editorial

1 मईश्रमिक दिवस ..!.क्यो न श्रमिक धन्यवाद दिवस THANKS DAY मनाये”” ?

_””*श्रम की गाथा बहुत बड़ी है–
उनके इरादों की कुतुब मीनार आज भी खड़ी है–
ताजमहल की चिकनाई क्या—
संगमरमरी चट्टानों से है—-
नहीं —
मजदूरों के खुरदरे हाथों से—-
उनकी मेहनत रंग नहीं लाती —
तो शाहजहां की ख्वाहिश भी अधूरी रह जाती——-
श्रममेव जयते
1 में श्रमिक दिवस के रूप में 18 86 शिकागो अमेरिका में काम के घंटे कम कर 8 घंटे करने हेतु आंदोलनरत श्रमिकों के मध्य आंदोलन के विरोध करने वलों द्वारा बम विस्फोट करने श्रमिक गणों के शहीद हो जाने के पश्चात उनकी याद में श्रद्धांजलि देने के लिए पूरी दुनिया में मनाया जाता है।
अब 2025 में 1 मई दिवस में सच्ची श्रद्धांजलि होगी जब हमारे प्रयास से एक भी श्रमिक उनके लिए बनाए गए कानूनी अधिकार से वंचित न हो और उक्त श्रमिक दिवस को मेरी शासन से मांगहै कि *1 मई “श्रमिक धन्यवाद” दिवस के रूप में मनाया जाये उद्योग पति, नियोजक, और समस्त देशवासी शपथ लेकर श्रमिकों के द्वारा किए जा रहे हैं सहयोग और विकास में योगदान के लिए धन्यवाद दिवस 1 मई को मनायें शासन इसकी घोषणा करे पहल करेअपने स्तर से जिससे नियोजक मालिक और श्रमिक के बीच में परस्पर सहमति ,विश्वास, प्रेम और भाई चारा भी रहेगा दोनों साइकिल के दो पहिए हैं कभी भी कोई साइकिल एक पहिया से नहीं चल सकता तो अब यह परिवर्तन आना चाहिए और श्रमिकों के खून पसीने से जो सहायता जो सहयोग समाज को देश को मिलता है उसके लिए उन्हें धन्यवाद दिया जाना चाहिए

