CG NEWS:तबाही मचा रहा कोयला खनन , ठेका श्रमिकों से आधा पैसा वापस मांग रहे .. विरोध करने में काम से हटाया जा रहा …

CG NEWS (SECL) सूरजपुर/विश्रामपुर ।15 मई को केतकी भूमिगत खदान में ठेका श्रमिकों के साथ हो रहे घोर शोषण और अन्याय के खिलाफ संयुक्त कोयला मजदूर संघ (एटक) के नेतृत्व में सैकड़ों ठेका श्रमिकों ने अपने गांवों के सरपंचों के साथ मिलकर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। केतकी खदान के मजदूरों के लिए गायत्री, और आमगांव खदानों के श्रमिक भी एक जुट होकर नौ सूत्रीय मांगों का समर्थन किया , जिसमें न्यूनतम वेतन, छुट्टियां, चिकित्सा सुविधाएं, और बोनस जैसे बुनियादी अधिकार शामिल हैं।
एटक के केंद्रीय महासचिव कामरेड अजय विश्वकर्मा ने प्रबंधन पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि पेटी कॉन्ट्रैक्टर की ओर से ठेका श्रमिकों को एचपीसी वेतन देने के नाम पर आधा पैसा वापस लेने का दबाव बनाया जाता है, और विरोध करने वाले श्रमिकों को काम से हटा दिया जाता है। उन्होंने बताया कि श्रमिकों को वेतन पर्ची नहीं दी जाती, जिससे उनके वेतन और भत्तों की जानकारी छिपाई जाती है। साथ ही, सुरक्षा प्रहरियों को 12-12 घंटे की अमानवीय पाली में काम करने को मजबूर किया जाता है वो भी बिना कोल इंडिया के बोनस का लाभ दिए।
धरने में यह भी सामने आया कि केतकी खदान के आसपास के गांवों में पर्यावरणीय तबाही मची है, जहां तालाब और नलकूप सूख रहे हैं, और वायु प्रदूषण ग्रामीणों के लिए जानलेवा बन रहा है। इसके बावजूद, स्थानीय लोगों को रोजगार में प्राथमिकता देने के बजाय, प्रबंधन बाहरी कुशल श्रमिकों को कम वेतन पर काम पर रख रहा है, जो स्थानीय समुदाय के साथ घोर अन्याय है।
एटक के क्षेत्रीय सचिव कामरेड पंकज कुमार गर्ग, जोबगा गांव के सरपंच हितेंद्र सिंह, पोडी गांव के सरपंच खिलेंद्र सिंह, लच्छा गांव के सरपंच अचंभित, केतका गांव के सरपंच राजपाल, और लहंगा गांव के सरपंच भुनेश्वर सिंह ने प्रबंधन के इस शोषणकारी रवैये की कड़ी निंदा की और इस अन्याय के खिलाफ निर्णायक लड़ाई का संकल्प लिया।
मंच का संचालन कामरेड आरके द्विवेदी, उपाध्यक्ष, एटक यूनियन, विश्रामपुर ने किया। आंदोलन में आसपास के गांवों के उप-सरपंच, पंच, और अन्य जनप्रतिनिधियों की भागीदारी ने इसे और मजबूती प्रदान की।
एटक ने एसईसीसएल बिश्रामपुर क्षेत्र,महाप्रबंधक और भूमिगत खदान एसकेएमपीएल केतकी के महाप्रबंधक को नौ सूत्रीय मांगों का ज्ञापन देते हुए समाधान की उम्मीद के साथ चेतावनी भी दी है कि यदि मांगें जल्द पूरी नहीं हुईं, तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। श्रमिकों ने मांग की है कि प्रबंधन तत्काल प्रभाव से सभी बैठाए गए श्रमिकों को काम पर वापस ले, वेतन पर्ची प्रदान करे, छुट्टियों और चिकित्सा सुविधाओं का प्रावधान करे, और स्थानीय ग्रामीणों को रोजगार में प्राथमिकता दे। यह आंदोलन न केवल श्रमिकों के अधिकारों की लड़ाई है, बल्कि पर्यावरण और स्थानीय समुदाय के सम्मान की भी मांग है।