Bilaspur

भारत में हर साल 52 हजार की मौत…अपोलो प्रबंधन ने बताया…अकेले नही..सामुहिक प्रयास से हारेगा तम्बाकू वाला मुंह का कैंसर

समय रहते आसान है ओरल कैंसर का इलाज

बिलासपुर–तंबाकू जनित कैंसर व्यक्तिगत नहीं..बल्कि देश के लिए भी बड़ी समस्या है। तम्बाकू सेवन राष्ट्रीय स्वास्थ्य आपदा से किसी भी सूरत में कम नहीं है। तम्बाकू ने वैश्विक जगत को परेशान कर दिया है। एक-तिहाई भारत तम्बाकू की भयंकर चपेट में है। तम्बाकू सेवन का परिणाम दिल दहला देने वाला है। भारत में हर साल तम्बाकू जनित कैंसर का आंकड़ा डरावना वाला है। हर साल तम्बाकू के कैंसर से 52,000 की मौत हो रही है। ओरल कैंसर से केवल 50 प्रतिशत जीवित रहने की संभावना होती है। तम्बाकू ने शहर और ग्राम को अपनी चपेट में पूरी तरह से ले लिया है। यह बाते विश्व तम्बाकू दिवस पर अपोलो में आयोजित प्रेसवार्ता में अपोलो प्रबंधन के विद्धान चिकित्सकों ने दी। अपोलो प्रबंधन ने बताया कि हम सबको मिलकर तंबाकू की कुआदतों से लोगों को दूर करना होगा। अन्यथा बहुत देर हो जाएगी।
 विश्व तम्बाकू दिवस पर अपोलो प्रबंधन ने तम्बाकू के दुष्परिणाम के खिलाफ प्रेसवार्ता का आयोजन किया। अपोलो प्रबंधन ने बताया कि अपोलो कैंसर सेंटर और ईशा फाउंडेशन लोगों को तंबाकू से होने वाले नुकसान को लेकर लगातार जागरूक कर रहा है। डॉ.  अमित वर्मा, और  डॉ अमोल पटगांवकर ने बताया कि “तंबाकू उपयोग करने वालों में ओरल कैंसर की संभावना 6 से 7 गुना अधिक होती है। मुंह का कैंसर उन कुछ कैंसर के प्रकार में शामिल हैं…जिन्हें साधारण मौखिक जांच से शुरूआती अवस्था में पहचाना जा सकता है।  स्क्रीनिंग कार्यक्रम के माध्यम से, हमारा उद्देश्य समय रहते ओरल कैंसर को पहचानना है।
दोनो वरिष्ट चिकित्सकों ने बताया कि तंबाकू की लत लगने की मुख्य वजह जिज्ञासा है। खासकर किशोरावस्था का बालक जल्द ही किसी से भी प्रभावित हो जाता है। ऐसे में अगर उनके साथी तंबाकू का सेवन करते हैं तो पूरी संभावना होती है कि बच्चा प्रभावित हो जाए।  इसी समय उन्हें तंबाकू की आदत लगती है। इसलिए जरूरी है कि किशोरावस्था में ही हम तंबाकू के सेवन के दुष्परिणामों की जानकारी बच्चों को दें। खासकर किशोरावस्था के बच्चों को  विशेष रूप से जागरूक करें । ताकि उन्हें  इस भयानक बीमारी से बचाया जा सके।
 चिकित्सकों ने बताया कि एक सर्वेक्षण के अनुसार मुंह का कैंसर भारतीय पुरुषों में आम बात है।  महिलाओं में भी ओरल कैंसर बढ़ रहे हैं। पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक घटनाएं दर्ज होती हैं। केरल में सबसे कम। महाराष्ट्र (विशेष रूप से 40–60 आयु वर्ग  और  छत्तीसगढ़ में,  लगभग 40000 से 50000 कैंसर के केस साल भर में  का इलाज  किया जाता है। इसमें  4000- 5000 नए केसेस भी शामिल होते हैं।  ओरल कैंसर के मरीजों में जीभ की जड़ और मुंह की नींव में कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं। पूरे भारत में गालों की अंदरूनी सतह, होंठ और मुंह में कैंसर देखा जा रहा है। पुरुषों और महिलाओं में अनुपात 2:1 है, लेकिन महिलाओं में बिना धुएं वाले तंबाकू का उपयोग बढ़ रहा है।
 डॉक्टर पी पी मिश्रा, ने बताया कि मुख कैंसर सबसे आसानी से दिखने वाला रोग होता है। मुंह के छालों को हमेशा नजरअंदाज किया जाता है। इनमें से ही कुछ कैंसर में परिवर्तित हो जाते हैं।  इसलिए आवश्यक है कि ऐसे  छालों को जो दो हफ्ते से अधिक समय से ठीक नहीं हो रहे हैं या गले में आवाज खराश की संबंधित समस्या दो हफ्ते से ठीक नहीं हो रही है ऐसे प्रकरणों में तुरंत किसी चिकित्सक की सलाह लेना जरूरी है। इस अवस्था में अगर बीमारी पकड़ में आए तो ठीक होने की संभावना अत्यधिक होती है।
अपोलो संस्था प्रमुख अर्नब एस राहा, ने बताया कि “हमारा लक्ष्य स्वास्थ्य के प्रति सक्रिय रुख को बढ़ावा देना है। यदि समय रहते पता चल जाए, तो ओरल कैंसर का इलाज कहीं अधिक प्रभावी और कम जटिलताओं के साथ किया जा सकता है। राहा ने इस दौरान सभी 30 वर्ष से अधिक आयु के लोगों खासकर तंबाकू सेवन करने वालों को स्क्रीनिंग कराने को कहा.  उन्होंने बताया कि “मिरेकल ऑफ माइंड एक मुफ्त ध्यान ऐप है। जिसमें सद्गुरु ने 7 मिनट का शक्तिशाली मार्गदर्शित ध्यान है। यह ऐप उपयोगकर्ताओं को दैनिक ध्यान अभ्यास को अपनाने, प्रेरणा बनाए रखने और मानसिक स्वास्थ्य सुधारने में सहायता करता है।

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