कही-सुनी : अब क्या बारी भूपेश बघेल की ?

रवि भोई।शराब घोटाले मामले में ईडी ने पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य बघेल को गिरफ्तार कर लिया है। इस कारण लोग अब चर्चा करने लगे हैं कि क्या अब ईडी के निशाने पर भूपेश बघेल हैं। अब तक ईडी भूपेश बघेल के घर पर दो बार छापे की कार्रवाई कर चुकी है। पहली बार के छापे में कुछ नगद भी बरामद किया गया था। 18 जुलाई को छापे के बाद उनके पुत्र को गिरफ्तार कर लिया गया। 2018 से 2023 तक कांग्रेस राज के मुखिया रहे भूपेश बघेल सीडी कांड की गर्माहट के बाद भारी बहुमत के साथ सत्ता में आए थे। कोल स्कैम, शराब घोटाला, महादेव एप,पीएससी भर्ती में गड़बड़ी के आरोपों के दलदल में समा कर भूपेश बघेल ने सत्ता गंवा दी। भूपेश बघेल के आबकारी मंत्री रहे कवासी लखमा शराब घोटाले के आरोप में पिछले कई महीनों से बंद हैं। कांग्रेस राज में भूपेश बघेल के करीबी रहे आईएएस अफसर अनिल टुटेजा भी शराब कांड में आरोपी हैं और जेल में हैं। भूपेश बघेल के करीबी रहे कई लोग इन दिनों सलाखों के पीछे हैं ,इस कारण लोग भूपेश बघेल के सिर पर भी खतरा मंडराता देख रहे हैं। वैसे भूपेश के सत्ता में रहते ही राज्य में ईडी की इंट्री हो गई थी और अफसर-कारोबारी जेल चले गए थे। भ्रष्टाचार के आरोप में उनकी काफी करीबी रही सौम्या चौरसिया कई महीनों तक जेल में रही। कांग्रेस राज के कारनामों के चलते दो आईएएस अफसर समीर विश्नोई और रानू साहू भी जेल की चक्की पीस चुके हैं। भूपेश राज में सुर्ख़ियों में रहे कारोबारी सूर्यकांत तिवारी अब भी सलाखों के पीछे हैं। शराब घोटाले की जाँच ईडी के साथ ईओडब्ल्यू भी कर रही है। भूपेश राज में शराब सप्लाई में करीब 3200 करोड़ के घपले-घोटाले का अंदेशा है। शराब कांड की जद में 29 आबकारी अधिकारी भी आ गए हैं, जिन्हें विष्णुदेव साय की सरकार ने सस्पेंड कर दिया है और अब वे गिरफ्तारी से बचने के लिए अदालतों के दरवाजे सिर-पैर रगड़ रहे हैं। शराब से छत्तीसगढ़ सरकार को काफी राजस्व मिलता है, तो वहीँ राजस्व उगाही में छेद ही छेद भी हैं। इस कारण यह बड़ा घोटाला है। अब एजेंसियां घोटाले की तह तक पहुँचने की कोशिश कर रही हैं। इस कोशिश में कई मछलियां भी पकड़ी जा रही है, पर भूपेश बघेल के पुत्र चैतन्य की गिरफ्तारी से कांग्रेस को सिर उठाने का मौका मिल गया है। इस गिरफ्तारी से आने वाले कई दिनों तक राजनीतिक गर्माहट तो बनी रहेगी, साथ में इसके दूरगामी परिणाम भी जनता को देखने को मिल सकता है।
निगम-मंडलों में अध्यक्ष और एमडी घमासान
कहते हैं राज्य के कई निगम-मंडलों में अध्यक्ष और प्रबंध संचालकों के बीच घमासान शुरू हो गया है। विष्णुदेव साय की सरकार ने कुछ महीने पहले ही निगम-मंडलों में अध्यक्षों की नियुक्ति की है। कुछ महीनों में ही कई निगम-मंडल बेपटरी हो गए हैं। बताते हैं एक मंडल में अध्यक्ष और प्रबंध संचालक के बीच बातचीत ही बंद हो गई है। एक निगम में अध्यक्ष के निर्देशों का पालन प्रबंध संचालक नहीं कर रहे, इस कारण विवाद की स्थिति हैं। कुछ निगम-मंडल अध्यक्ष अपने प्रबंध संचालक की कार्यशैली से दुखी हैं। कहा जाता है कि निगम-मंडलों में अध्यक्षों के पास कोई ख़ास अधिकार नहीं हैं। संचालक मंडल के बैठक की अध्यक्षता के अलावा उन्हें कोई वित्तीय अधिकार नहीं हैं। चर्चा है कि अधिकारों को लेकर ही अध्यक्ष और प्रबंध संचालकों के बीच छत्तीस का आंकड़ा बना हुआ है।
ऋचा शर्मा के लिए लाबिंग
चर्चा है कि आईएएस अफसरों की एक लॉबी 1992 बैच के आईएएस अफसर सुब्रत साहू को मुख्य सचिव नहीं बनने देना चाहती। बताते हैं कि लॉबी ने सुब्रत साहू के मुकाबले अब 1994 बैच की आईएएस अफसर ऋचा शर्मा को प्रोजेक्ट करना शुरू कर दिया है। बताते हैं इस लॉबी ने पहले 1994 बैच के ही आईएएस मनोज पिंगुआ को आगे किया था। खबर है कि पिछले दिनों इस लॉबी से जुड़े एक अफसर ने ऋचा शर्मा को अगला मुख्य सचिव बनाने का सुझाव भाजपा संगठन से जुड़े एक उच्च पदाधिकारी को दिया। अब देखते हैं 30 सितंबर के बाद क्या होता है? भारत सरकार ने अमिताभ जैन को तीन महीने का एक्सटेंशन दिया है। ऐसे में 30 सितंबर तक तो अमिताभ जैन मुख्य सचिव रहेंगे।
हिमांशु गुप्ता का वरिष्ठता क्रम क्या होगा ?
