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CG NEWS:स्कूल शिक्षा विभाग में युक्तियुक्तकरण के बाद अब “ऑन लाइन अटेंडेंस” का नया प्रयोग ..?

CG NEWS:बिलासपुर (मनीष जायसवाल) ।छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था में जल्द ही बड़ा बदलाव देखने को मिल सकता है। यह बदलाव अपने साथ बड़ा विवाद भी लाने वाला है। राज्य का स्कूल शिक्षा विभाग एक स्मार्ट अटेंडेंस सिस्टम लागू करने की दिशा में तेजी से काम कर रहा है। इसी क्रम में ‘VSK अटेंडेंस ऐप’ नामक एक विशेष मोबाइल एप्लीकेशन तैयार किया गया है, जिसे प्रदेश के सभी शासकीय विद्यालयों में लागू करने की योजना है। यह ऐप शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और स्कूल प्रशासन के लिए एक समर्पित डिजिटल प्लेटफॉर्म के रूप में कार्य करेगा, जिसके माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने, छुट्टियों के प्रबंधन और कक्षा संचालन की निगरानी जैसे कार्य पूरी तरह ऑनलाइन हो सकेंगे।

मिल रही अपुष्ट जानकारी के अनुसार यह ऐप छत्तीसगढ़ के विद्या समीक्ष केंद्र (Vidya Samiksha Kendra – VSK) द्वारा विकसित किया गया है। यह राज्य में स्कूल शिक्षा से संबंधित आंकड़ों की निगरानी और विश्लेषण का एक केंद्रीय प्लेटफॉर्म है, जिसे पहले कमांड एंड कंट्रोल सेंटर फॉर स्कूल्स के नाम से जाना जाता था। अब इसे आधुनिक तकनीकों और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) से सुसज्जित करते हुए एक ऐसा डिजिटल मंच बनाया गया है, जो रीयल टाइम डेटा ट्रैकिंग और सटीक निर्णय लेने में सक्षम हो। इसका उद्देश्य शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता, जवाबदेही और गुणवत्ता को सुदृढ़ करना है।

ऐसी जानकारी है कि VSK अटेंडेंस ऐप में रोल-बेस्ड लॉगिन की सुविधा दी गई है, जिससे उपयोगकर्ता केवल अपनी भूमिका के अनुसार ही इंटरफेस और विकल्प देख पाएंगे। शिक्षक इस ऐप के माध्यम से अपनी उपस्थिति मोबाइल से दर्ज कर सकेंगे, जिसकी पुष्टि GPS लोकेशन के ज़रिए की जाएगी, और यह तभी मान्य होगी जब शिक्षक स्कूल परिसर के 100 मीटर के भीतर हों। इसके साथ ही शिक्षक प्रतिदिन छात्र उपस्थिति भी ऐप से दर्ज करेंगे। वहीं छुट्टी और ऑन-ड्यूटी जैसे अनुरोध भी यहीं से भेजे जाएंगे, जिनकी सूचना तत्काल प्रधानाध्यापक या संस्था प्रमुख को मिलेगी।

ऐसी भी खबरें हैं कि प्रधानाध्यापक इस ऐप से पूरे स्टाफ की उपस्थिति, अवकाश स्थिति और कक्षा संचालन जैसे पहलुओं की निगरानी कर सकेंगे। वे रिपोर्ट डाउनलोड कर सकेंगे, आवश्यक अलर्ट प्राप्त कर सकेंगे और जरूरत पड़ने पर नोटिस भी जारी कर सकेंगे। इस तरह की डिजिटल निगरानी व्यवस्था से शिक्षकों की जवाबदेही और छात्रों की नियमितता पर स्पष्ट नियंत्रण संभव होगा।

कुछ स्रोतों के अनुसार शिक्षा विभाग ने इस ऐप का सीमित परीक्षण कुछ जिलों में शुरू करने जा रहा है। यूट्यूब पर इस ऐप के इस्तेमाल के लिए वीडियो ट्यूटोरियल भी जारी किया गया है, ताकि शिक्षक इसे आसानी से समझ सकें। तकनीकी टीम ऐप को लगातार अपडेट कर रही है ताकि जिन क्षेत्रों में नेटवर्क की दिक्कतें हैं, वहां भी डेटा सुरक्षित तरीके से संग्रहित हो सके। ऐसा माना जा रहा है कि सरकार इस ऐप को सभी सरकारी स्कूलों में अनिवार्य करने की योजना बना रही है, और इसके लिए शिक्षकों को प्रशिक्षण, वीडियो गाइड और तकनीकी सहायता भी दी जाएगी।

विद्या समीक्षा केंद्र की भूमिका को सरकार छत्तीसगढ़ की शिक्षा व्यवस्था को सशक्त और डेटा आधारित बनाने के लिए एक प्रमुख आधार मान रही है। केंद्र के माध्यम से जुटाए गए आंकड़ों की मदद से यह तय किया जा सकेगा कि किन क्षेत्रों में शिक्षकों की आवश्यकता अधिक है, कहां लर्निंग आउटकम कमजोर हैं और कहां विशेष हस्तक्षेप की जरूरत है। शासन स्तर पर लिए जाने वाले निर्णय अब केवल अनुभव या फील्ड रिपोर्ट पर नहीं, बल्कि ठोस आंकड़ों के आधार पर होंगे।

हालांकि योजना महत्वाकांक्षी है, लेकिन इससे जुड़े कई तकनीकी और व्यावहारिक मुद्दे भी सामने आ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में नेटवर्क की कमी, बिजली की अनुपलब्धता और ऐप सर्वर से जुड़ी समस्याएं शिक्षकों को उपस्थिति दर्ज करने में कठिनाई उत्पन्न कर सकती हैं।

मध्य प्रदेश में यह व्यवस्था लागू है लेकिन वहां पर अभी यह योजना सिर्फ अतिथि शिक्षकों के ऊपर लागू है। मध्य प्रदेश में इसे पहले दो बार रद्द किया गया और अब 1 जुलाई 2025 से इसे तीसरी बार लागू किया गया है, लेकिन यहां विरोध थमने का नाम नहीं ले रहा। वहां ‘हमारे शिक्षक’ नामक ऐप के जरिए GPS आधारित सेल्फी अपलोड करके उपस्थिति दर्ज कराना अनिवार्य किया गया है, जिसे शिक्षक संगठन अव्यावहारिक और अपमानजनक बता रहे हैं। प्रदेश के कई जिलों में शिक्षक रैलियां निकाल चुके हैं और उग्र आंदोलन की चेतावनी दी है। ऐसे सिस्टम की पहले भी अन्य राज्यों में विफलताएं देखी जा चुकी हैं। उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पहले इस प्रकार की ई-अटेंडेंस योजनाएं पूरी तरह सफल नहीं हो पाईं।

स्कूल शिक्षक विभाग के प्रयोगशाला ने युक्तियुक्तकरण के बाद अब आन लाइन अटेंडेंस का नया जिन्न अपने पिटारे से निकला रहा है लेकिन जमीनी स्तर पर यह कितना कारगर है यह तो भविष्य बताएगा। छत्तीसगढ़ सरकार की मंशा तकनीक के माध्यम से शिक्षा व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने की है। लेकिन जिन स्कूलों में बुनियादी डिजिटल सुविधाएं अभी भी अधूरी हैं, वहां इस ऐप को लागू करने में व्यवहारिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। तकनीक की सफलता न केवल नीतियों पर, बल्कि उसकी स्थानीय अनुकूलता और मैदान में काम करने वाले शिक्षकों की सहभागिता पर भी निर्भर करेगी।

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