‘समाप्ति’ ऐलान के बाद बौखलाए नक्सली.. — बीजापुर में भाजपा कार्यकर्ता की हत्या..मद्देड एरिया कमेटी ने ली जिम्मेदारी

बीजापुर… छत्तीसगढ़ से नक्सलवाद के सफाए की तय समयसीमा नज़दीक आने के साथ ही नक्सली संगठन बौखलाहट और बेचैनी में हिंसा का सहारा लेने लगे हैं। ताज़ा मामला बीजापुर जिले का है, जहां मद्देड एरिया कमेटी के नक्सलियों ने भाजपा कार्यकर्ता पूनम सत्यम की हत्या कर दी।
घटना की जिम्मेदारी खुद नक्सलियों ने ली है। घटनास्थल से मिले पर्चे में उन्होंने लिखा है — “काफी दिनों से पूनम सत्यम को टारगेट पर रखा गया था, कई बार समझाइश दी गई, लेकिन उसने बात नहीं मानी।” मद्देड एरिया कमेटी ने इस हत्या को “जन कार्रवाई” बताया है।
अमित शाह का बयान और नक्सलियों की बेचैनी
गौरतलब है कि अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि “31 मार्च 2026 तक, बल्कि उससे पहले, नक्सलवाद को छत्तीसगढ़ से पूरी तरह समाप्त कर दिया जाएगा।” इस ऐलान के बाद से ही नक्सली संगठन सुरक्षा बलों की बढ़ती दबावपूर्ण कार्रवाई और जनता के घटते समर्थन से स्पष्ट रूप से असहज नज़र आ रहे हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि पूनम सत्यम की हत्या जैसी घटनाएँ नक्सलियों की हताश प्रतिक्रिया हैं — ताकि वे अपने अस्तित्व का “प्रतीकात्मक प्रदर्शन” कर सकें और भय का वातावरण कायम रख सकें।
भाजपा कार्यकर्ता पर हमला — राजनीतिक संकेत भी
मृतक पूनम सत्यम भाजपा की मंडल इकाई में सक्रिय था और पिछले कुछ महीनों से लगातार संगठनात्मक गतिविधियों में भाग ले रहा था। स्थानीय सूत्रों के अनुसार, वह ग्रामीण इलाकों में विकास कार्यों की पैरवी कर रहा था, जिससे नक्सलियों को यह आशंका थी कि गांवों में उनकी पकड़ कमजोर हो रही है।
पुलिस को घटनास्थल से मिला पर्चा यह दर्शाता है कि नक्सली अब केवल सुरक्षा बलों को ही नहीं, बल्कि राजनीतिक कार्यकर्ताओं को भी निशाना बना रहे हैं — ताकि स्थानीय लोकतांत्रिक संरचना को भयभीत किया जा सके।
सुरक्षा बलों की त्वरित प्रतिक्रिया, सर्च अभियान जारी
घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और सीआरपीएफ के संयुक्त बल मौके की ओर रवाना हो गए हैं। बीजापुर एसपी के अनुसार, इलाके में कंबिंग ऑपरेशन शुरू किया गया है और नक्सलियों की मौजूदगी की जानकारी जुटाई जा रही है। इधर, हत्या के बाद पूरे इलाके में दहशत का माहौल है, जबकि ग्रामीणों में यह चर्चा है कि नक्सली अब “अंतिम दौर की तिलमिलाहट में हैं।
अंतिम चरण में हिंसा का दौर
सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, बीजापुर, दंतेवाड़ा और सुकमा जैसे जिलों में हालिया हमले यह संकेत देते हैं कि नक्सली अपने खोते जनाधार और सिकुड़ते दायरे से विचलित हैं। जैसे-जैसे सुरक्षा बल अंदरूनी इलाकों तक पहुंच बना रहे हैं, नक्सली छोटे-छोटे “टारगेट किलिंग” कर अपनी सक्रियता का आभास देने की कोशिश कर रहे हैं।
हालांकि, यह रणनीति अब जनसमर्थन हासिल करने के बजाय उन्हें स्थानीय समुदाय से और अलग-थलग कर रही है।