कहते हैं भारत सरकार ने पिछले हफ्ते छत्तीसगढ़ में डीजी का एक पद और स्वीकृत कर दिया। बताते हैं यह सांख्येत्तर पद 1994 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता के लिए स्वीकृत हुआ है। छत्तीसगढ़ में डीजी के तीन पद थे। 1994 बैच के आईपीएस जीपी सिंह की बहाली और प्रमोशन के पहले हिमांशु गुप्ता डीजी प्रमोट हो गए थे। जीपी सिंह उनसे वरिष्ठ हैं, इस नाते जब जीपी सिंह को बहाल कर डीजी बनाया गया तो हिमांशु गुप्ता पीछे हो गए और बिना पद के डीजी बने रहे। सरकार ने अभी तक जीपी सिंह को कोई चार्ज नहीं दिया है। सिंह और गुप्ता के अलावा अरुणदेव गौतम और पवनदेव भी डीजी हैं। संघ लोकसेवा आयोग ने स्थायी डीजीपी के लिए अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता के नाम का पैनल राज्य शासन को भेजा हुआ है। इस कारण चर्चा शुरू हो गई है कि डीजी के पदक्रम में हिमांशु गुप्ता का नाम अरुणदेव गौतम के बाद होगा या जीपी सिंह के बाद
नेताजी की डिमांड से परेशान कारोबारी
चर्चा है कि एक नेताजी ने कारोबार करने वालों के सामने नई फरमाइश रख दी है। इससे कारोबारी परेशान हो गए हैं। बताते हैं कि नेताजी को जुम्मा-जुम्मा हुए सरकारी पद मिला है। सरकारी पद मिलते ही नेताजी को पर लगा है। खबर है कि कारोबारी पहले ही कुछ लोगों को भेंट-चढ़ावा दे चुके हैं, अब नेताजी अपना हिस्सा मांग रहे हैं। नेताजी ने साफ़-साफ़ कह दिया कि उनको तो उनका हिस्सा चाहिए। नेताजी पहले भी भाजपा राज में सरकारी पद पर रह चुके हैं।
चर्चा में रेरा अध्यक्ष
मेडिकल कालेज मान्यता मुद्दे में एफआईआर के बाद छत्तीसगढ़ रेरा के अध्यक्ष संजय शुक्ला चर्चा में हैं। एफआईआर के बाद संजय शुक्ला के कदम का लोगों को इंतजार है। कहते हैं सरकार रेरा अध्यक्ष को हटा तो सकती है, पर प्रक्रिया लंबी है। हटाने से पहले सरकार को रेरा अध्यक्ष पर लगे आरोपों की हाईकोर्ट के जज से जांच करानी पड़ेगी। रेरा न्यायिक संस्था जैसी है। रेरा अध्यक्ष पद पर रिटायर्ड आईएफएस अफसर संजय शुक्ला की नियुक्ति कांग्रेस शासन में हुई थी। संजय शुक्ला छत्तीसगढ़ रेरा के दूसरे अध्यक्ष हैं। पहले अध्यक्ष रिटायर्ड मुख्य सचिव विवेक ढांड थे। विवेक ढांड की नियुक्ति तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने की थी।
बदले जाएंगे कुछ कलेक्टर
चर्चा है कि जुलाई के अंतिम या अगस्त के पहले सप्ताह में 4-5 जिलों के कलेक्टर बदले जाएंगे। खबर है कि बस्तर संभाग के एक-दो दुर्ग संभाग का एक, सरगुजा संभाग का एक कलेक्टर बदला जा सकता है। बिलासपुर संभाग में कुछ हेरफेर हो सकता है। कलेक्टरों की पोस्टिंग में बदलाव की चर्चा काफी दिनों से चल रही है। अब विधानसभा का मानसून सत्र समाप्त हो गया है। माना जा रहा है कि झंडावंदन के पहले प्रशासनिक फेरबदल हो जाएगा।
(लेखक पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)