Bilaspur

बिना समन गवाह को गिरफ्तारी वारंट … पुलिस कप्तान हुए सख्त,.. लाइन अटैच कोर्ट मोहर्रिर 

बिलासपुर…वरिष्ठ पत्रकार एवं गवाह मणि शंकर पांडे के खिलाफ बिना किसी पूर्व सूचना और नोटिस के गिरफ्तारी वारंट जारी किए जाने के मामले ने पुलिस प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।  इस चूक के लिए पुलिस अधीक्षक ने संबंधित कोर्ट मोहर्रिर को तत्काल प्रभाव से लाइन अटैच करने का आदेश दिया है,। साथ ही पूरे स्टाफ को भी जमकर फटकार लगाई।

मामला क्या है?

केंद्रीय जेल में बंद  302 के एक आरोपी ने एक व्यक्ति को किसी बात को लेकर जान से मारने की धमकी दिया। पीड़ित ने मामले की शिकायत सिरगिट्टी थाना में दर्ज कराया। मामले में वरिष्ठ पत्रकार मणि शंकर पांडे  को भी महत्वपूर्ण गवाह बनाया गया।

पुलिस ने प्रकरण को जिला एवं सत्र न्यायालय में प्रस्तुत किया । गवाही की तारीख और  सुनवाई को लेकर गवाह मणिशंकर पांडे को न तो कोई नोटिस जारी किया गया और न ही किसी भी माध्यम से उन्हें सूचना दी गई। इसके बावजूद, अदालत में मौजूद कोर्ट मोहर्रिर ने गवाह की अनुपस्थिति को आधार बनाकर न्यायालय से सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी करवा दिया।

 कोर्ट में हुआ खुलासा

गवाह मणिशंकर पांडे जब अगली सुनवाई में स्वयं कोर्ट पहुंचे, तो उन्होंने अदालत से पूछा कि उन्हें कौन-सा नोटिस पहले भेजा गया था। कोर्ट के आदेश पर जब पुलिस से जानकारी मांगी गई, तो स्पष्ट हुआ कि गवाह को न तो कोई नोटिस दिया गया और न ही थाने को इसकी सूचना थी।

खुलासे के बाद न्यायालय में असंतोष का माहौल बन गया। वरिष्ठ पत्रकार ने अदालत में बताया कि उन्हें बदनाम करने का प्रयास किया गया और उनकी सामाजिक प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा है।

 पुलिस कप्तान की कार्रवाई

मामले की शिकायत जैसे ही पुलिस कप्तान तक पहुंची, उन्होंने तुरंत जांच करवाई और पुष्टि होते ही संबंधित कोर्ट मोहर्रिर को लाइन अटैच का आदेश दिया। पुलिस कप्तान समेत कानून के जानकारों ने स्पष्ट किया कि “किसी भी गवाह को बिना नोटिस के गिरफ्तारी वारंट जारी नहीं किया जा सकता।”

पुलिस कप्तान रजनेश सिंह ने स्टाफ को चेतावनी देते हुए कहा कि भविष्य में यदि किसी गवाह के साथ ऐसा व्यवहार दोहराया गया, तो कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

 वरिष्ठ पत्रकार का बयान

मणिशंकर पांडे ने पूरे घटनाक्रम को बेहद गंभीर बताते हुए कहा कि,

“मेरी सामाजिक प्रतिष्ठा को जानबूझकर ठेस पहुंचाई गई है। मैं इस मामले को लेकर अब हाईकोर्ट में विधिक कार्रवाई करूंगा, ताकि भविष्य में किसी अन्य नागरिक के साथ ऐसी मनमानी न हो।”


 कानून क्या कहता है?

भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) के तहत:किसी गवाह को कोर्ट में उपस्थित होने के लिए पहले समन (नोटिस) जारी किया जाना आवश्यक है।समन की अवहेलना होने पर अदालत वारंट जारी कर सकती है, लेकिन बिना समन के सीधे गिरफ्तारी वारंट जारी करना नियमों के विरुद्ध है।

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