाइनर अंतरिक्ष यान से इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन गए थे।  उन्हें एक हफ़्ते में अंतरिक्ष से लौटना था। लेकिन इस यान में ख़राबी आने उन्हें धरती पर आने में क़रीब नौ महीने का समय लगा। बताते चलें कि सुनीता विलियम्स का पैतृक गांव गुजरात के झुलासण गांव है। यह गांव राजधानी गांधीनगर से क़रीब 40 किलोमीटर दूर है।

सुनीता विलियम्स के पिता दीपक पंड्या का जन्म इसी गांव में हुआ था। 1957 में वो मेडिकल की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए । उन्होंने उर्सलीन बोनी से शादी की।सुनीता इसी दंपती की संतान हैं. सुनीता का जन्म 1965 में हुआ । .सुनीता विलियम्स दो बार अपने गांव आ चुकी हैं।

ट्रेनिंग के बनिस्पत अधिक चुनौती

अंतरिक्ष में लंबे समय तक रहने का शरीर पर प्रभाव वाले सवाल पर सुनीता ने बताया कि अंतरिक्ष में अधिक समय बिताने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। यह चुनौती ट्रेनिंग के दौरान हासिल अनुभव से तीन चौथाई कम होता है। अगर निर्धारित समय से अधिक वक़्त गुजारना पड़े तो  उत्साह में भी कमी आती है।

अंटार्कटिका में शोध करने वाले वैज्ञानिकों को भी कभी कभार ऐसी मानसिक अवस्था से गुजरना पड़ता है जिसे “साइकोलॉजिकल हिबरनेशन” कहते हैं, जिसमें व्यक्ति भावना शून्य और बिल्कुल अलग-थलग महसूस करने लगता है.

 16 बार सूर्योदय,16 बार सूर्यास्त

सुनीता ने कहा, एक चमत्कार जैसा है कि हमारा शरीर कैसे बदलाव के साथ खुद को ढाल लेता है।  जब मैं वापस आई, तो पहले दिन हम सभी लड़खड़ा रहे थे.। कमाल की बात है कि सिर्फ़ 24 घंटों में हमारा नर्वस सिस्टम काम करने लगता है.।  हमारे दिमाग को समझ में आ जाता है कि क्या हो रहा है.।आईएसएस में शून्य गुरुत्वाकर्षण के वातावरण में रहने से शरीर की मांसपेशियों और हड्डियों के कमज़ोर होने का ख़तरा होता है।इसलिए आईएसएस में हर दिन चार घंटे  अंतरिक्ष यात्रियों को व्यायाम करना होता है। दोनों यात्रियों ने बताया कि हर दिन 16 बार सूर्योदय और सूर्यास्त देखा। अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि इससे तालमेल बिठाना उनके लिए चुनौतीपूर्ण रहा।

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