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CG NEWS:स्कूलों की नई समय सारिणी शिक्षा के मंदिर पर ताला जड़ने वाला काला फरमान, छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संगठन ने जताया विरोध

CG NEWS:रायपुर।छत्तीसगढ़ प्रदेश संयुक्त शिक्षक संगठन ने लोक शिक्षण संचालनालय (डीपीआई) की नई समय सारिणी को शिक्षा के मंदिर पर ताला जड़ने वाला काला फरमान करार दिया है। संगठन के प्रांताध्यक्ष केदार जैन ने इसे बच्चों और शिक्षकों के साथ सरासर धोखा बताया है। उनका कहना है कि प्रतिदिन शाला संचालन 10 से 4 होता है ।अब नए फरमान के अनुसार शनिवार को सुबह की जगह 10 से 4 बजे तक आम दिनों की तरह खींचना दशकों पुरानी परंपरा पर कुल्हाड़ी मारने जैसा है। शिक्षा व्यवस्था में शनिवार का एक अलग महत्व रहा है। इस दिन सुबह का समय योग, नैतिक शिक्षा और बच्चों की रचनात्मक विकास और कुछ नया पर लाने के लिए होता है। मगर डीपीआई नए प्रयोग से शिक्षा के सूरज को ग्रहण की ओर ले जा रहा है। यह निर्णय बच्चों के भविष्य को मनोवैज्ञानिक रूप से अंधेरे में धकेलने और शिक्षकों को अपमानित करने की साजिश सा लगता है।

केदार जैन का कहना है कि हैरानी की बात यह है कि स्कूल शिक्षा विभाग के अफसर कमरों में बैठकर जमीन स्तर के अजीबो गरीब निर्णय ले रहे है। अब प्राथमिक शालाओं का भोजन अवकाश दोपहर 1:45 तक टालना मासूम बच्चों के पेट पर लात मारने जैसा है। जैन ने तल्खी से कहा कि कामकाजी माता-पिता सुबह जल्दी निकल जाते हैं, बच्चे 8 बजे भोजन कर स्कूल पहुंचते हैं। दोपहर 12 बजे तक उनकी छोटी-सी भूख चीखने लगती है। 1:45 तक भोजन टालना बच्चों को भूखा तड़पाने और उनकी सेहत को कुचलने का घिनौना खेल है। डीपीआई का यह फैसला शिक्षा सुधार के नाम पर कलंक है, जो उनकी संवेदनहीनता को सबके सामने ला रहा है ।

ममता खालसा, ओमप्रकाश बघेल, गिरिजाशंकर शुक्ला, अर्जुन रतनाकर, माया सिंह, ताराचंद जायसवाल, नरोत्तम चौधरी, रूपानंद पटेल, विजय राव, सुभाष शर्मा, सोहन यादव, शहादत अली, बसंत जायसवाल, राकेश शुक्ला, हरीश सिन्हा और अमित दुबे ने एक स्वर में शासन को ललकारा है। युक्तियुक्तकरण की मार से पहले ही लहूलुहान शिक्षक अब इस तानाशाही फरमान को बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह समय सारिणी बच्चों और शिक्षकों को मानसिक यातना का हथियार बन चुकी है। संगठन ने डीपीआई से तत्काल इस आदेश को पलटने की मांग की है । शनिवार की शाला सुबह और भोजन अवकाश दोपहर एक बजे तक बहाल हो। बच्चों के खाने के टाइम टेबल में हुई छेड़छाड़ वापस ली जाए।अगर मांगें न मानी गईं, तो शिक्षक और अभिभावक सड़कों पर उतरकर इस अन्याय के खिलाफ आग उगलेंगे।

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