कही-सुनी : साय मंत्रिमंडल में विस्तार के फिलहाल आसार नहीं

रवि भोई/कुछ दिनों पहले तक विष्णुदेव साय के मंत्रिमंडल में विस्तार की बड़ी चर्चा थी। मुख्यमंत्री श्री साय अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह से मिले तो इस चर्चा को और बल मिला। मुख्यमंत्री की दिल्ली यात्रा से वापसी के साथ ही मामला फिर ठंडे बस्ते में चला गया। अभी छत्तीसगढ़ के राज्यपाल रमेन डेका देश से बाहर है। फिर सामने 15 अगस्त भी आ गया। वैसे भी कहा जा रहा है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष की नियुक्ति के पहले मंत्रिमंडल का विस्तार नहीं होने वाला है। छत्तीसगढ़ में फिलहाल मंत्री के दो पद खाली हैं। छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश और कुछ अन्य भाजपा शासित राज्यों में भी मंत्रिमंडल का विस्तार पेंडिग है। कहा जा रहा है कि छत्तीसगढ़ में मंत्रिमंडल में अब किसी पुराने नेता को स्थान मिल पाने की संभावना कम है। नए लोगों को ही मौका दिया जाएगा। राज्य दो मंत्री पद के अलावा विधानसभा उपाध्यक्ष का पद भी खाली है।
बड़े लोगों की विदेश यात्रा
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल, वित्तमंत्री,नेता प्रतिपक्ष और कुछ विधायक इन दिनों अमेरिका की यात्रा पर हैं। वित्त मंत्री ओपी चौधरी के साथ वित्त सचिव मुकेश बंसल भी अमेरिका गए हैं। कहा जा रहा है कि वित्त मंत्री और वित्त सचिव छत्तीसगढ़ के लिए धन की व्यवस्था के लिए अमेरिका गए हैं। अब आने के बाद ही पता चलेगा कि वित्त मंत्री और वित्त सचिव क्या तीर मार कर आए हैं। राजनेता बनने से पहले ओपी चौधरी 2005 बैच के आईएएस थे और उनके वित्त सचिव मुकेश बंसल भी 2005 बैच के आईएएस हैं। दोनों एक-दो दिनों के भीतर रायपुर लौटने वाले हैं। कहते हैं राज्यपाल रमेन डेका पारिवारिक यात्रा पर अमेरिका गए हैं। नेता प्रतिपक्ष डॉ चरणदास महंत और कांग्रेस विधायक अनिला भेड़िया तथा संदीप साहू भी अमेरिका गए हैं। कहते हैं कांग्रेस के विधायक एक एनजीओ के आमंत्रण पर बोस्टन गए हैं। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप टैरिफ के जरिए भारत पर जितना लगाम कसने की कोशिश कर लें, भारतीयों को अमेरिका की यात्रा भाता ही है। चर्चा है कि पिछले दिनों राज्य के एक सचिव एक हफ्ते की यूरोप यात्रा से लौटे हैं। एक आदिवासी जिले के कलेक्टर रहते राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा पर आए यह अफसर अपनी यूरोप यात्रा को काफी गोपनीय रखा। लौटने के बाद ही लोगों को उनकी यात्रा की भनक लगी।
कलेक्टर पर मंत्री की कृपा
कहते हैं एक जिले के कलेक्टर पर राज्य के एक मंत्री की जबर्दस्त कृपा बरस रही है। चर्चा है कि सरकार ने कलेक्टर को बदलने का मन बना लिया था, लेकिन मंत्री जी ने ऐसी पैरवी की कि कलेक्टर साहब यथावत रह गए। मंत्री जी ने जिले के प्रभारी मंत्री के सामने भी कलेक्टर की तारीफ़ की। बताते हैं कलेक्टर साहब ने मंत्री के समर्थकों के लिए उनकी योग्यता और क्षमता के अनुरूप डीएमएफ फंड का रास्ता खोल लिया है। इससे कार्यकर्ता खुश, तो फिर मंत्री भी खुश। कहते हैं कलेक्टर साहब ने मंत्री जी के घोर विरोधी कांग्रेस नेता को भी आईना दिखाने का काम किया। इससे भी कलेक्टर साहब मंत्री जी के चहेते बन गए हैं। वैसे तो जिले में भाजपा के नेता कई गुटों में बटे हैं, पर बेमन ही सही, पॉवर के साथ सभी चल रहे हैं।
