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CG NEWS:साय केबिनेट का विस्तार…. क्षेत्रीय संतुलन या नए क्षत्रपों की ताजपोशी… ?

CG NEWS:सूरजपुर (मनीष जायसवाल) ।छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार सत्ता में आए करीब 20 महीने हो चुके हैं, लेकिन अभी तक मंत्रिमंडल अधूरा है..। विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बावजूद दो मंत्री पद खाली हैं। उच्च शिक्षा और स्कूल शिक्षा जैसे बड़े विभाग मजबूरी में मुख्यमंत्री के पास है..! वर्तमान में साय सरकार की कैबिनेट को भाजपा का संगठन प्रदेश में सत्ता के क्षेत्रीय शक्ति के संतुलन को नजर अंदाज कर चुका है..। कयासों से उपजा अब जो मंत्रिमंडल विस्तार होने वाला है, उसमें भी यही चर्चाएं चल रही है कि क्षेत्रीय शक्ति के संतुलन की बजाय नए शक्ति छत्रप बनाए बनाए जा सकते है..!

राजनीति में क्षेत्रीय संतुलन का मतलब यह भी माना जाता है कि किसी एक क्षेत्र या समूह का इतना दबदबा न हो कि दूसरे क्षेत्र या समुदाय की अनदेखी हो जाए..! छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में, जहां संभाग तो दूर अलग-अलग जिलों, जातियों और समुदायों की अपनी पहचान है, जो सत्ता में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व चाहते है, जो क्षेत्रीय सत्ता के संतुलन से मिल सकता है..। लेकिन वर्तमान मंत्रिमंडल में क्षेत्रीय शक्ति के रूप में पार्टी के लिए तन, मन और धन से हमेशा खड़े रहने वाले इनमें से कई चेहरे गायब है..! प्रदेश के जिले और संभागों में भाजपा के ऐसे कई कद्दावर पुराने चेहरे हैं, जिनका नाम और काम बीते लोकसभा और विधानसभा चुनाव में प्रभारी के रूप में देखने को मिला है..!

यह भी माना जाता है कि भाजपा नाम को भुनाती है और काम करने वाले को साथ लेकर चलती है..। फिर चाहे वह संगठन हो या फिर सत्ता मे भागीदारी हो, संतुलन बना रहता है..।यही संतुलन न केवल सत्ता की मजबूती के लिए जरूरी है, बल्कि विकास और प्रशासन के सही कामकाज के लिए भी अहम है। लेकिन छत्तीसगढ़ की सत्ता में यह संतुलन कहां पर है ..?

अब तक मंत्रिमंडल विस्तार में देरी का कारण यह भी हो सकता है,कि कुछ नेता अपनी क्षेत्रीय ताकत बढ़ाने या छत्रप के रूप में उभरने के लिए दबाव डाल रहे हो ..! यह भी वजह हो सकती है कि मुख्यमंत्री बार-बार दिल्ली जाकर केंद्रीय नेतृत्व से बात करते रहे हैं, इसलिए कोई ठोस फैसला नहीं हो पाया। इसके चलते न केवल प्रशासनिक काम प्रभावित हो रहे हैं, बल्कि क्षेत्रीय शक्ति का संतुलन भी बिगड़ रहा है..।

देखा जाए तो सरकार ने नए और पुराने चेहरों को शामिल करने की कोशिश की है,लेकिन अनुभवी नेताओं और राजनीतिक जीवन के शुरुआत से पार्टी का झंडा उठा कर चलने वालों को किनारे करने की रणनीति से सत्ता और संगठन में तनाव पैदा हुआ लगता है..। शायद इसके चलते मंत्रिमंडल विस्तार लंबित रह गया, जिससे सरकार की छवि पर भी असर पड़ता हुआ लग रहा है..! इस बीच विपक्षी दल ने इस स्थिति का फायदा उठाया और अपनी मौजूदगी बनाए रखी है।

माना जाता है कि सत्ता में क्षेत्रीय शक्ति का संतुलन लोकतंत्र की रीढ़ है। अगर यह संतुलन बिगड़ जाए, तो प्रशासनिक अक्षमता बढ़ती है और जनता का विश्वास सत्ताधारी दल पर कम होता है। छत्तीसगढ़ में कई महत्वपूर्ण विभाग अभी मुख्यमंत्री के पास हैं, जिससे न केवल कामकाज पर बोझ बढ़ा है, बल्कि नीतियों का समय पर लागू होना भी मुश्किल होता लग रहा है..।

सत्ता का गणित कहता है कि एक संतुलित मंत्रिमंडल में हर क्षेत्र, जाति और समुदाय का प्रतिनिधित्व होना चाहिए। साथ ही नए और पुराने नेताओं के बीच भी संतुलन होना जरूरी है..। यही संतुलन सरकार की कार्यक्षमता बढ़ाता है और जनता का भरोसा मजबूत करता है..। मंत्रिमंडल विस्तार सिर्फ खाली पद भरने के लिए नहीं है, बल्कि यह लोकतंत्र और शासन की मजबूती के लिए जरूरी है।

यदि सरकार जल्दी इस पर ध्यान नहीं देती, तो विपक्षी दल और मजबूत होंगे और जनता के बीच भी यह धारणा बनेगी कि सरकार निर्णय लेने में असमर्थ है..। इसलिए सरकार के समर्थक यह मानते हैं कि साय सरकार के लिए जरूरी है कि वह जल्द से जल्द मंत्रिमंडल का विस्तार करे और क्षेत्रीय शक्ति का संतुलन कायम करे, साथ ही काम करने वाले चेहरे सामने लाए ताकि प्रशासन मजबूत बने और जनता का विश्वास बना रहे…!

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