सशक्त श्रमिक_ सशक्त समाज _सशक्त राज्य– मूल आर्दश होना अनिवार्य है ये सकारात्मक पहल होगा भारत में श्रम कानून संविधान में समवर्ती सूची में आता है जिसमें केंद्र और राज्य श्रमिक हित में कानून बना सकते हैं । तब से आज तक श्रमिकों की दशा स्थिति कार्य करने के प्रकृति में अनेक परिवर्तन आ चुके हैं श्रमिकों के हित में पूरी दुनिया में अनेक कानून बनाए गए हैं साथ ही इस संदर्भ में भारत मे भी श्रमिकों के कल्याण के लिए सामाजिक सुरक्षा के लिए उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठने के लिए कानून का निर्माण किया गया है अब आसान नहीं है श्रमिकों का शोषण श्रमिकों की बिना इच्छा के कोई नियोजक उद्योगपति नहीं कर सकता है आज पूरा देश डिजिटल और ऑनलाइन जुड़ चुका है जहां श्रमिकों के हित रक्षक कल्याण संबंधी कानून सहजता से उपलब्ध है बस श्रमिकों को अपने अधिकारों के लिए जागरूक होना आवश्यक है शासन के द्वारा अनेक माध्यम से श्रमिकों को उनके अधिकार के संबंध में अवगत कराने का प्रयास किया जाता रहता है इसके लिए श्रमिकों के मध्य श्रमिक संघ भी कार्यरत हैं पर इसमें शक नहीं की श्रमिक संघ केवल संगठित क्षेत्र में ही कार्यरत रहते हैं असंगठित क्षेत्र में श्रमिकों को शिक्षित करना उनके अधिकार के संबंध में जानकारी देना यह शासन के श्रम विभाग का काम है विशेष कर जो दूर क्षेत्र में श्रमिक कार्यरत हैं जो पहुंच मार्ग से दूर निवास करते हैं और कार्य करते हैं इसके लिए शासन ने ग्रामीण विकास स्तर पर अनेक एजेंसी श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा के लिए बनाई है श्रमिक गण शासन के किसी भी विभाग मे जाकर शिकायत कर सकतें हैं उक्त विभाग शिकायत को श्रम विभाग को अग्रेषित कर देगा और अपने वैधानिक अधिकारों के तहत कानूनी सहायता प्राप्त कर सकतें है विशेष कर *छत्तीसगढ़ राज्य में असंगठित श्रमिकों के लिए बोर्ड कार्यरत है जैसे छत्तीसगढ़ भवन संनिर्माण कर्मकार कल्याण मंडल एवं असंगठित श्रमिक कर्मकार कल्याण मंडल इन मंडल में अपने कार्य की प्रकृति के अनुसार श्रमिक अपना पंजीयन सहज चॉइस सेंटर या अपने मोबाइल एप और ऑनलाइन करने में सक्षम है उन्हें जो सुविधाएं दी जा रही है उसका आवेदन भी ऑनलाइन किया जाना है असंगठित श्रमिकों को जन्म से लेकर मृत्यु तक का सहयोग देने के प्रवधान है पर जमीन में कार्य करने वाले अधिकांश वास्तविक श्रमिक गण इस कल्याण योजना के लाभ से वंचित हो जाते हैं इनके लिए जागरूकता अभियान को आंदोलन का रूप देना चाहिए जिसे ना ही शासन दे पा रहा है और ना ही श्रमिक संगठन वैसे ही संगठित क्षेत्र में जो एक कंपाउंड के अंतर्गत कार्य करते हैं श्रमिक उन्हें ट्रेड यूनियन श्रमिक संघ के द्वारा जो श्रमिक फैक्ट्री पे रोल पर कार्यरत हैं उनके हित की रक्षा करते हैं परंतु उन्हें संस्थान में ठेका श्रमिकों के वैधानिक अधिकार के लिए कोई भी संगठन सामने नहीं आता जबकि प्रत्येक ठेका श्रमिक को वैधानिक अधिकार प्राप्त है उपादान भुगतान अधिनियम के अंतर्गत ग्रैजुएटिविटी प्राप्त करने का बोनस प्राप्त करने का छंटनी मुआवजा अजिॅत अवकाश प्राप्त करने अधिकार है यदि किसी मजदूर के दुर्घटना में मृत्यु हो जाएगी तो कर्मकार क्षतिपूर्ति अधिनियम के अंतर्गत उन्हें अधिनियम में दिए गए प्रावधान के अनुसार राशि प्राप्त होगी उपरोक्त दावा राशि यदि ठेकेदार देने मे असफल है तो प्रमुख नियोजक को देना है परंतु जानकारी के अभाव में वह श्रमिक वंचित हो जाता है समय-समय पर माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा अनेक निर्णय असंगठित श्रमिक ठेका श्रमिक के संदर्भ में पारित किए गए हैं कि उनका पालन कराया जाना अनिवार्य है 1को मई दिवस में दुनिया के मजदूर एक हो का नारा लगाने वाले श्रमिक संघ यदि श्रमिक कल्याण में अपने किए गए कार्यों का विवरण पेश करते और श्रमिकों को अवगत कराते तो उसे एक नई जागरूकता पैदा होती और श्रमिक अपने अधिकार से अवगत होता परंतु ऐसा नहीं है ??
उनको जब
जब देखा
लोहा देखा
लोहे जैसे
तपते देखा
गलते देखा
ढलते देखा
गोली जैसे
चलते देखा
परम श्रद्धेय केदारनाथ अग्रवाल की कविता श्रमवीरों को समर्पित
*
श्रममेव जयते
दीपक पाण्डेय

( भूतपूर्व श्रम अधिकारी छ ग शासन बिलासपुर )

Back to top button