प्रार्थना सभा विवाद..हिंदू संगठनों का दावा… कराया जा रहा धर्म परिवर्तन.. पुलिस ने कहा …जल्द दाखिल करेंगे आरोप पत्र

बिलासपुर….27 जुलाई को सरकंडा थाना क्षेत्र के गीतांजलि सिटी स्थित प्रीति भवन में प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया। यह आयोजन विवादों के घेरे में आ गया है। हिंदू संगठनों का आरोप है की सभा में कथित धार्मिक प्रचार और धर्म परिवर्तन कराया गया। इस बात को लेकर न केवल क्षेत्र में बल्कि बिलासपुर में जमकर चर्चा है। पुलिस ने मामले में दो महिलाओं को हिरासत में लिया है।
क्या है पूरा घटनाक्रम
हिंदू संगठन के अनुसार गीतांजलि सिटी स्थित एक मकान में स्थानीय महिला अरुंधति साहू और उनके बेटे साकेत साहू ने प्रार्थना सभा का आयोजन किया। कार्यक्रम में 20 से 25 महिलाएं बच्चे शामिल हुई। आरोप है कि हिंदू महिलाओं को धर्म परिवर्तन का प्रलोभन देकर बुलाया गया था। विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के कार्य कर्ताओं ने मौके पर पहुंचकर सभा रुकवाने की मांग की।
हिंदू संगठन के लोगों ने बताया कि प्रार्थना सभा में हिंदू महिलाओं और बच्चों का ब्रेनवाश किया जा रहा है । जबरदस्ती धर्म बदलने के लिए दबाव डाला जा रहा है।
शिकायत पर पुलिस कार्रवाई
विरोध प्रदर्शन के बाद पुलिस मौके पर पहुंची और अरुंधती साहू साकेत साहू के अलावा पूनम साहू और अन्य को हिरासत में लिया गया। पुलिस ने अपराध भी दर्ज किया । सरकंडा थाना प्रभारी नितेश पांडे ने बताया कि सभी पक्षों से पूछताछ हो रही है।
प्रकरण को समझने का प्रयास
घटना को बिलासपुर में धार्मिक सभा के बहाने धर्मांतरण की संदिग्ध राजनीतिक और ऐतिहासिक पैटर्न का हिस्सा माना जा रहा है। इसके पहले इस प्रकार की गतिविधियां मस्तूरी राजेंद्र नगर कोनी समेत विभिन्न क्षेत्रों मे कई बार देखख जा चुकी है। प्रीति भवन के संचालक पर आपत्तियां पहले भी आ चुकी है। जहां नियमित रूप से गुरुवार और रविवार को प्रार्थना सभा का आयोजन होता है। कथित रूप से हिंदू समुदाय के सदस्यों को सभा में एकत्रित किया जाता है।
प्रतिक्रिया और प्रशासनिक रुक
मामले में सरकंडा पुलिस ने निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया है ।थाने में दोनों पक्षों के बयान दर्ज किया जा रहे हैं। पुलिस के अनुसार जल्दन ही अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा।
ऐसे कार्यक्रमों पर लगे प्रतिबंध।
हिंदू संगठनों का कहना है कि ऐसी गतिविधियों को रोकना आवश्यक है। ताकि धार्मिक सौहार्द बरकरार रहे ।नागरिकों को धोखा देने वाली गतिविधियों को अभिलंब समाप्त किया जाए ।दूसरी तरफ कुछ लोग पूरे घटनाक्रम को गलतफहमी का शिकार होना बता रहे हैं। लोगों ने हिंदू संगठनों के आरोप को एक सिरे से नकार रहे।