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CG NEWS:सरोद वादक कलाकार देबस्मिता भट्टाचार्य की प्रस्तुति आधारशिला विद्या मंदिर सैनिक स्कूल में बुधवार को

CG NEWS:बिलासपुर । आधारशिला विद्या मंदिर न्यू सैनिक स्कूल, भारतीय कला और संस्कृति के प्रचार-प्रसार हेतु एक और महत्वपूर्ण आयोजन करने जा रहा है। देश की सुप्रसिद्ध सरोद वादक देबस्मिता भट्टाचार्य 26 मार्च  बुधवार को सैनिक विद्यालय प्रांगण में अपनी कला की प्रस्तुति देंगी।

विद्यालय स्पीकमैके (SPIC MACAY – Society for the Promotion of Indian Classical Music And Culture Amongst Youth) संस्था से जुड़ा हुआ है, जो छात्रों को भारतीय शास्त्रीय संगीत और सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने के लिए निरंतर प्रयासरत है। इसी श्रृंखला में यह विशेष आयोजन किया जा रहा है, जहाँ शास्त्रीय संगीत की एक दुर्लभ प्रस्तुति देखने को मिलेगी।

देबस्मिता भट्टाचार्य देश की सबसे प्रतिभाशाली युवा सरोद वादकों में से एक हैं। वह हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत को आधुनिक दृष्टिकोण के साथ प्रस्तुत करने के लिए जानी जाती हैं।उनकी प्रस्तुति में सरोद की जादुई धुनों के माध्यम से शास्त्रीय संगीत प्रेमियों को एक अद्भुत अनुभव मिलेगा

वह शास्त्रीयता को एक विस्तृत आधुनिक मानसिकता के साथ संतुलित करती हैं और हिंदुस्तानी संगीत को उसके मूल मूल्यों को बनाए रखते हुए 21वीं सदी में ले जाती हैं।
अभी भी एक उभरती हुई कलाकार, देबस्मिता युवा ऊर्जा को धैर्यवान और ज्ञानपूर्ण परिपक्वता के साथ जोड़ने के लिए तेजी से प्रशंसा प्राप्त कर रही हैं।

उनकी संगीत यात्रा उनके पिता पंडित देबाशीष भट्टाचार्य से प्रारंभ हुई, जो दिवंगत उस्ताद पद्मभूषण पंडित बुद्धदेव दासगुप्ता के वरिष्ठ शिष्य थे। सरोद, जो पारंपरिक रूप से पुरुष प्रधान वाद्य यंत्र माना जाता है, उस पर अपनी प्रारंभिक प्रतिभा दिखाने के बाद, किशोरावस्था में ही वह अपने पिता के गुरु की प्रत्यक्ष शिष्या बन गईं।

शास्त्रीय संगीत के प्रति समर्पण के चलते उन्होंने समुद्री इंजीनियरिंग का करियर छोड़ दिया और पूरी तरह संगीत को अपनाया। देबस्मिता ने अंग्रेजी साहित्य में स्नातक और रवींद्र भारती विश्वविद्यालय से संगीत में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। इसके अलावा, उन्होंने आईटीसी संगीत अनुसंधान अकादमी में सात वर्षों तक स्कॉलर के रूप में कार्य किया।

कोलकाता और राष्ट्रीय स्तर के समारोहों में उनके संगीत कार्यक्रमों ने धूम मचा दी, जिससे 2017 में उन्हें आठ दिनों के एक प्रतिष्ठित दौरे के लिए यूके बुलाया गया। हाल ही में, उन्होंने चीन, अफ्रीका और स्कैंडिनेविया के संगीतकारों के साथ भी कार्य किया है, जहाँ उन्होंने शास्त्रीय गायन के अनुशासित कार्यक्रमों के साथ संगीत की नई ऊँचाइयों को छुआ।

सरोद: उनका वाद्य यंत्र, 23 तारों वाला फ्रेटलेस ल्यूट, एक गूंजने वाला स्वर उत्पन्न करता है, जो सितार की तुलना में अधिक भारी और आत्मनिरीक्षण करने वाला होता है। इसके मुख्य बजाने वाले तारों को नारियल के खोल के एक प्लेक्ट्रम से बजाया जाता है, और बाएँ हाथ के नाखूनों से धातु की फ्रेटबोर्ड पर धकेला जाता है। माना जाता है कि सरोद, अफ़गान रबाब से विकसित हुआ है, जिसे 18वीं सदी में इस्लामी घुड़सवार भारत लाए थे।

देबस्मिता जी के सात दिवसीय प्रवास के दौरान उनके आगामी कार्यक्रम 26 मार्च को आधारशिला विद्या मंदिर सैनिक स्कूल बिलासपुर,9:30am, 27 मार्च अडानी वर्ल्ड स्कूल अंबिकापुर, 28 मार्च अगोर विद्यापीठ अकलतरा व 29 मार्च ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल चाँपा एवं एशियन वर्ल्ड स्कूल बाराद्वार मे प्रस्तावित है। इस संपूर्ण कार्यक्रम का आयोजन एवं रूपरेखा स्पीकमैके के फाउंडर डॉ.किरण सेठ के द्वारा तैयार किया गया है जिसके सफल संचालन में स्पीकमैके के सीनियर वॉलंटियर व एवीएम न्यू सैनिक स्कूल के चेयरमैन डॉ.अजय श्रीवास्तव का भी विशेष योगदान है। डॉ.किरण सेठ भारतीय संस्कृति, लोक कला,संगीत से आत्मिक जुड़ाव होने के कारण समय- समय पर इस तरह के कार्यक्रमों का आयोजन करवाते आएँ हैं एवं उनका कहना है कि वे देश के प्रत्येक नगर , शहर व छात्रों को भारतीय संस्कृति व कला से जोड़ने के लिए भविष्य मे भी इस तरह के कार्यक्रम का आयोजन करवाते रहेंगे।

आधारशिला विद्या मंदिर बिलासपुर के सभी संगीत प्रेमियों, छात्रों और अभिभावकों को इस सांस्कृतिक संध्या का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित करता है। यह कार्यक्रम न केवल भारतीय शास्त्रीय संगीत को समझने और सराहने का अवसर देगा, बल्कि नई पीढ़ी को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का भी एक महत्वपूर्ण प्रयास है।”सरोद वादक कलाकार देबस्मिता भट्टाचार्य का आधारशिला विद्या मंदिर सैनिक स्कूल में आज प्रदर्शन”

 

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