पुलिस अफसर के खिलाफ व्यापारी लामबंद
चर्चा है कि एक पुलिस अफसर के खिलाफ प्रदेश के व्यापारी लामबंद हो गए हैं। बताते हैं कि दोहरे प्रभार वाले पुलिस अफसर की व्यापारियों ने बड़े दरबार में शिकायत भी की है। बताते हैं कि इस पुलिस अफसर की पोस्टिंग भाजपा के एक बड़े नेता की सिफारिश पर हुई है। कहा जाता है कि पुलिस अफसर का व्यापारियों से रोजाना सरोकार नहीं हैं, पर जब चाहे तब उनकी कान ऐंठ दी जाती है। इससे दुखी व्यापारी शिकायत के लिए ऊपर तक पहुँच गए। खबर है कि पुलिस अफसर ने पहले अपनी सख्त छवि बनाई, अब उसकी आड़ में लोगों को डराने लगे हैं। अब देखते हैं शिकायत के बाद क्या नतीजा निकलता है।
कलेक्टर की निगाह में चढ़े डाक्टर
चर्चा है कि एक जिले के कलेक्टर साहब की नजर में वहां के डाक्टर चढ़ गए। बताते हैं कलेक्टर साहब को जिला मुख्यालय के प्रमुख स्थानों पर सीसीटीवी कैमरे लगवाने थे, सो उन्होंने जिला मुख्यालय में नर्सिंग होम चलाने वाले डाक्टरों को दफ्तर बुलवा भेजा और फरमान जारी कर दिया सीसीटीवी कैमरे लगाने के लिए दो-दो लाख देने का। कहते हैं कलेक्टर साहब के फरमान से हतप्रभ डाक्टर जिले के एक बड़े भाजपा नेता के पास गुहार लगाने पहुँच गए। खबर है कि भाजपा के नेता से मामला कुछ सुलझा, पर कैमरे के लिए कलेक्टर साहब डाक्टरों की जेब से 50-50 हजार निकलवा ही लिए।
चला ससुर का पव्वा
कहते हैं एक अफसर की सरकार ने उसके ससुर के दबाव में कई आरोपों से दोषमुक्त कर दिया। अब आईएएस अवार्ड करने में हाथ-पांव फूलने लगे हैं। खबर है कि इस अफसर के कारण उनके साथ वाले भी लटक गए हैं। इस अफसर को आईएएस अवार्ड करना सरकार की मजबूरी बन गई है,लेकिन छीछालेदर के भय से फाइल को उधर से इधर दौड़ाया जा रहा है। इस अफसर नाम वरिष्ठता सूची में सबसे ऊपर है, उन्हें प्रमोशन मिलेगा तो दूसरों का नंबर लगेगा। चर्चा है कि अफसर के चाचा ससुर जनप्रतिनिधि हैं और भाजपा से जुड़े हुए हैं। चाचा ससुर के पव्वा से अफसर पर लगा कालिख धूल गया। अब देखते हैं आगे का नैया कैसे पार करते हैं।
चंपावत से क्यों हटा राजस्व ?
विष्णुदेव साय की सरकार ने आईएएस अविनाश चंपावत से राजस्व और पुनर्वास विभाग क्यों हटा लिया चर्चा का विषय है ? कहते हैं चंपावत का मंत्री से भी ट्यूनिंग ठीक थी और विभाग में भी कोई विवाद सामने नहीं आया था। साय सरकार ने भुवनेश यादव की जगह अविनाश चंपावत को राजस्व सचिव बनाया था। सरकार ने अब अविनाश चंपावत से राजस्व विभाग लेकर रीना बाबा साहेब कंगाले को दे दिया है। साय सरकार में रीना कंगाले तीसरे राजस्व सचिव होंगी। रीना कंगाले खाद्य विभाग के साथ राजस्व देखेंगी। अविनाश चंपावत के पास अब सामान्य प्रशासन विभाग ही रहेगा।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)