ई-अटेंडेंस के नाम पर शिक्षकों को प्रताड़ित करने का सिलसिला नहीं रुका तो पूरे प्रदेश में होगा जबरदस्त आंदोलन

बुरहानपुर ।मध्यप्रदेश शिक्षक संघ ने बुरहानपुर में आयोजित दो दिवसीय प्रांतीय कार्यकारिणी बैठक में शिक्षा विभाग और सरकार को साफ चेतावनी दी कि यदि ई-अटेंडेंस के नाम पर शिक्षकों को प्रताड़ित करने का सिलसिला नहीं रुका तो पूरे प्रदेश में जबरदस्त आंदोलन खड़ा किया जाएगा।
प्रेस नोट के माध्यम से जानकारी देते हुए शिक्षक नेता हीरानंद नरवरिया ने बताया कि संघ ने कहा कि सरकार एक तरफ नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ शिक्षकों को भयमुक्त वातावरण देने के बजाय तकनीकी जाल में उलझाकर उनकी निगरानी और मानसिक उत्पीड़न कर रही है। ई-अटेंडेंस को सुधारने के बजाय उसे दंडात्मक उपकरण बना दिया गया है, जिससे शिक्षक तनाव में काम कर रहे हैं। यह भयमुक्त शिक्षा नहीं, बल्कि भययुक्त शिक्षण बनता जा रहा है।
संघ ने खुलासा किया कि सहायक शिक्षकों और उच्च श्रेणी शिक्षकों की चौथी क्रमोन्नति और समयमान वेतनमान की फाइल मुख्य सचिव के पास सुरक्षित है, लेकिन आदेश आज तक जारी नहीं किए गए हैं। संघ ने सवाल उठाया कि जब सभी अनुमोदन मिल चुके हैं तो आदेश में देरी क्यों की जा रही है। यह जानबूझकर शिक्षकों के अधिकारों को लटकाने और उन्हें हतोत्साहित करने की कोशिश लगती है।
बैठक में प्रदेशभर के जिलों से आए शिक्षकों ने एक के बाद एक गंभीर मुद्दे उठाए है। जिसमें नियुक्ति दिनांक से वरिष्ठता का अधिकार न मिलना, अर्जित अवकाश और ग्रीष्मावकाश को नॉन-वोकेशनल घोषित करने की मांग, शिक्षकों को बीएलओ, ई-केवाईसी, ओटीआर, यू-डाइस, अपार जैसे गैर-शैक्षणिक कामों में जबरन झोंकने का विरोध, ग्रीष्मकालीन अवकाश में चुनाव कार्य कराए जाने के बावजूद 27 दिन की ईएल न मिलना, नियमित वेतन न मिलना, एजुकेशन पोर्टल 3.0 की गड़बड़ियां, रिकवरी के नाम पर मानसिक उत्पीड़न, स्थानांतरित शिक्षकों के पद रिक्त न दिखाने की मनमानी, प्रमोशन और क्रमोन्नति में वर्षों की देरी जैसी अनेक समस्याएं शिक्षकों की नाराजगी का कारण बनीं।
बैठक में साफ कहा गया कि सरकार शिक्षक को शिक्षक नहीं, क्लर्क और कंप्यूटर ऑपरेटर समझने लगी है। कभी प्रशिक्षण, कभी मॉनिटरिंग, कभी पोर्टल, कभी एप… पढ़ाई छोड़ हर दूसरे काम में शिक्षक को उलझाया जा रहा है। संघ ने तीखा आरोप लगाया कि पूरी शिक्षा व्यवस्था को शिक्षक केंद्रित बनाने की बजाय शिक्षक को ही शोषण का केंद्र बना दिया गया है। विभागीय लापरवाहियों और तकनीकी त्रुटियों की कीमत भी शिक्षक चुका रहा है, कभी वेतन अटका, कभी फॉर्म गलत, तो कभी रिकवरी का नोटिस।
मध्यप्रदेश के शिक्षक नेता हीरानंद नरवरिया ने बताते है कि शिक्षक प्रदेश के सभी जिला स्तर पर हुई चर्चाओं में एक बात उभर कर आई है कि अब शिक्षक समाज चुप नहीं बैठेगा। वे कोई याचक नहीं हैं, बल्कि देश के भविष्य निर्माता हैं। फिर भी अगर शासन-प्रशासन ने समाधान की दिशा में गंभीरता नहीं दिखाई तो पूरे मध्यप्रदेश में शिक्षक संघ आंदोलन की राह पर उतरने को तैयार है।
बैठक के अंत में बुरहानपुर इकाई के कार्यकर्ताओं का सम्मान किया गया, वहीं पूर्व अध्यक्ष जेपी सिंघल और चतुर्वेदी जी के पुत्र के निधन पर दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि दी गई। कार्यक्रम का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ, लेकिन माहौल पूरी तरह स्पष्ट कर गया कि अब शिक्षक संगठन संवाद से समाधान चाहता है, मगर यदि संवाद की उपेक्षा हुई तो जवाब आंदोलन से मिलेगा।










